एसवाईएल नहर पर पंजाब-हरियाणा में रार , पानी देने से भगवंत मान ने किया साफ इनकार

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चंडीगढ़ : सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के मुद्दे पर शुक्रवार को चंडीगढ़ स्थित हरियाणा निवास पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच हुई बैठक में कोई सहमति नहीं बन सकी। यह बैठक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बुलाई गई थी।

हरियाणा के सीएम खट्टर ने भगवंत मान से कहा कि पानी पर चर्चा बाद में की जा सकती है, पंजाब पहले नहर बनाए। इस पर भगवंत मान ने जवाब दिया कि जब पंजाब के पास हरियाणा को देने के लिए पानी है ही नहीं तो फिर नहर बनाने का सवाल ही नहीं उठता। मान ने कहा कि हरियाणा पानी के लिए पीएम नरेंद्र मोदी से अपील करे। मान ने कहा कि साल 1981 में हुए एसवाईएल समझौते को 42 साल बाद लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि पंजाब का भूजल स्तर काफी नीचे जा चुका है। पहले पंजाब के पास 4.22 मिलियन फीट पानी था और अब 12.24 मिलियन एकड़ पानी रह गया है। हरियाणा के पास 14.10 मिलियन फीट पानी है और अन्य नदियों का पानी भी हरियाणा के पास है।

इस पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि पंजाब सरकार ने सहमति नहीं जताई है। ऐसे में पहले वह केंद्रीय जल मंत्री गजेंद्र शेखावत को मीटिंग की रिपोर्ट देंगे। अगर शेखावत दोबारा मीटिंग के लिए बुलाएंगे तो आगामी कार्रवाई की जाएगी। ऐसा नहीं हुआ तो हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब केवल 27 प्रतिशत नदियां, नाले और नहरों का इस्तेमाल कर रहा है। 73 प्रतिशत पानी जमीन से निकाला जा रहा है। 1400 किलोमीटर नहरें, नदियां बंद हो गई हैं। मान ने मीटिंग में भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) का मामला भी उठाया और कहा कि इसमें पंजाब-हरियाणा का बराबरी का हिस्सा है तो केंद्र को पानी क्यों दिया जा रहा है। उन्होंने मलेरकोटला से होते हुए सिरसा-डबवाली के नजदीक लसाड़ा नाले का जिक्र भी किया, जिसे हरियाणा ने बंद कर दिया है। समाना के पास हांसी-पठाना नहर का केस कोर्ट में लंबित होने की बात भी मान ने कही।

दोनों मुख्यमंत्रियों की मीटिंग के बाद पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा कि पंजाब में पानी 600 फीट पर जा चुका है। सतलुज और ब्यास अब दरिया नहीं बल्कि नदियां बन चुकी हैं। जब एसवाईएल समझौता साल 1981 में हुआ तब पंजाब के पास 18.56 एमएफ पानी था और अब 12.636 है। उस समझौते को अब लागू नहीं किया जा सकता।

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