उत्तरप्रदेश में राहुल मोची की दुकान पर पहुंचे,चप्पल सिली:5 मिनट बातचीत की,पूछा-जूता कैसे बनाते हो;मानहानि केस में कोर्ट में पेशी थी

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राहुल गांधी गृहमंत्री अमित शाह मानहानि केस में शुक्रवार को सुल्तानपुर कोर्ट पहुंचे। लौटते वक्त राहुल ने अचानक अपना काफिला एक मोची की दुकान पर रुकवा लिया। गाड़ी से उतरकर राहुल मोची राम चैत की दुकान पर पहुंचे। चप्पल की सिलाई की। उनसे पूछा कि जूते कैसे बनाते हो।

करीब 5 मिनट तक राम चैत से बातचीत के बाद राहुल वहां से निकल गए। राम चैत ने राहुल से कहा- ‘मैं गरीब हूं। थोड़ी मदद कीजिए।’ राहुल ने नीट छात्र से भी मुलाकात की। कहा कि पेपर लीक होनहार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।

गृहमंत्री अमित शाह मानहानि मामले में ​​16 मिनट तक कोर्ट में रहे
गृहमंत्री अमित शाह मानहानि केस में सुल्तानपुर कोर्ट में राहुल गांधी ने बयान दर्ज कराए। जज से कहा, ‘मैं निर्दोष हूं। मेरे खिलाफ राजनीतिक साजिश हुई है। मैं सारे आरोपों से इनकार करता हूं। मेरी और मेरी पार्टी की छवि को धूमिल करने के लिए आरोप लगाए गए हैं।’

राहुल गांधी शुक्रवार सुबह 11 बजकर 3 मिनट पर कोर्ट पहुंचे। 11:19 बजे कोर्ट से बाहर आ गए। राहुल करीब 16 मिनट तक कोर्ट रूम में रहे। इसके बाद लखनऊ के लिए रवाना हो गए। राहुल के वकील काशी शुक्ला ने कहा, ‘संसद सत्र चल रहा है, इसके बावजूद राहुल सुल्तानपुर कोर्ट आए। यहां पर राहुल ने अपना बयान दर्ज कराया। मुकदमे में अगली सुनवाई 12 अगस्त की है।’

राहुल की वजह से सुल्तानपुर कोर्ट की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। इससे यहां के वकील नाराज हो गए। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और महासचिव ने हड़ताल का ऐलान कर दिया। उन्होंने एक पत्र जारी किया। इसमें लिखा कि राहुल की पेशी के चलते जगह-जगह सुरक्षा बैरिकेडिंग की गई है। इसलिए वकील कोर्ट नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसलिए हमने काम का बहिष्कार किया।

राहुल के पहुंचने से पहले कोर्ट में जबरदस्त भीड़ हो गई। राहुल को बीच में करके सुरक्षाकर्मी अंदर ले गए। राहुल के अंदर जाते ही सुरक्षा के चलते कोर्ट रूम का गेट बंद कर दिया गया।

अब जानिए मानहानि के मामले को
राहुल के खिलाफ सुल्तानपुर में भाजपा नेता विजय मिश्रा ने 2018 में मानहानि का केस दर्ज कराया था। दिसंबर 2023 में इस मामले में राहुल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ था, जिस पर राहुल ने 20 फरवरी को कोर्ट में सरेंडर किया था। फिर उन्हें जमानत मिली थी।

विजय मिश्रा के वकील संतोष पांडेय ने बताया 8 मई 2018 को बेंगलुरु में कर्नाटक चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसमें उन्होंने कहा था, ‘‘अमित शाह हत्या के आरोपी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने खुद लोया मामले में इसका उल्लेख किया। इसलिए मुझे नहीं लगता कि अमित शाह की कोई विश्वसनीयता है। जो पार्टी ईमानदारी और शुचिता की बात करती है, उसका अध्यक्ष हत्या का आरोपी है।”

बता दें कि स्पेशल कोर्ट जज बृजमोहन हरकिशन लोया की मौत दिसंबर 2014 में नागपुर में हुई थी। उस वक्‍त वह अपने एक साथी की बेटी की शादी में गए थे। जज लोया गुजरात के बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे। इसमें अमित शाह आरोपी थे। हालांकि लोया के बेटे ने अपने पिता की मौत को नेचुरल बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे सामान्य मौत बताते हुए मामले की SIT जांच से जुड़ी याचिका खारिज कर दी थी।

याचिकाकर्ता विजय मिश्र ने बताया था कि राहुल के बयान से उनकी भावनाएं आहत हुईं, क्योंकि वे खुद भाजपा से जुड़े हुए थे। उनकी भी समाज में मानहानि हुई है। इसलिए उन्होंने कोर्ट में इस मामले को लेकर केस दायर किया था। विजय मिश्र ने रामचंद्र और अनिल मिश्र को बतौर गवाह पेश किया था। विजय मिश्र ने सबूत के तौर पर यूट्यूब और अन्य वेबसाइट्स पर चले राहुल के बयान को पेश किया था। उन्होंने कहा था कि गवाहों के बयान और अन्य सबूत से राहुल को कोर्ट में तलब करने के पर्याप्त सबूत हैं।

राहुल के खिलाफ दो धाराएं, दो साल की सजा का प्रावधान
राहुल गांधी पर इस मामले में धारा 499 और 500 में केस दर्ज है। धारा 499 के मुताबिक किसी के बारे में झूठी अफवाहें फैलाना, टिप्पणी करना, उसकी मानहानि करना वहीं धारा 500 में मानहानि के लिए दंड का प्रावधान है। इस मामले में दो साल तक की जेल हो सकती है।