माता शाकम्भरी का प्रकाट्य महोत्सव,18किलो मीटर शाकम्भरी तक पदयात्रा- 7हजार फीट लंबी चुनरी अर्पण ,

Rajasthan Religion

मनोज टांक
उदयपुरवाटी ( झूंझुनूं)

भजनों पर नाचते गाते माता शाकम्भरी के भक्त, हाथों में थामे 2 रोल में 7हजार फीट लंबी माता की चुनरी, नगाड़े बजाते हुए गुर्जर समाज के गोठिए, आमजन द्वारा की जा रही पुष्पवर्षा, डीजे पर बजते माता के भजनों पर नाचते महिला व पुरुष श्रद्धालु, होठों पर माता के जयकारे। ऐसा ही श्रद्धा से सराबोर दृश्य शुक्रवार को उदयपुरवाटी से शाकम्भरी तक अरावली की पहाडिय़ों के बीच दिखाई दिया।
प्रख्यात शक्तिपीठ शाकंभरी माता के प्राकट्य महोत्सव को लेकर बस स्टैंड से शुरू हुई। विश्व शाकंभरी कुटुंब की ओर से चुनरी पदयात्रा का दृश्य देखते ही बन रहा था। हजारों हज़ार श्रद्धालु इस विशाल चुनरी पदयात्रा में शामिल हुए। झुंझुनूं रोड स्थित गणपति मैरिज गार्डन के परिसर में शाकंभरी माता के महंत दयानाथ महाराज, विश्व शाकंभरी कुटुंब परिवार के संयोजक सुभाष अग्रवाल कोलकाता, सुरेंद्र कुमार कानपुर, श्याम बिंदल नीमच आदि ने विधिवत पूजा करके पदयात्रा को रवाना किया। यहां से रवाना होकर यहां से करीब 18 किलोमीटर चलकर मां शाकंभरी के दरबार में पहुंची। श्रद्धालुओं ने जयकारों की गूंज और गीतों पर नाचते गाते हुए चुनरी को मां शाकंभरी की ब्रह्माणी व रुद्राणी प्रतिमाओं को अर्पित किया। कार्यक्रम में देश-विदेश से आए माता के भक्तों ने भाग लिया। इस दौरान पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी, निर्माण कमेटी के चेयरमैन शिवदयाल शर्मा , निशा कंवर , रवि सैनी नवलगढ, वीरपाल सिंह शेखावत नवलगढ समेत बड़ी संख्या में गणमान्यजन शरीक हुए।

“इस प्रकार बनी 7हजार फीट लंबी चुनरी”

1हजार से अधिक चुनरी जोडक़र माता शाकंभरी के प्राकट्य महोत्सव के लिए माता शाकंभरी के अर्पण करने के लिए 7हजार फीट लंबी चुनरी तैयार हुई। इनको एक साथ जोडऩे का कार्य किया गया। गणपति मैरिज गार्डन से सकराय धाम तक करीब 18किमी. लंबे धार्मिक समागम में हजारों पदयात्री शामिल हुए। पदयात्री 7हजार फीट लंबी (करीब सवा 2किलोमीटर) चुनरी को हाथों में थामे श्रद्धालु सकराय पहुंचे। इसके साक्षी देश-विदेश से आए माता के हजारों भक्त भी बने। चुनरी माता की ब्रह्माणी व रुद्राणी प्रतिमाओं को अर्पण की गई। 7हजार फीट लंबी चुनरी के लिए 3500-3500फीट के 2 रोल तैयार किए गए। पदयात्रा में माता की प्रतिमा के सामने ज्योत लेकर सबसे आगे रथ चल रहा था और दो घोड़ी पर मां के दो निशान रवाना किए गए।

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