जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद हुए विधानसभा चुनाव के पहले सोमवार से विधानसभा का पहला सत्र शुरू हुआ है। सत्र के पहले दिन ही सभा में भाजपा-PDP और नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों के बीच हंगामा हुआ।
PDP विधायक रहमान पारा ने राज्य से 370 हटाए जाने के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया, जिसके विरोध में भाजपा विधायकों ने नारेबाजी की। इस दौरान एक विधायक सदन के वेल में भी पहुंचे।
हंगामे के दौरान CM उमर ने कहा- हमें पता था कि इस प्रस्ताव की तैयारी की जा रही थी। वास्तविकता यह है कि जम्मू-कश्मीर के लोग 5 अगस्त 2019 को लिए गए फैसले को स्वीकार नहीं करते हैं। अगर लोगों ने इस फैसले को स्वीकार किया होता, तो आज नतीजे अलग होते।
सदन 370 पर कैसे चर्चा करेगा, इसका फैसला कोई एक सदस्य नहीं लेगा। आज लाए गए प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं है, यह केवल कैमरों के लिए है। अगर इसके पीछे कोई उद्देश्य होता, तो PDP के विधायक पहले हमसे इस पर चर्चा करते।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ विधायक अब्दुल रहीम राथर को स्पीकर पद के लिए चुना गया है। प्रोटेम स्पीकर मुबारक गुल ने राथर के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया।
राथर अब सातवीं बार विधायक बने हैं और वे केंद्र शासित प्रदेश की पहली विधानसभा के सबसे उम्रदराज सदस्य हैं। इस फैसले की घोषणा रविवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा बुलाई गई विधायक दल की बैठक में की गई, जिसमें कांग्रेस, CPI (M), आम आदमी पार्टी और निर्दलीय विधायकों ने भाग लिया।
भाजपा को डिप्टी स्पीकर का पद मिलने की संभावना है, हालांकि इस पर सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। आज की बैठक में इस मुद्दे पर निर्णय लिया जा सकता है। वहीं, रविवार को भाजपा विधायकों की बैठक में सुनील शर्मा को विधायक दल का नेता चुना गया, जो विधानसभा में विपक्ष के नेता होंगे। सत शर्मा को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाया गया है।
आतंकी हमलों के कारण विधानसभा सत्र में हंगामे की संभावना जताई जा रही है। उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में छह आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें लश्कर के कमांडर सहित छह आतंकवादी मारे गए हैं। इस दौरान तीन सुरक्षा बलों के जवान शहीद हुए हैं और आठ गैर-कश्मीरी श्रमिकों की भी हत्या की गई है। नई सरकार के गठन के बाद आतंकियों ने गैर-कश्मीरियों को निशाना बनाकर कई हमले किए हैं।
सत्र के दौरान फारूक अब्दुल्ला के उस बयान पर भी हंगामे की आशंका है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सुरक्षा बलों को आतंकियों को मारने के बजाय उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए। भाजपा ने इस बयान पर फारूक अब्दुल्ला की आलोचना की है।
उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए हमलों का क्रम निम्नलिखित है:
- 3 नवंबर: श्रीनगर के टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर के पास ग्रेनेड विस्फोट हुआ, जिसमें 12 लोग घायल हुए। घटना के बाद क्षेत्र की घेराबंदी की गई।
- 1-2 नवंबर: श्रीनगर, बांदीपोरा और अनंतनाग में 36 घंटों के भीतर तीन एनकाउंटर हुए। श्रीनगर में लश्कर का कमांडर मारा गया, जबकि अनंतनाग में दो आतंकियों को ढेर किया गया।
- 28 अक्टूबर: अखनूर में तीन आतंकियों को मारा गया, जब उन्होंने सेना की एंबुलेंस पर गोलीबारी की थी।
- 24 अक्टूबर: बारामूला में आतंकियों ने सेना की गाड़ी पर हमला किया, जिसमें तीन जवान शहीद हुए और दो श्रमिकों की भी मौत हुई। इस हमले की जिम्मेदारी PAFF ने ली थी।
- 24 अक्टूबर: पुलवामा में आतंकियों ने एक गैर-कश्मीरी मजदूर को गोली मारकर घायल कर दिया।
- 20 अक्टूबर: सोनमर्ग में पांच गैर-कश्मीरी मजदूरों की हत्या की गई, जिसके लिए लश्कर के संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने जिम्मेदारी ली।
- 16 अक्टूबर: शोपियां में आतंकियों ने एक गैर-स्थानीय युवक की गोली मारकर हत्या की, जिसके बाद इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया गया।
जम्मू-कश्मीर की चार राज्यसभा सीटों पर चुनाव जल्द ही होने की संभावना है, जिसके लिए चर्चा तेज हो गई है। अनुमान है कि चुनाव के परिणाम के आधार पर दो सीटें नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन के खाते में जा सकती हैं, जबकि एक सीट भाजपा को मिल सकती है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला को राज्यसभा भेजा जा सकता है, क्योंकि उन्होंने खराब स्वास्थ्य के चलते विधानसभा चुनाव में भाग लेने से इनकार कर दिया था।
चौथी सीट पर चुनावों के बाद राजनीतिक समीकरणों के अनुसार फैसला होगा। 2015 में भी इसी तरह की स्थिति बनी थी, जब सत्तारूढ़ PDP और भाजपा को एक-एक सीट मिली थी। उस समय नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस के उम्मीदवार गुलाम नबी आजाद को समर्थन दिया था, जबकि चौथी सीट PDP-भाजपा गठबंधन के हिस्से में आई थी।