जम्मू-कश्मीर में वोटिंग से पहले 2 आतंकी हमले:शोपियां में भाजपा नेता की हत्या;अनंतनाग में जयपुर के कपल पर फायरिंग,पति गंभीर

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श्रीनगर:-जम्मू-कश्मीर में शनिवार (18 मई) की रात एक घंटे के भीतर दो जगह आतंकी हमले हुए। पहली घटना अनंतनाग के पहलगाम के पास एक ओपन टूरिस्ट कैंप की है। यहां आतंकियों ने एक टूरिस्ट कपल को गोली मार दी। कपल राजस्थान के जयपुर के रहने वाले हैं। पति-पत्नी रिसॉर्ट में रुके हुए थे।

महिला का नाम फराह और उसके पति का नाम तबरेज है। पति की हालत नाजुक बताई जा रही है। कपल को पहले नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि, दोनों की गंभीर हालत को देखते हुए जीएमसी अनंतनाग रेफर किया गया है।

इस घटना के कुछ देर बाद शोपियां के हीरपोरा में रात करीब 10.30 बजे आतंकियों ने लोकल भाजपा नेता ऐजाज अहमद शेख को गोली मार दी। ऐजाज अहमद को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। ऐजाज अहमद पूर्व सरपंच थे।

जम्मू-कश्मीर में दोनों हमले तब हुए है, जब यहां आर्टिकल-370 हटने के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव हो रहे हैं। 20 मई को पांचवें फेज में बारामूला सीट पर मतदान होना है। 25 मई को छठे फेज में अनंतनाग-राजौरी सीट पर मतदान होगा। उधमपुर और जम्मू में 19 और 26 अप्रैल को वोटिंग हो चुकी है। श्रीनगर में 13 मई को वोटिंग हुई थी।

50 लोगों के साथ घूमने गया था जयपुर का कपल
आतंकी हमले में घायल हुए कपल फरहा और तबरेज जयपुर के ब्रह्मपुरी इलाके के रहने वाले हैं। चार दिन पहले वे करीब 50 लोगों के एक ग्रुप के साथ कश्मीर घूमने गए थे। तबरेज जयपुर में प्रॉपर्टी का काम करते हैं और फरहा हाउस वाइफ हैं। उनके साथ उनके दो छोटे बच्चे भी गए थे। हमले के बाद वे किस हालत में हैं, फिलहाल पता नहीं लग पाया है। 

4 मई को एयरफोर्स​ जवानों पर हमला हुआ था​​​​​​
इससे पहले 4 मई को पुंछ में एयरफोर्स जवानों पर आतंकी हमला हुआ था। इसमें एक जवान शहीद हो गया था। हमले में पांच जवान घायल हुए थे, जिन्हें एयरलिफ्ट कर उधमपुर के अस्पताल ले जाया गया था।

हमला पुंछ के शाहसितार इलाके में हुआ था। आतंकियों ने सुरक्षाबलों के दो वाहनों पर भारी फायरिंग की थी। इसमें से एक वाहन एयरफोर्स का था। दोनों गाड़ियां सनाई टॉप जा रही थीं। आतंकियों की गोलियां वाहन के सामने और साइड वाले शीशे को पार कर गईं थीं।

8 अप्रैल: दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के पदपावन में आतंकियों ने गैर कश्मीरी स्थानीय ड्राइवर परमजीत सिंह को गोली मारी थी। वह दिल्ली का रहने वाला था। आतंकियों ने परमजीत पर उस वक्त हमला किया था, जब वह अपने ड्यूटी पर था। घटना को अंजाम देने के बाद आतंकी मौके से भाग निकले थे।

17 अप्रैल: आतंकियों ने बिहार के एक प्रवासी शंकर शाह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हमलावरों ने उसे पेट और गर्दन में गोलियां मारी थीं।

श्रीनगर में 7 फरवरी 2024 को आतंकियों ने हब्बा कदल इलाके में सिख समुदाय के दो लोगों को AK-47 राइफल से गोली मारी दी थी। मृतकों की पहचान अमृतसर के रहने वाले अमृत पाल (31) और रोहित मसीह (25) के रूप में की गई। अमृत पाल की मौके पर ही मौत हो गई थी। रोहित ने इलाज के दौरान दम तोड़ा था।

पिछले 2 साल में टारगेट किलिंग की अन्य घटनाएं
26 फरवरी 2023: आतंकियों ने पुलवामा में एक कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या कर दी थी। वो अपने गांव में गार्ड का काम करते थे। सुबह के वक्त वह ड्यूटी से लौट रहे थे। तभी आतंकियों ने उन पर फायरिंग की थी।

29 मई 2023: अनंतनाग में आतंकियों ने एक नागरिक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मृतक की पहचान दीपक कुमार के रूप में हुई थी। दीपक जम्मू के उधमपुर का रहने वाला था और अनंतनाग के जंगलात मंडी में सर्कस मेले में काम करता था।

15 अक्टूबर 2022: शोपियां के चौधरीगुंड गांव में आतंकियों ने पूरन कृष्ण भट्ट पर फायरिंग की थी। गंभीर रूप से घायल पूरन को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।

अगस्त 2022: शोपियां में आतंकियों ने बिहार के रहने वाले तीन प्रवासी मजदूरों को गोली मारी थी। इसके अलावा सेब के बाग में एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी गई थी। बांदीपोरा में आतंकियों ने बिहार के एक प्रवासी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

नवंबर 2022: शोपियां में आतंकियों ने उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के रहने वाले दो मजदूरों की हत्या कर दी थी। शोपियां के हरमेन में आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका था, जिसमें मोनीश कुमार और राम सागर नाम के दो मजदूर घायल हो गए थे।

घाटी में गैर-कश्मीरियों की हत्या का कारण

खुफिया एजेंसियों ने बताया था कि टारगेट किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई साजिश है। माना जा रहा है कि इसका मकसद, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना है।

आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खास तौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी निशाना बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।