82 साल के शरद पवार ने NCP अध्यक्ष पद पर इस्तीफ़ा दिया:कार्यकर्ता मानने को तैयार नहीं;साहब ने समय मांगा,फैसले पर विचार करेंगे:-अजित

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मुंबई:-शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने 17 अप्रैल को कहा था कि 15 दिन में महाराष्ट्र की राजनीति में दो बड़े विस्फोट होंगे। बयान के ठीक 16वें दिन यानी 2 मई को 12:45 बजे 82 साल के शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान कर दिया। पवार ने कहा कि वो इस्तीफा देने जा रहे हैं। उन्होंने इसकी वजह नहीं बताई है।

4 दिन पहले गुरुवार को शरद पवार ने कहा था कि रोटी पलटने का वक्त आ गया है। किसी ने मुझसे कहा कि रोटी सही समय पर पलटनी है। न पलटे तो कड़वी हो जाती है। इस बयान पर अजीत पवार ने कहा कि नए चेहरों को आगे लाना NCP की परंपरा रही है। NCP महाराष्ट्र के महा विकास अघाड़ी गठबंधन में सहयोगी है।

पवार ने 1999 में कांग्रेस से अलग होकर NCP बनाई थी। उसके बाद से ही वे पार्टी के अध्यक्ष थे। पवार के ऐलान के बाद पार्टी कार्यकर्ता रोने लगे और उनसे फैसला वापस लेने की मांग करने लगे।

अजित पवार बोले- पवार की उम्र को देखते हुए फैसला
अजित पवार ने कहा, ‘शरद पवार की उम्र को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। वो सभी कार्यक्रमों में मौजूद रहेंगे। अध्यक्ष नहीं हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि वो पार्टी में नहीं हैं। आप भावुक ना हों। जो भी नया अध्यक्ष होगा, हम उसके साथ खड़े रहेंगे।’ वहीं शाम को अजीत पवार ने कहा- साहब अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को तैयार हो गए हैं। उन्होंने दो-तीन दिन का समय मांगा है।

देश में NCP के 9 सांसद, 3 राज्यों में 57 विधायक
NCP की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, NCP के देश में अभी 9 सांसद हैं। इनमें लोकसभा के 5 और राज्यसभा के 4 मेंबर शामिल हैं। वहीं, देशभर में पार्टी के 57 विधायक हैं। महाराष्ट्र में 54, केरल में 2 और गुजरात में 1 विधायक शामिल हैं। वहीं, देशभर में पार्टी के 20 लाख कार्यकर्ता हैं।

इस्तीफे में लिखा- लगातार यात्रा मेरी जिंदगी का हिस्सा
शरद पवार ने इस्तीफे में लिखा, ‘मेरे साथियों! मैं NCP के प्रेसिडेंट का पद छोड़ रहा हूं, लेकिन सामाजिक जीवन से रिटायर नहीं हो रहा हूं। लगातार यात्रा मेरी जिंदगी का अटूट हिस्सा बन गया है। मैं पब्लिक मीटिंग और कार्यक्रमों में शामिल होता रहूंगा। मैं पुणे, बारामती, मुंबई, दिल्ली या भारत के किसी भी हिस्से में रहूं, आप लोगों के लिए हमेशा की तरह उपलब्ध रहूंगा। लोगों की समस्याएं सुलझाने के लिए मैं हर वक्त काम करता रहूंगा। लोगों का प्यार और भरोसा मेरी सांसें हैं। जनता से मेरा कोई अलगाव नहीं हो रहा है। मैं आपके साथ था और आपके साथ आखिरी सांस तक रहूंगा। तो हम लोग मिलते रहेंगे। शुक्रिया।’

बायोग्राफी के विमोचन पर इस्तीफे का ऐलान, लिखा- उद्धव का इस्तीफा गठबंधन पर पूर्ण विराम
शरद पवार मुंबई के वाईबी चव्हाण सेंटर में मंगलवार को अपनी पॉलिटिकल बायोग्राफी ‘लोक भूलभुलैया संगति’ का विमोचन कर रहे थे। इस किताब के पन्ना नंबर 319 पर उन्होंने लिखा- महाविकास अघाड़ी की सरकार सिर्फ सत्ता का खेल नहीं थी। अन्य पार्टियों को दबाकर, अन्य पार्टियों का महत्व किसी ना किसी तरह से खत्म करके राजनीतिक वर्चस्व निर्माण करने वाली भाजपा को यह करारा जवाब था।

महाविकास अघाड़ी की सरकार भाजपा को देश में मिली सबसे बड़ी चुनौती थी। यह सरकार अस्थिर करने का प्रयास होगा, इसकी कल्पना मुझे थी। हम हमारे लेवल पर इसे हैंडल करने में सक्षम थे, लेकिन उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने से शिवसेना में तूफान आएगा, इसका हमें अंदाजा नहीं था। यह असंतोष खत्म करने में शिवसेना नेतृत्व (उद्धव और आदित्य) कम पड़ा। संघर्ष ना करते हुए उद्धवजी के इस्तीफा देने के कारण महाविकास अघाड़ी की सत्ता को पूर्ण विराम मिला।

