गैंगस्टर राजू ठेहठ -परिजन ताराचंद कड़वासरा की अंत्येष्टि इधर झूंझुनूं में सबूत जुटाने आई सीकर जयपुर से एफएसएल टीम

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झूंझुनूं ( मनोज टांक)

राजस्‍थान के सीकर शहर में कुख्‍यात गैंगस्‍टर राजू ठेठ व कोचिंग में पढ़ रही बच्‍ची के पिता ताराचंद कड़वासरा की 3 दिसम्‍बर 2022 को गोली मारकर हत्‍या किए जाने के बाद अब माहौल शांत है। बाजार खुल गए हैं। 43 वर्षीय राजू ठेठ हत्‍याकांड के तीसरे दिन सोमवार को सीकर के श्री कल्‍याण अस्‍पताल (एसके) में राजू ठेठ व ताराचंद के शव का पोस्‍टमार्टम किया गया। इधर झूंझुनूं में गुढ़ागौड़जी थाने के पोंख गांव की पहाड़ी की तलहटी में सीकर व जयपुर से आई एफएसएल की टीम सबूत जुटाने में व्यस्त रही। टीम के साथ एसएचओ वीरसिंह भी मय जाब्ता रहे। वही दूसरी तरफ सीकर में उद्योग नगर पुलिस थाना इलाके में पिपराली रोड पर घर के दरवाजे पर चार बदमाशों ने राजू ठेठ की गोली मारकर हत्‍या कर दी गई। फिर हवाई फायर करते हुए भागते समय बदमाशों ने कार लूटने के दौरान ताराचंद कड़वासरा की भी जान ले ली । इसके बाद सीकर में माहौल तनावपूर्ण हो गया था। सीकर हत्‍याकांड के आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर राजू ठेठ व ताराचंद कड़वासरा के परिजन, वीर तेजा सेना, जाट समाज के लोग और अनेक जनप्रतिनिधियों में एसके अस्‍पताल सीकर में धरना प्रदर्शन शुरू कर शव लेने से इनकार कर दिया था। ऐसे में दो दिन तक शवों का पोस्‍टमार्टम भी नहीं हो सका। मांगों पर सहमति बनने के बाद पोस्टमार्टम हुआ और पैतृक गांव ठेहठ में राजू की अंत्येष्टि की गई।

सीकर हत्‍याकांड में इन मांगों पर बनी सहमति

1. मृतक गैंगस्‍टर राजू ठेठ के परिवार व गवाहों को पुलिस सुरक्षा दी जाएगी।

2. सीकर हत्याकांड 2022 की जांच आईजी व एसपी की निगरानी में पुलिस की विशेष टीम द्वारा की जाएगी।
3. राजू ठेठ के साथ मारे गए ताराचंद कड़वासरा की पुत्री कोमिता कड़वासरा को सरकारी एमबीबीएस कालेज (मैनेजमेंट) के लिए आम जन के सहयोग से निशुल्क शिक्षा व हॉस्टल सुविधा के लिए राज्य सरकार भी प्रयास करेगी।
4. ताराचंद कड़वासरा के परिवार को राजस्‍थान सरकार के नियमानुसार आथिर्क सहायता दी जाएगी।
5. राजू हत्‍याकांड में पैर पर गोली लगने से घायल हुए सीकर के कैलाश सैनी का निशुल्क इलाज व 50 हजार की आर्थिक सहायता राशि दी जाएगी।

झूंझुनूं में जिस मंदिर में रुके उससे वाकिफ थे अपराधी

पोंख गांव की पहाड़ी पर जिस मंदिर में अपराधी आकर छुपे वहां तक इनका इस तरह से आसानी से पहुंचना सम्भव नहीं है। रास्ता जंगलों की तरह खतरनाक है , कंजर्वेशन के बाद जंगली जानवर भी खूब छोड़े गए है। किसी जानकार की इसमें शह या फिर इससे पहले ये कई बार यहां जरूर आए हो, तभी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
350 साल पहले राजा गंगा सिंह बीकानेर द्वारा दो मंजिला महल बनवाया था। यहीं पर संत कन्नड़ दास ने तपस्या की थी ।

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