भारत ने कनाडा से अपना राजदूत वापस बुलाया:कहा- वहां उनकी सुरक्षा का भरोसा नहीं;कनाडा ने भारतीय हाई-कमिश्नर को संदिग्ध कहा था

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कनाडा के साथ रिश्तों में बढ़ते तनाव के बीच, भारत ने सोमवार, 14 अक्टूबर को अपने हाई कमिश्नर संजय कुमार वर्मा को वापस बुला लिया है। रविवार को कनाडाई सरकार ने एक पत्र जारी किया था, जिसमें हाई कमिश्नर और कुछ अन्य डिप्लोमैट्स को एक मामले में संदिग्ध बताया गया था।

हालांकि, इस मामले की अधिक जानकारी नहीं दी गई, लेकिन इसे हर्डी निज्जर की हत्या से जोड़ा जा रहा है। इसके एक दिन बाद, भारत ने शाम 6 बजे सख्त प्रतिक्रिया दी। भारतीय अधिकारियों ने कनाडाई राजदूत को तलब करते हुए कहा, “कनाडा द्वारा लगाए गए आरोप आधारहीन हैं।” इसके बाद, भारत ने कनाडा में अपने हाई कमिश्नर और अन्य डिप्लोमैट्स को वापस बुलाने की सूचना दी।

विदेश मंत्रालय ने कनाडा के आरोपों को “बेतुका” बताते हुए कहा है कि भारत को कनाडाई सरकार पर भरोसा नहीं है कि वह हाई कमिश्नर संजय कुमार वर्मा की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेगी। मंत्रालय ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये ट्रूडो सरकार का राजनीतिक एजेंडा है, जो वोट बैंक से प्रेरित है। भारत ने यह भी आरोप लगाया कि कनाडा की कैबिनेट में ऐसे लोग शामिल हैं, जो भारत के खिलाफ चरमपंथी और अलगाववादी गतिविधियों से जुड़े हुए हैं।

भारत में कनाडा के डिप्टी हाई-कमिश्नर स्टूअर्ट व्हीलर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कनाडा ने भारत को उन एजेंटों और कनाडाई नागरिक की हत्या में शामिल लोगों के बीच संबंधों के बारे में पर्याप्त सबूत प्रदान किए हैं।

18 जून 2023 को कनाडा के सरे शहर के एक गुरुद्वारे से निकलते समय खालिस्तानी नेता हर्डी निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 सितंबर 2022 को भारत सरकार पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने सख्ती से खारिज कर दिया।

इसके बाद, 3 मई 2023 को निज्जर की हत्या के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जो सभी भारतीय नागरिक हैं। कनाडाई पुलिस ने बताया कि इन पर कई महीनों से नजर रखी जा रही थी और उन्हें विश्वास था कि इन्हें भारत ने निज्जर को मारने का काम सौंपा था। भारत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यह कनाडा का आंतरिक मामला है।

ट्रूडो के लिए निज्जर का मामला क्यों महत्वपूर्ण है, इसका एक कारण यह है कि कनाडा में अक्टूबर 2025 में संसदीय चुनाव होने वाले हैं। खालिस्तान समर्थकों को ट्रूडो की पार्टी का एक बड़ा वोट बैंक माना जाता है। हालांकि, पिछले महीने ट्रूडो सरकार में शामिल खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की NDP पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया, जिससे ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई थी। लेकिन 1 अक्टूबर को हुए बहुमत परीक्षण में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को एक अन्य पार्टी का समर्थन मिल गया, जिससे उन्होंने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया।