पीएम मोदी सरकार के 9 साल और विधानसभा चुनाव का शंखनाद,जनसभा से तय होगा भाजपा के कई नेताओं का राजनीति भविष्य

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अजमेर:-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार के 9 साल पूरा होने के मौके पर जगत पिता ब्रह्मा की नगरी तीर्थराज पुष्कर और अजमेर एकादशी के मौके पर 31 मई को आ रहे हैं। प्रदेश भाजपा के नेताओं ने पीएम मोदी की आम सभा को सफल बनाने के लिए पिछले एक पखवाड़े से दिन-रात एक कर  रखी है। पीएम मोदी की जनसभा को विधानसभा चुनाव का शंखनाथ माना जा रहा है। 

अजमेर में अचानक मंगलवार रात को ही तेज बरसातऔर आंधी ने पीएम मोदी की  जनसभासभा में खलल डाल दिया है । अब मोदी की  जनसभा स्थल को  फिर से व्यवस्थित करने के लिए 1 दर्जन से अधिक जेसीपी   और सैकड़ों मजदूर लगा  रखें है। रास्ते ठीक करने के लिए मिट्टी डाली जा रही है। बैनर और झंडे फट गए हैं  अब फिर से  सभा स्थल को सुसज्जित  करने में जुटे हैं। चिंता बढ़ी हुई है  अगर फिर से मौसम बिगड़ा तो भीड़ जुटाना चुनौती हो जाएगा।

पीएम मोदी की जनसभा को ऐतिहासिक और भव्य बनाने के लिए 8 लोकसभा क्षेत्र अजमेर, नागौर, पाली, राजसमंद, भीलवाड़ा,टोंक-सवाई माधोपुर, जयपुर शहर और ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र और 45 विधानसभा के कार्यकर्ताओं- नेताओं पिछले एक पखवाड़े से सक्रिय कर रखा है। प्रभारी अरुण सिंह और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने विभिन्न स्तर पर बैठके लेकर भीड़ जुटाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। हर विधानसभा क्षेत्र से 5 हजार कार्यकर्ताओं को पीएम मोदी की जनसभा तक पहुंचाने की जिम्मेदारी विधायक और विधायक प्रत्याशी को दे रखी है। बैठकों का दौर चल रहा है हर जगह एक ही बात पीएम को मजबूत करो और तो देश और भाजपा भी मजबूत होगा।

पीएम मोदी की जनसभा की तैयारियां अंतिम चरणों में है मंगलवार को भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी अजमेर पहुंचकर भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर उन्होंने भी यह जताने का प्रयास किया कि वे भी प्रदेश भाजपा के साथ हैं। प्रभारीअरुण सिंह और सह प्रभारी  रोहटकर अजमेर पहुंच गए हैं। संगठन महामंत्री चंद्रशेखर मिश्रा भी अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए  अब पहले से अधिक सक्रिय नजर आ रहे हैं। उनकी कोशिश है कि उनकी विदाई नहीं हो और वे यहीं पर बने रहें। लेकिन उनकी कार्यशैली पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले उनकी विदाई और नए व्यक्ति की जिम्मेदारी  की चर्चा भी जोरों पर है। 

अब पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया भी हाशिए पर हैं और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की नई कार्यकारिणी भी घोषित की जानी है। कुछ जिला अध्यक्षों को भी बदला जाएगा।  पीएम मोदी  कीजनसभा में सक्रियता से भी सीपी जोशी को ताकत मिलेगी। उनके  अल्प कार्यकाल में पीएम मोदी का यह दूसरा दौरा है और जून माह में सीकर का भी दौरा  होगा। ऐसे में सीपी जोशी  पूरी सक्रियता के साथ अपने काम में लगे हुए हैं। उन्हें ज्यादा राजनीतिक नहीं आती वे सभी गुटों को साथ लेकर चल रहे हैं। 

अजमेर की  पीएम मोदी की जनसभा ने निश्चित तौर पर भाजपा के बिखराव को कम करने का प्रयास जरूर कहा जा सकता है। लेकिन अभी भी स्थानीय नेताओं में एकता नहीं है। उनको निश्चित तौर पर  पहले से अजीत अधिक सक्रिय करना पड़ेगा। नहीं तो भाजपा पहले की तरह सत्ता में आने से रह जाएगी। कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच समझौता हुआ है ऐसे में भाजपा के लिए एक नई चुनौती भी बनी हुई है।

पीएम मोदी की जनसभा में केंद्र सरकार के लाभार्थियों को लाने का भी पूरा प्रयास किया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि पीएम मोदी की नाथद्वारा की जनसभा में भीड़ नहीं जुट पाने के कारण नाराजगी जरूर हुई थी। अब उसी का परिणाम है कि अजमेर की सभा को ऐतिहासिक और भव्य बनाने की हर संभव प्रयास हो रहे हैं।  8 लोकसभा के सांसदों और 45 विधानसभा के विधायक और चुनाव लड़ चुके प्रत्याशियों को स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि भीड़ नहीं आई तो फिर  उनकी खैर नहीं है। वर्ष 2018 में भी पीएम मोदी ने पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के कायड़ विश्राम स्थली पर जनसभा कर चुके हैं। यहां से उन्होंने ईस्टर्न कैनाल बनाए जाने का भी वादा किया था जो आज तक नहीं पूरा हुआ है। अब इस परियोजना को राष्ट्रीय स्तर का दर्जा मिलेगा या नहीं इसको लेकर भी राजनीति हो रही है। 

कहने को तो यह परियोजना पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बजट प्रस्ताव के माध्यम से केंद्र को भेजी थी। अब केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी पीएम मोदी की जनसभा में मौजूद रहेंगे। उन्होंने 1 दिन पहले ही त्रिवेणीधाम में यह तो कह दिया है कि योजना को सही ढंग से नहीं भेजते के कारण अब तक उस पर कोई काम नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि ईस्टर्न कैनाल परियोजना को लेकर कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजनीति अधिक कर रहे हैं। उन्हें योजना को लेकर अधिक परवाह नहीं है वह तो इसको राजनीतिक मुद्दा बनाए रखना चाहते हैं। अब चाहे कुछ भी हो लेकिन राजनीति तो निश्चित तौर पर  पीएम मोदी के स्तर पर भी हो रही है।

अब लोग यह है भी चर्चा कर रहे हैं पीएम मोदी तीर्थराज पुष्कर का विकास वाराणसी की तरह कराने की घोषणा कर सकते हैं ! तीर्थराज पुष्कर नगरी का भी विकास वाराणसी कोरिडोर की तरह करने की कार्य योजना घोषित करने की मांग भाजपा भी दबे स्वरों में उठ रही है। क्या कुछ होता है यह तो  पीएम मोदी की जनसभा और ब्रह्मा मंदिर के दर्शन कार्यक्रम के बाद ही पता चल पाएगा।