जयपुर:-ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जी एनओसी प्रकरण को लेकर चिकित्सा विभाग ने सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉक्टर राजीव बगरहट्टा और एसएमएस अस्पताल के तत्कालीन अधीक्षक डॉक्टर अचल शर्मा को 16 सीसीए का नोटिस जारी किया है. इसके अलावा एसएमएस अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. राजेंद्र बागड़ी को सस्पेंड कर दिया गया है. चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के लिए फर्जी एनओसी जारी होने के मामले में राज्य सरकार पूरी गंभीरता और तत्परता से सख्त एक्शन ले रही है. मामले में राज्य सरकार गहन जांच-पड़ताल करवा रही है. हम तह तक जाएंगे और दोषी किसी भी स्तर का व्यक्ति हो, सख्त कार्रवाई की जाएगी. मंत्री ने कहा कि यह प्रकरण वर्ष 2020 से चला आ रहा था, जिसका भंडाफोड़ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने आगे आकर किया. मानव अंग प्रत्यारोपण से जुड़ी प्रक्रिया में वर्ष 2020 से लेकर वर्ष 2023 तक विभिन्न स्तरों पर घोर लापरवाही और अनियमितताएं हुईं हैं.
नहीं हुई बैठकें : मंत्री ने कहा कि एनओसी के लिए राज्य प्राधिकार समिति की बैठकें नियमित रूप से आयोजित नहीं किए जाने पर प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. राजीव बगरहट्टा और अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा को पद से हटाया गया. इन दोनों चिकित्सकों ने अंग प्रत्यारोपण में फर्जी एनओसी के बारे में चिकित्सा विभाग को पहले जानकारी न देकर सीधे एसीबी में जानकारी दे दी. जब जांच की गई तो कई तथ्य सामने आए, जिसके बाद इन दोनों के विरुद्ध सीसीए नियम 16 के तहत भी कार्रवाई की जा रही है. इसके अलावा डॉ. सुधीर भण्डारी जब एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य और नियंत्रक थे, उसी समय से अनियमितताएं और फर्जीवाड़ा सामने आया है. दूसरे राज्यों से भी इस संबंध में शिकायतें प्राप्त हुईं हैं.
उन्होंने बताया कि प्रधानाचार्य के पद से हटते समय ही उन्होंने सोटो (स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन) चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि वास्तविकता यह है कि वे निरंतर सोटो चेयरमैन के रूप में कार्य कर रहे थे. इसके पुख्ता साक्ष्य मौजूद हैं. इसके अलावा एसएमएस अस्पताल के सीनियर प्रोफेसर, सर्जरी डॉ. राजेन्द्र बागड़ी को राज्य प्राधिकार समिति का समन्वयक नियुक्त किया गया था. डॉ. बागड़ी के हस्ताक्षरों से जारी ऐसे मीटिंग नोटिस पाए गए हैं, जिन पर मीटिंग की दिनांक और समय अंकित नहीं हैं. ये सभी तथ्य यह दर्शाते हैं कि डॉ. राजेन्द्र बागड़ी को एनओसी के लिए आवेदनों के निरंतर प्राप्त होने की पूर्ण जानकारी थी. इसके बावजूद मीटिंगों का आयोजन नहीं होने के लिए वे प्राथमिक रूप से जिम्मेदार हैं. इसके चलते डॉ. बागड़ी को सस्पेंड कर दिया गया है.
कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी : प्रकरण सामने आने के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल प्रभाव से एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित की थी. कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट आज दे दी है. कमेटी की जांच के अनुसार प्रदेश में 15 अस्पतालों में मानव अंग प्रत्यारोपण किया जा रहा था. इनमें 4 सरकारी और 11 निजी अस्पताल हैं. फर्जी एनओसी का मामला सामने आने के बाद सरकार ने सभी अस्पतालों का रिकॉर्ड जांच के लिए अपनी निगरानी में ले लिया था. जांच में सामने आया कि विगत एक वर्ष में करीब 945 प्रत्यारोपण हुए. इनमें से 82 सरकारी अस्पतालों में और 863 निजी अस्पतालों में हुए. इनमें से 933 का रिकॉर्ड उपलब्ध हो गया है. कुल 933 अंग प्रत्यारोपण में से 882 किडनी और 51 लीवर ट्रांसप्लांट के मामले थे. प्रत्यारोपण के 269 केस ऐसे सामने आए, जिनमें डोनर और रिसीवर नजदीकी रिश्तेदार नहीं थे. सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि एक वर्ष में हुए कुल प्रत्यारोपण में से 171 प्रत्यारोपण विदेशी नागरिकों (करीब 18 प्रतिशत) के हुए. विदेशी नागरिकों के प्रत्यारोपण मुख्यतः चार अस्पतालों में हुए, जिसमें फोर्टिस अस्पताल में 103, ईएचसीसी में 34, मणिपाल हॉस्पिटल में 31 और महात्मा गांधी अस्पताल में 2 विदेशी नागरिकों के प्रत्यारोपण हुए.