लैंड फॉर जॉब केस,लालू समेत 9 को जमानत:तेजस्वी बोलेकेस में दम नहीं,हमारी जीत तय,केंद्र सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही

Front-Page National Politics

लैंड फॉर जॉब मामले में लालू परिवार सहित सभी 9 आरोपियों को जमानत मिल गई है। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें 1-1 लाख के निजी मुचलके पर बेल दी है और सभी को अपना पासपोर्ट सरेंडर करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी।

आज लालू परिवार की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी हुई। सुनवाई के लिए RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, तेजप्रताप और मीसा भारती कोर्ट पहुंचे। इस मामले में पहली बार तेजप्रताप यादव को समन किया गया था।

तेजस्वी यादव ने कहा, “ये लोग लगातार राजनीतिक साजिशें करते हैं। केंद्र सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। इस केस में कोई ठोस आधार नहीं है, हमारी जीत निश्चित है।”

लालू प्रसाद यादव अपनी बेटी मीसा और रोहिणी के साथ रविवार को पटना से दिल्ली आए थे, जबकि तेजप्रताप पहले से ही दिल्ली में थे। तेजस्वी दुबई से रविवार रात देर तक दिल्ली पहुंचे।

दिल्ली रवाना होने से पहले लालू प्रसाद यादव ने पटना एयरपोर्ट पर कहा, “जम्मू-कश्मीर और हरियाणा चुनाव में नरेंद्र मोदी की हार निश्चित है।” सांसद मीसा भारती ने भी कहा, “हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने जा रही है।”

इस पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “लालू यादव जी भ्रष्टाचार के प्रतीक हैं। उन्हें ये सब बातें करने का हक नहीं है। उन्हें जेल से डरने का काम करना चाहिए। जो पाप उन्होंने किए हैं, उसका निर्णय न्यायालय करेगा।”

कोर्ट ने कहा था कि तेजप्रताप यादव की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की सप्लीमेंट्री चार्जशीट को स्वीकार करने के 18 दिन बाद, कोर्ट ने लालू परिवार के अलावा इस मामले में शामिल अखिलेश्वर सिंह और उनकी पत्नी किरण देवी को समन भेजा था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “तेजप्रताप यादव एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक भी थे।”

ED ने 6 अगस्त को 11 आरोपियों के खिलाफ सप्लीमेंट्री आरोप पत्र दायर किया, जिनमें से 4 की मृत्यु हो चुकी है। इसमें लल्लन चौधरी, हजारी राय, धर्मेंद्र कुमार, अखिलेश्वर सिंह, रविंदर कुमार, स्व. लाल बाबू राय, सोनमतिया देवी, स्व. किशुन देव राय, और संजय राय शामिल हैं। लल्लन चौधरी की पत्नी ने पति की मृत्यु से संबंधित पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश की है। कोर्ट ने मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल करने का आदेश दिया था।

कौन हैं किरण देवी

कोर्ट ने किरण देवी को समन जारी किया है। वह पटना की निवासी हैं। नवंबर 2007 में, किरण देवी ने केवल 3.70 लाख रुपए में अपनी 80,905 वर्ग फीट जमीन लालू यादव की बेटी मीसा भारती को बेच दी थी। इसके बाद, 2008 में किरण देवी के बेटे अभिषेक कुमार को सेंट्रल रेलवे, मुंबई में नौकरी मिली।

ED का दावा: लालू हैं लैंड फॉर जॉब स्कैम के मास्टरमाइंड

प्रवर्तन निदेशालय (ED) का दावा है कि लैंड फॉर जॉब मामले में मुख्य साजिशकर्ता पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव हैं। यह दावा ED ने 26 सितंबर को दायर अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में किया।

चार्जशीट में एजेंसी ने बताया कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार ने रेलवे में नौकरी देने के नाम पर लोगों से रिश्वत के रूप में जमीन के टुकड़े लिए। आरोप है कि अपराध से अर्जित इन जमीनों पर लालू प्रसाद यादव के परिवार का कब्जा है।

लालू प्रसाद ने इस घोटाले की साजिश इस तरह रची कि अपराध से अर्जित जमीन पर नियंत्रण उनके परिवार का हो, लेकिन सीधे तौर पर उनके और परिवार के नाम से लिंक न हो।

अपराध से अर्जित आय को छिपाने के लिए कई शेल कंपनियां बनाई गईं, जिनके नाम पर जमीन दर्ज कराई गई। राउज एवेन्यू कोर्ट ने हाल ही में लालू प्रसाद, तेजस्वी और तेजप्रताप को समन जारी किया था।

ED के अनुसार, जांच में यह खुलासा हुआ कि रेलवे में नौकरी के नाम पर रिश्वत के तौर पर जमीन लेना लालू प्रसाद यादव खुद तय कर रहे थे, जिसमें उनके परिवार और करीबी सहयोगी अमित कात्याल शामिल थे।

