गांधीदर्शन में ‘सृजनात्मक समाधानों’ का संदेश

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टोंक:-महात्मा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ गवर्नेंस एंड सोशल साइंसेज परिसर शुक्रवार को देश के ख्यातनाम राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों  के अध्येताओं हेतु एक दिवसीय गांधी दर्शन प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। पुणे , बंगलुरु ,छत्तीसगढ़ ,बिलासपुर, देहरादून, गोवा, पटना, रांची, तमिलनाडु, सोनीपत (हरियाणा) अहमदाबाद (गुजरात ) सीकर , जोधपुर(राजस्थान) रायपुर इत्यादि स्थानों के विधि विषय के विद्यार्थियों ने इस शिविर में सहभागिता की। 

प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन करते हुए संस्थान के निदेशक प्रोफेसर बीएम शर्मा ने विधि विद्यार्थियों को विधि अध्ययन के दौरान गांधी जीवन दर्शन के नैतिक मूल्यों के अध्ययन एवं संविधान का सावधानी पूर्वक अध्ययन कर उनके मूलभूत सिद्धांतों को अपनाने पर ज़ोर दिया। 

उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि ‘मोहन ‘से ‘महात्मा ‘ बनने की जीवन यात्रा का प्रत्येक विद्यार्थी को अध्ययन करना चाहिए जिससे जीवन में आने वाली चुनौतियों का सकारात्मक एवं सृजनात्मक समाधान खोजने की दृष्टि विकसित हो सके। 

डॉ. ज्योति अरुण ने गांधी की जीवन यात्रा का विस्तार से विवरण करते हुए  स्पष्ट किया कि एक सामान्य विद्यार्थी भी यदि सजग नागरिक बन जाए तो किसी भी अन्याय एवं शोषण का विरोध अहिंसक तरीके से कर सकता है। गांधी का जीवन प्रयोगों का प्रतीक है इसलिए आधारभूत नैतिक मूल्यों का अनुसरण करते हुए अपने स्वयं के प्रयोगों से समाज को बेहतर देने का प्रयास करना चाहिए। 

प्रशिक्षण के दूसरे सत्र में डॉ विकास नौटियाल ने गांधीजी द्वारा राष्ट्रीय आंदोलन में चलाए गए विभिन्न आंदोलनों की व्याख्या करते हुए स्पष्ट किया कि गांधी का योग इस बात का प्रतिबिंब है कि समाज की जागरूकता में प्रत्येक चरण महत्वपूर्ण होता है। हमारा दायित्व है कि लंबे संघर्ष से प्राप्त स्वतंत्रता के आधारभूत लोकतांत्रिक मूल्यों को अक्षुण्ण बनाये  रखा जाए। 

इस अवसर पर विद्यार्थियों ने तार्किक प्रश्नोत्तर करते हुए गांधी के मौलिक लेखन को पढ़ने के प्रति प्रतिबद्धता व गहरी रुचि दिखाई। संस्थान के विशेष अधिकारी प्रोफेसर सौमित्र नाथ झा ने विद्यार्थियों को जीवन में अनुशासन का महत्व समझाया एवं आभार व्यक्त किया। 

शिविर का प्रारंभ भजन एवं गांधीजी की प्रिय प्रार्थना के साथ किया गया जिसमें विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।