बिहार में लगातार हो रहे पेपर लीक पर नकेल कसने के लिए सरकार ने सख्त कानून तैयार किया है। सरकार की ओर से बिहार लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) विधेयक-2024 तैयार किया गया है। इस विधेयक को मंगलवार को विधानसभा में पेश किया जा सकता है।
इस बिल के मुताबिक, अब पेपर लीक को सीरियस क्राइम माना जाएगा। विधानसभा से कानून पास होने के बाद पेपर लीक मामले के आरोपियों पर नॉन बेलेवल धाराएं लगाई जाएंगी। नए बिल में पेपर लीक में शामिल व्यक्तियों या संस्थाओं को 3-10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही 10 लाख से 1 करोड़ जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। ये नियम राज्य सरकार की तरफ से आयोजित होने वाली सभी परीक्षाओं में लागू होंगे।
डीएसपी रैंक के अधिकारी करेंगे मामले की जांच
नए नियम के मुताबिक अब पेपर लीक मामले की जांच भी डीएसपी रैंक के अधिकारी से कराई जाएगी। इसके साथ ही नए कानून में इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि मामले की जांच सरकार किसी भी जांच एजेंसी से करवा सकती है।
अब जानिए किनके लिए क्या सजा का प्रावधान है
कैंडिडेट के लिए
अगर परीक्षा में गलत तरीके से कैंडिडेट शामिल हो रहे है या फिर नियमों का उल्लंघन करते पाए जाते हैं तो उनके लिए कम से कम तीन से पांच साल की सजा और 10 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
सर्विस प्रोवाइडर के लिए
वहीं, परीक्षा में शामिल सेवा प्रदाता अगर पेपर लीक कानून का उल्लंघन करते हुए पाए जाते हैं तो उनके लिए एक करोड़ रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है। साथ ही परीक्षा की लागत को भी सर्विस प्रोवाइडर से ही वसूल किया जाएगा। इसके अलावा, 4 साल के लिए ब्लैक लिस्टेड करने का भी प्रावधान किया गया है।
संगठित अपराध करने पर
नए कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह, जिसका सर्विस प्रोवाइडर की मिलीभगत शामिल हो, ये साबित हो जाने के बाद 5-10 साल की सजा और एक करोड़ जुर्माना का प्रावधान किया गया है। इतना ही नहीं संस्था की संपत्ति की कुर्की का भी प्रावधान किया गया है।
पेपर लीक होने पर अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई
इस कानून के प्रावधानों के अनुसार, अगर पेपर लीक होने को लेकर चल रही जांच के दौरान ये तय हो जाता है कि एग्जामिनेशन सर्विस प्रोवाइडर को परीक्षा के दौरान गड़बड़ी का पहले से ही अंदाजा था और इसके बावजूद उसने कुछ नहीं किया तो ऐसी स्थिति में एग्जामिनेशन सर्विस प्रोवाइडर पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही जांच के दौरान अगर इस बात के सबूत मिले कि संबंधित घटना में अगर किसी वरिष्ठ अधिकारी की संलिप्तता है तो उसे 10 साल तक की जेल हो सकती है और एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।