“काटली नदी की खदानों में दबे ओम प्रकाश सैनी को मिली नई जिंदगी” तीन घण्टे रेस्क्यू कर जिंदा निकाला

Rajasthan

यश टांक
उदयपुरवाटी ( झूंझुनूं)

"जाको राखे साइया मार सके न कोई" वाली कहावत इलाके के गुड़ा गांव की काटली नदी की खदानों में साबित हुई। बालू मिट्टी ढहने से एक यूवक दब गया। ग्रामीण मददगार बने औऱ अपने स्तर पर 3घन्टे रेस्क्यू कर जिंदा निकाल लिया।

रविवार दोपहर करीब एक बजे काटली की खदानों में नेवरी निवासी ओमप्रकाश सैनी पुत्र हनुमान राम बालू मिट्टी का टिल्ला टूटने से दब गया। ओमप्रकाश करीब 50 फ़ीट नीचे जा गिरा और पहले कमर व कुछ समय बाद गहरे गड्ढे में दब गया।
किसी प्रकार से सूचना पाकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे। 5-7 लोग बड़ी बहादुरी से अपनी जान की परवाह किये बिना ओमप्रकाश को निकालने में व्यस्त रहे। तीन घण्टे चले रेस्क्यू के बाद उसे जिंदा निकाल लिया गया।

*बाहर निकाला तो घबराया ओमप्रकाश*

ग्रामीणों के इस जज्बे को हर कोई सलाम कर रहे है। साथ ही ओमप्रकाश को नया जीवन मिलने पर कई जयकारे भी लगे। 5-7 लोग ओमप्रकाश को खदान से बाहर लेकर आये तो वह बहुत घबराया हुआ था। उसे थोड़ी देर के लिए हवा में सुलाया गया । बाद में गाड़ी से उसे कांकरिया निजी क्लिनिक पर ले जाकर डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने उसे दवा देकर घर भेज दिया।

*दो किलो मीटर पैदल पहुंचे परिजन*

सूचना मिलने पर ओमप्रकाश के परिजन भी घटनास्थल तक क़रीब दो किलोमीटर पैदल दौड़कर पहुंच गए। जब तक ओमप्रकाश को बाहर नहीं निकाला गया तब तक परिजनों का रो रोकर बुरा हाल था। परिजन भगवान से प्रार्थना कर रहे थे, सवामणी भी बोली गई।

*ओमप्रकाश के लिए ग्रामीण बने मददगार*

मिट्टी के नीचे दबे ओम प्रकाश की मदद करने वालों में गोदाराम किशोरपुरा मोड़ , हरफूल, नागरमल, रोहिताश सरपंच गुड़ा ढहर, माडूराम, राधेश्याम मिस्त्री नेवरी ,
सरदार मल निवासी पोंख,रोहिताश्व पोंख ,बलजी काला कांकरा , सीताराम काला कांकरा , माडूराम काला कांकरा , मूलचंद काला कांकरा , नागर मल काला कांकरा , निवास रज्जा वाली आदि 3 घण्टे तक जुटे रहे।

*मौत से जंग जीतने वाले ओमप्रकाश की जुबानीं*

मौत से 3घण्टे जंग जीतने वाले ओमप्रकाश ने बातचीत में बताया कि नदी की तरफ गया हुआ था। खदान के पास एक टिल्ले के किनारे खड़ा था, वह टूटकर गिर गया। उसके साथ मे मिट्टी में पहले कमर तक दबा। इसी समय मैने घर पर फोन किया तब भतीजे ने फोन उठाया। उसे बताया कि मै मिट्टी में दब गया हूं। मिट्टी सूखी थी, कुछ देर बाद औऱ अधिक दब गया। जितनी देर मैं मिट्टी में दबा रहा उस दरमियान मुझे बाहर की आवाज भी सुनाई दे रही थी। मेरी सांसे चल रही थी ,हां यह जरूर था कि मैं अंदर दबा हुआ कुछ घबराया हुआ जरूर था। अब मैं घर पर हूं ,एकदम स्वस्थ हूं ,किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं है। मुझे जीवन देने के लिए सभी का धन्यवाद।

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