महाराष्ट्र:23 दिन बाद फडणवीस सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार,42 मंत्रियों ने ली शपथ

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजों के 23 दिन बाद रविवार को नागपुर के राजभवन में फडणवीस सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। इसमें 33 कैबिनेट मंत्री और 6 राज्य मंत्री शपथ ग्रहण कर चुके हैं। मुख्यमंत्री और दो डिप्टी सीएम समेत मंत्रियों की संख्या अब 42 हो गई है, जबकि कैबिनेट में कुल 43 पदों की जगह है।

मंत्रिमंडल में पार्टियों का समीकरण

फडणवीस सरकार में शामिल 42 मंत्रियों में 19 भाजपा, 11 शिवसेना और 9 NCP कोटे से मंत्री बनाए गए हैं। इसमें 4 महिलाएं (3 भाजपा और 1 NCP) और एक मुस्लिम मंत्री (NCP) शामिल हैं।

  • सबसे युवा मंत्री: NCP की अदिति तटकरे (36 वर्ष)
  • सबसे वरिष्ठ मंत्री: भाजपा के गणेश नाइक (74 वर्ष)
  • सबसे शिक्षित मंत्री: भाजपा के पंकज भोयर (PhD)
  • सबसे कम पढ़े-लिखे मंत्री: शिवसेना के भारत गोगावले (8वीं पास)

उम्र के हिसाब से मंत्रियों का वर्गीकरण

  • 30-40 वर्ष: 2 मंत्री
  • 40-50 वर्ष: 12 मंत्री
  • 50-60 वर्ष: 12 मंत्री
  • 60 वर्ष से अधिक: 13 मंत्री

मंत्रिमंडल विस्तार की 4 अहम बातें

  1. 33 साल बाद नागपुर राजभवन में शपथ ग्रहण: इससे पहले 1991 में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सुधाकरराव नाइक के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था।
  2. सुधाकरराव नाइक के भतीजे इंद्रनील नाइक ने NCP कोटे से राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली।
  3. भाजपा के MLC पंकजा मुंडे और उनके भाई NCP विधायक धनंजय मुंडे कैबिनेट मंत्री बने। ये दोनों दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे के परिवार से हैं।
  4. भाजपा कोटे से नितेश राणे मंत्री बने हैं। वह पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के बेटे हैं।

महायुति सरकार का कार्यकाल और विभागों का बंटवारा

डिप्टी सीएम अजित पवार ने बताया कि नए मंत्रियों का कार्यकाल ढाई साल का होगा। महायुति सरकार के सभी मंत्रियों पर यह नियम लागू होगा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक:

  • भाजपा: गृह, राजस्व, उच्च शिक्षा, कानून, ऊर्जा और ग्रामीण विकास जैसे विभाग अपने पास रखना चाहती है।
  • शिवसेना: हेल्थ, शहरी विकास, सार्वजनिक कार्य और उद्योग विभाग मिलने की संभावना है।
  • NCP: वित्त, योजना, सहकारिता और कृषि विभाग की पेशकश की गई है।

गृह मंत्रालय को लेकर खींचतान

मंत्रिमंडल विस्तार में देरी की वजह गृह और वित्त मंत्रालय को लेकर असहमति बताई जा रही है। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे गृह मंत्रालय पर दावा कर रहे थे, जबकि भाजपा इसे किसी और को सौंपना नहीं चाहती थी। शिंदे सरकार के दौरान गृह विभाग देवेंद्र फडणवीस के पास था, जिसे शिंदे अब अपने पास रखना चाहते थे।