राजस्थान में एसआई भर्ती परीक्षा के पेपरलीक मामले में एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस चार्जशीट में आरपीएससी (राजस्थान लोक सेवा आयोग) के पूर्व सदस्य रामूराम राइका, सदस्य बाबूलाल कटारा और तत्कालीन चेयरमैन संजय क्षोत्रिय सहित 12 लोगों के नाम शामिल हैं। कोर्ट ने मंगलवार को चार्जशीट को रिकॉर्ड पर लिया।
चार्जशीट के अनुसार रामूराम राइका ने अपने बेटे देवेश और बेटी शोभा को एसआई पद पर चयनित कराने के लिए पेपर एक माह पहले ही हासिल कर लिया था। राइका ने इस पेपर का उपयोग न केवल अपने बच्चों की लिखित परीक्षा के लिए किया, बल्कि इंटरव्यू में भी धांधली की। आरोप है कि राइका ने इंटरव्यू बोर्ड को पहले ही अपनी बेटी की फोटो दिखा दी थी ताकि उसकी पहचान स्पष्ट रहे। इसके अलावा, बेटे के इंटरव्यू से पहले राइका ने आरपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष संजय क्षोत्रिय से मुलाकात की थी। चार्जशीट के अनुसार, इस मुलाकात में क्षोत्रिय ने कथित रूप से राइका को सहयोग का आश्वासन दिया था।
राइका ने एसआई भर्ती का पेपर आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा से प्राप्त किया था। कटारा को इस परीक्षा का पेपर तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आरोप है कि राइका ने परीक्षा से लगभग एक माह पहले ही कटारा से पेपर और मॉडल-की हासिल कर ली थी। एसओजी की जांच में यह भी सामने आया कि राइका ने कटारा के उस कमरे की पहचान की, जहां उसने मोबाइल से पेपर की फोटो खींची थी। इसके अतिरिक्त, राइका ने अध्यक्ष संजय क्षोत्रिय के आवास का भी जिक्र किया, जहां वह इंटरव्यू के दिन पहले उनसे मिलने गया था।
चार्जशीट में यह भी खुलासा हुआ है कि राइका के बेटे देवेश का इंटरव्यू आरपीएससी के तत्कालीन चेयरमैन संजय क्षोत्रिय के बोर्ड में हुआ था, जबकि उसकी बेटी शोभा का इंटरव्यू आरपीएससी सदस्य कटारा के बोर्ड में लिया गया था। इन इंटरव्यू में देवेश को 28 और शोभा को 34 नंबर दिए गए थे, जिससे उनकी चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं।
एसओजी ने इस पेपरलीक और भर्ती घोटाले की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत जांच की है और सबूतों के आधार पर आरोपियों की पहचान की है। इस चार्जशीट में शामिल अन्य नामों पर भी विस्तृत जांच जारी है। हालांकि, इस पूरे मामले पर आरपीएससी के तत्कालीन चेयरमैन संजय क्षोत्रिय का पक्ष जानने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं की।
राजस्थान में यह मामला शिक्षा और भर्ती प्रणाली में पारदर्शिता की मांग को लेकर एक बड़ा मुद्दा बन गया है। एसओजी की जांच और चार्जशीट से यह स्पष्ट हो गया है कि इस मामले में कई उच्च पदस्थ व्यक्तियों की संलिप्तता है, जो राज्य की भर्ती प्रक्रिया पर एक गंभीर सवाल उठाती है।