अध्यक्ष चुनने के लिए कमेटी बनाई गई
पवार के इस्तीफे के बाद पार्टी का अध्यक्ष चुनने के लिए एक कमेटी बनाई गई है। इसमें प्रफुल्ल पटेल, सुनील तडकारे, केके शर्मा, पीसी चाको, अजित पवार, जयंत पाटिल, सुप्रिया सुले, छगन भुजबल, दिलीप पाटिल, अनिल देशमुख, राजेश टोपे, जितेंद्र अह्वाद, हसन मुशरिफ, धनंजय मुंडे, जयदेव गायकवाड़ का नाम शामिल है।

पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम में मिल गया था इशारा…

1. बयान दिया था- महाराष्ट्र में आज गठबंधन, कल का पता नहीं
30 अप्रैल को शरद पवार ने कहा था- आज हम MVA का हिस्सा हैं और काम करने की इच्छा रखते हैं, लेकिन केवल इच्छा ही हमेशा पर्याप्त नहीं होती है। सीटों के बंटवारे, कोई समस्या है या नहीं इन सब पर अभी चर्चा नहीं हुई है। ऐसे में आज महाराष्ट्र में अघाड़ी है, लेकिन कल का पता नहीं है।

2. अजीत पवार के राकांपा छोड़ने की अटकलें, सफाई दी थी
NCP नेता और शरद पवार के भतीजे अजित पवार के राकांपा छोड़ने की खबरें आई थीं। कहा जा रहा था कि उनके साथ 40 विधायक हैं और अजित भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इसके बाद अजित ने कहा था- बेवजह गलतफहमी फैलाई जा रही हैं। किसी विधायक का हस्ताक्षर नहीं लिया गया है। भाजपा के साथ जाने की खबरों में कोई सच्चाई नहीं है। जब तक जान में जान है तब तक NCP से जुड़ा रहूंगा। चाहो तो एफिडेविट पर लिख कर दे दूं!

3. अजित पवार ने कहा था- 100% मुख्यमंत्री बनना चाहूंगा
21 अप्रैल को अजित पवार ने एक इंटरव्यू में जिसमें NCP नेता ने मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने कहा था- राकांपा 2024 के महाराष्ट्र चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री पद के लिए दावा कर सकते हैं। मैं 100% मुख्यमंत्री बनना चाहूंगा।

2 बार कांग्रेस से बगावत, 25 साल पहले बनाई थी NCP

पहली बार बगावत: 1977 के आम चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी कांग्रेस (यू) और कांग्रेस (आई) में बंट गई। शरद पवार कांग्रेस (यू) में शामिल हुए। 1978 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दोनों हिस्सों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। लेकिन, राज्य में जनता पार्टी को रोकने के लिए साथ मिलकर सरकार बनाई। कुछ ही महीनों बाद शरद पवार ने कांग्रेस (यू) को भी तोड़ दिया और जनता पार्टी से जा मिले। जनता पार्टी के समर्थन से पवार 38 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बन गए। उस वक्त वो राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री थे। हालांकि, 1986 में शरद पवार फिर कांग्रेस में शामिल हुए और 26 जून 1988 से लेकर 25 जून 1991 के बीच दो बार मुख्यमंत्री बने।

दूसरी बार बगावत: 1999 में शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का विरोध किया। तीनों का कहना था कि प्रधानमंत्री देश का ही व्यक्ति बने। इस वजह से तीनों को पार्टी से निकाल दिया गया और तीनों ने मिलकर 25 मई 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का गठन किया। हालांकि, इसके बाद लगातार 15 साल तक महाराष्ट्र में राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की सरकार रही।

पवार के फैसले पर दूसरे दल क्या बोले…

भाजपा ने कहा-
महाराष्ट्र के डिप्टी CM और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने पवार के NCP अध्यक्ष पद छोड़ने पर कहा- यह शरद पवार का व्यक्तिगत और NCP का आंतरिक मामला है। इस बात पर अभी कुछ बोलना जल्दी होगा। मुझे लगता है कि अभी हमें राह देखनी चाहिए और उसके बाद ही हम कुछ बोलेंगे।

कांग्रेस ने कहा- MVA पर असर नहीं पड़ेगा
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा- शरद पवार जी ने अपने अध्यक्ष पद से किस कारणवश इस्तीफा दिया है यह बताना मुश्किल है। हमें लगता था कि वे आखिरी सांस तक सामाजिक और राजकीय जीवन में रहकर एक विचारधारा के साथ लड़ेंगे, लेकिन अब उनके इस फैसले से महा विकास अघाड़ी (MVA) पर कोई असर नहीं पड़ेगा।