नई दिल्ली:-विपक्ष नेता लगातार गैर-बीजेपी सियासी दल लगातार केंद्रीय जांच एजेंसियों के एक्शन पर सवाल उठाते आए है। छापेमारी और राज्यपाल-उपराज्यपाल से राज्य सरकारों के विवाद को लेकर 9 विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त लेटर लिखा है। विपक्ष ने कहा है कि इन कार्रवाईयों से जांच एजेंसी की साख खराब हो रही है। विपक्षी नेताओं ने ED और सीबीआई जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करने की निंदा की है। पत्र में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का जिक्र करते हुए कहा गया है कि बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं के खिलाफ जांच धीमी गति से की जाती है।
राज्यपाल का दखल से बढ़ रही दरार
विपक्षी नेताओं ने पत्र में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी में शामिल होने वाले विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियां धीमी गति से जांच करती है। इसके अलावा पत्र में गवर्नर कार्यालय पर चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकारों के कार्य में दखल देने का आरोप लगाया गया है। उनका कहना है कि राज्यपाल बन केंद्र और राज्यों के बीच बढ़ती दरार का कारण बन रहे हैं।
मनीष सिसोदिया पर लगे आरोपों को बताया निराधार
विपक्ष नेताओं द्वारा लिखे पत्र में कहा गया कि 26 फरवरी 2023 को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को उनके खिलाफ सबूतों के बिना कथित अनियमितता के संबंध में सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। मनीष सिसोदिया के खिलाफ लगाए गए आरोप स्पष्ट रूप से निराधार हैं और एक राजनीतिक साजिश की तरह लगते हैं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री की गिरफ्तारी से पूरे देश में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है।
इन विपक्षी नेताओं ने लिखा लेटर
प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वाले विपक्षी नेताओं की लिस्ट में BRS प्रमुख चंद्रशेखर राव, JKNC प्रमुख फारूक अब्दुल्लाह, AITC प्रमुख ममता बनर्जी, NCP प्रमुख शरद पवार, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का नाम शामिल है। इन सभी जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए गहरी चिंता व्यक्ति की है।