इंफाल:-विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवपलपमेंट इन्क्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A) के 20 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल 29 जुलाई यानी शनिवार सुबह मणिपुर के इंफाल रवाना हो गया। वहां 30 जुलाई तक रहेगा।
ये सांसद पहले जमीनी स्थिति का आकलन करेंगे। राज्य में तीन महीनों से जारी हिंसा और यहां के लोगों की समस्याओं के समाधान को लेकर सरकार और संसद को अपनी राय भी देंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य सरकार ने इन 20 सांसदों को इस दौरे की परमिशन नहीं दी है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इन नेताओं को एयरपोर्ट पर ही रोका जा सकता है।
इस बीच खबर है कि राज्य में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जारी हिंसा अब सुरक्षाबलों की ओर मुड़ गई है। बीते 24 घटों में बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों में सुरक्षाबलों और हमलावरों के बीच कई जगह मुठभेड़ हुई। हमलावरों ने लगभग 200 देशी बम गिराए।
बिष्णुपुर के फोउगक्चाओ थाने के चार अलग-अलग स्थानों पर हुई भिड़ंत में तीन लोगों की जान चली गई है। वहीं, गुरुवार को भी दो की मौत हो गई थी। सेना और मणिपुर पुलिस के एक-एक कमांडो सहित 5 लोग घायल हैं।
ये 20 सांसद हैं-
- अधीर रंजन चौधरी- कांग्रेस
- गौरव गोगोई- कांग्रेस
- सुष्मिता देव- टीएमसी
- महुआ माझी- जेएमएम
- कनिमोझी- डीएमके
- मोहम्मद फैजल- एनसीपी
- जयंत चौधरी- आरएलडी
- मनोज कुमार झा- आरजेडी
- एनके प्रेमचंद्रन- आरएसपी
- टी थिरुमावलन- वीसीके
- राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह- जेडीयू
- अनील प्रसाद हेगड़े- जेडीयू
- एए रहीम- सीपीआई-एम
- संतोष कुमार- सीपीआई
- जावेद अली खान- सपा
- ईटी मोहम्मद बशीर- आईएमएल
- सुशील गुप्ता- आप
- अरविंद सावंत- शिवसेना (उद्धव गुट)
- डी रविकुमार- डीएमके
- फूलो देवी नेताम- कांग्रेस
विपक्षी नेताओं के बयान… हम वहां के लोगों का दर्द समझने जा रहे हैं
- कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘हम वहां राजनीतिक मुद्दे उठाने के लिए नहीं बल्कि मणिपुर के लोगों के दर्द और जमीनी स्थिति को समझने के लिए जा रहे हैं। सरकार ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई है।’
- आप सांसद सुशील गुप्ता ने कहा कि सरकार चर्चा के लिए राजी नहीं है। पीएम संसद में नहीं आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में हम वहां की स्थिति जानने के लिए ग्राउंड पर जा रहे हैं।
पहली बार देखने में आ रहा है कि हथियारबंद हमलावर भीड़ BSF और अर्द्धसैनिक बलों को सीधा निशाना बना रही है। पुलिस को आशंका है कि हमले में उग्रवादी कैडर शामिल हो सकता है, क्योंकि इतने बड़े हमलों को भीड़ अंजाम नहीं दे सकती।
अर्द्धसैनिक बलों की मदद के लिए सेना की कुमाऊं रेजिमेंट के जवान भी मौके पर भेजे गए हैं। इस बीच, नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के नेताओं से अपील की है कि वे मणिपुर के मामले में दखल न दें।
वायरल वीडियो मामले की जांच तेज, पीड़ित महिलाओं के बयान दर्ज
महिलाओं को कपड़े उतारकर परेड कराने वाले वायरल वीडियो मामले की जांच शुरु हो चुकी है। मणिपुर पुलिस शुक्रवार को दोनों पीड़िताओं के यहां पहुंची। उनके बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है। हालात तब और बिगड़ गए जब 19 जुलाई को दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने का वीडियो वायरल हुआ। ये घटना 4 मई की थी। वीडियो देख लोगों में आक्रोश और बढ़ गया। पुलिस ने इस मामले में अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें एक नाबालिग है।
मणिपुर हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा मौत
मणिपुर हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 3-5 मई के बीच 59 लोग, 27 से 29 मई के बीच 28 लोग और 13 जून को 9 लोगों की हत्या हुई थी। 16 जुलाई से लेकर 27 जुलाई तक हिंसा नहीं हुई थी लेकिन पिछले दो दिनों से हिंसक झड़प की घटनाएं बढ़ गई हैं।
4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नगा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।