जमीन की पहचान और कारोबार

लालू के परिवार और उनसे जुड़ी कंपनियों के नाम पर लगभग 7 जमीनें हैं, जो पटना के महुआ बाग में स्थित हैं। इनमें से 4 जमीन अप्रत्यक्ष रूप से राबड़ी देवी से जुड़ी हुई हैं। ED ने कहा कि लालू का महुआ बाग गांव से पुराना रिश्ता है।

महुआ बाग के जुलूमधारी राय, किशुन देव राय, लाल बाबू राय और अन्य ने लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को जमीन दी। राबड़ी देवी ने 1990 में महुआ बाग में एक टुकड़ा खरीदा था।

लालू ने व्यवसायिक लाभ के लिए OSD भोला यादव के जरिए जमीन की पहचान की और रेलवे में नौकरी देने के नाम पर सस्ते में जमीन खरीदी। ये जमीन लालू, उनके परिवार, एके इंफोसिस्टम्स, हृदयानंद चौधरी और ललन चौधरी के नाम पर ट्रांसफर की गई हैं।

एके इंफोसिस्टम्स का शेयर ट्रांसफर

चार्जशीट में ED ने बताया कि एके इंफोसिस्टम्स ने जमीन अधिग्रहण के बाद 13 जून 2014 को राबड़ी देवी को 85% और तेजस्वी यादव को 15% शेयर ट्रांसफर किए। इससे वे मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के पास मौजूद भूमि के मालिक बन गए।

लालू प्रसाद यादव के परिवार ने 1.89 करोड़ रुपए की संपत्ति को केवल 1 लाख रुपए में अपने कब्जे में कर लिया।

जनवरी 2024 में लालू-तेजस्वी से हुई थी पूछताछ

लैंड फॉर जॉब्स मामले में ED की दिल्ली और पटना टीम के अधिकारियों ने 20 जनवरी 2024 को लालू और तेजस्वी यादव से 10 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की। ED सूत्रों के अनुसार, लालू प्रसाद से 50 से अधिक सवाल किए गए, जिनका अधिकांश उत्तर उन्होंने हां या ना में दिया। पूछताछ के दौरान कई बार लालू झल्ला भी गए। तेजस्वी से 30 जनवरी को लगभग 10-11 घंटे तक पूछताछ की गई।

7 पॉइंट में जानिए लैंड फॉर जॉब डील का पूरा खेल

डील 1: CBI ने पाया कि 6 फरवरी 2008 को पटना के किशुन देव राय ने अपनी जमीन केवल 3.75 लाख रुपए में राबड़ी देवी के नाम कर दी। इसी साल उनके परिवार के 3 सदस्यों को मध्य रेलवे मुंबई में ग्रुप डी की नौकरी मिली।

डील 2: फरवरी 2008 में महुआबाग के संजय राय ने भी 3,375 वर्ग फीट जमीन राबड़ी देवी को 3.75 लाख रुपए में बेची। CBI की जांच में पता चला कि संजय राय के अन्य परिवार के 2 सदस्यों को भी रेलवे में नौकरी मिली।

डील 3: नवंबर 2007 में किरण देवी ने 80,905 वर्ग फीट जमीन लालू यादव की बेटी मीसा भारती को 3.70 लाख रुपए में बेची। इसके बाद किरण देवी के बेटे को 2008 में सेंट्रल रेलवे, मुंबई में नौकरी मिली।

डील 4: फरवरी 2007 में हजारी राय ने अपनी 9,527 स्क्वायर फीट जमीन 10.83 लाख रुपए में एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को बेची। इसके बाद उनके 2 भतीजों को रेलवे में नौकरी मिली।

डील 5: मई 2015 में लाल बाबू राय ने मात्र 13 लाख रुपए में अपनी 1,360 वर्ग फीट जमीन राबड़ी देवी के नाम की। CBI ने पाया कि लाल बाबू राय के बेटे को 2006 में रेलवे में नौकरी मिली थी।

डील 6: मार्च 2008 में बृज नंदन राय ने 3,375 वर्ग फुट जमीन हृदयानंद चौधरी को 4.21 लाख रुपए में बेची। हृदयानंद चौधरी को 2005 में रेलवे में नौकरी मिली, और 2014 में इस जमीन को गिफ्ट के माध्यम से लालू यादव की बेटी को ट्रांसफर किया गया।

डील 7: विशुन देव राय ने मार्च 2008 में 3,375 वर्ग फीट जमीन ललन चौधरी को दी। ललन के पोते को 2008 में रेलवे में नौकरी मिली, और फिर ललन ने 2014 में यह जमीन हेमा यादव को ट्रांसफर कर दी।

इन सभी डीलों से यह स्पष्ट होता है कि कैसे जमीन का लेन-देन और नौकरी के अवसरों का एक जटिल नेटवर्क बनाया गया।