जयपुर:-जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (जीतो) और जीतो लेडीज विंग की ओर से शुक्रवार को आश्रम मार्ग स्थित होटल मैरियट में ए टू जेड स्टार्टअप यूनिकॉर्न का आयोजन किया गया। इसमें कार देखो के सीईओ और शार्क टैंक इंडिया शो के जज अमित अग्रवाल और अनुराग अग्रवाल रुबरू हुए। इनके साथ लेडीज विंग की चेयरपर्सन खुशबू बाकलीवाल ने बातचीत की।
अमित और अनुराग ने अपनी जर्नी शेयर करते हुए कहा कि हम मीडिल क्लास फैमिली से ही निकले हुए है। हमारा परिवार लखनऊ से ताल्लुक रखता है, लेकिन दादाजी जयपुर आकर बस गए थे। दादाजी और पिताजी सरकारी नौकरी में रहे, यहां से पापा ने बिजनेस शुरू किया। इसके बाद हमने भी बैंगलुरू में काम शुरू किया, लेकिन बीच में ही सबकुछ छोडकर जयपुर आ गए। यहां हम कुछ अलग करना चाहते थे। इसी दौरान हम ऑटो एक्सपो में गए, वहां हमने कुछ सर्च करना चाहा, तो ऑटो वर्ल्ड उस वक्त ऑनलाइन था ही नहीं। यहीं से हमें कार देखो को आइडिया आया। हमने उस वक्त फंटे वाली टेबल पर वाइट चद्दर लगाकर ऑफिस में काम करते थे, आज हमारा ऑफर देश में अपनी अलग पहचान रखता है।
हम काम के साथ पार्टी करना पसंद करते है। ऑफिस का कल्चर आठ से पांच नहीं रखा, हम 24 घंटे वाले वर्कर है। ऑफिस का कोई फिक्स टाइम नहीं है। हम कभी पार्टी करने लग जाते है, ऑफिस में गेम में लग जाते है। जब काम होता है, तो फिर टाइम नहीं देखते। जयपुर में हमने काम शुरू किया था, यहां हमें कई फायदा मिला। हमने कॉस्ट कटिंग पर काम किया। लोकल लेवल पर टैलेंट बहुत शानदार होता है, यहां लोग रिलायबल है। बैंगलुरू में लोग कंपनी शिफ्ट कर देते है, यहां हमारे पास कई ऐसे लोग है, जो शुरुआत से जुडे हुए है। एक ईकोसिस्टम बना हुआ है, जिस पर काम कर रहे है।
पहले मना कर दिया था शो
अमित और अनुराग ने बताया कि हमें शार्क टैंक इंडिया शो के पहले सीजन में ऑफर किया गया था, लेकिन मैंने उस वक्त तक कुछ भी नहीं देखा हुआ था। दूसरी बार भी बातचीत शुरू हुई, लेकिन ज्यादा फोकस नहीं था। उन्हीं दिनों मैं अपने दोस्त के घर पर गया था, उनका आठ साल का बेटा इक्विटी पर बात कर रहा था। मैं यह देखकर हैरान था, मुझे लग रहा था कि हमें इसकी उम्र में पढाई के लिए कहा जाता था और आज बिजनेस, स्टार्टअप की बातें हो रही है। तब दोस्त ने कहा कि ये लोग शार्क टैंक देखते है। इसके बाद लगा कि इस शो से जुड़ना चाहिए। हालांकि उस वक्त लग रहा था कि लोग हमें जानने लग जाएंगे और प्राइवेट लाइफ खराब हो जाएगी। क्योंकि हम सोशल लाइफ में नहीं रहते है। उस वक्त हमने सोचा कि अभी बहुत कुछ सीखना और नए लोगों से ही कुछ सीखेंगे।