कोटा रिवर फ्रंट पर दुनिया की सबसे बड़ी घंटी को मोल्ड बॉक्स से निकालने के दौरान रविवार को हादसा हो गया। मोल्ड बॉक्स पर चढ़े कास्टिंग इंजीनियर देवेंद्र आर्य और उनके साथ खड़ा मजदूर करीब 35 फीट ऊंचाई से नीचे गिर गए। दोनों को कोटा के तलवंडी स्थित निजी अस्पताल ले जाया गया है। जहां इंजीनियर और मजदूर की मौत हो गई।
बैलेंस बिगड़ने से 35 फीट की ऊंचाई से गिरे
कुन्हाड़ी थानाधिकारी महेंद्र कुमार ने मोल्ड बॉक्स से घंटी को निकालने का काम चल रहा था। दोपहर 3 बजे इंजीनियर देवेंद्र आर्य और मजदूर छोटू मोल्ड बॉक्स से घंटी काे निकालने की प्रक्रिया में जुटे थे। हाइड्रोलिक क्रेन की मदद से घंटी को निकाला जा रहा था। इस दौरान सबसे ऊपर वाला गार्डर (लोहे का जॉइंट) हाइड्रोलिक मशीन से टच होते ही खिसक गया और तीन टुकड़ों में टूट गया।
इसके बाद दोनों का बैलेंस बिगड़ गया और 35 फीट की ऊंचाई से गिर गए। इसके बाद दोनों के सिर और हाथ-पैरों पर गंभीर चोट आई थी। हादसे में छोटू की अस्पताल ले जाते ही और इंजीनियर की इलाज के दौरान शाम 5 बजे मौत हो गई है। बता दें कि घंटी मोल्ड बॉक्स के सांचे में है और इसे इसी महीने निकालना था।
विवाद के बाद आर्य को फिर से बुलाया था
दुनिया की सबसे बड़ी घंटी को सांचे से बाहर निकालने का काम इसी महीने फिर से शुरू किया गया था। यूआईटी और ठेकेदार ने इसके लिए सांचे में ढालने वाले इंजीनियर देवेंद्र आर्य को 3 नवंबर को बुलाया था। इससे पहले 80 दिनों तक यूआईटी और ठेकेदार ने घंटी को निकालने की कोशिश की थी। जब वे सफल नहीं हो पाए तो फिर से देवेंद्र को बुलाया गया था। जिसके बाद इसे सांचे से निकालने का काम शुरू कर दिया गया था। गौरतलब है कि 79 हजार किलो वजन की घंटी की ढलाई देवेंद्र आर्य ने रिवर फ्रंट पर अस्थाई फैक्ट्री लगाकर की थी।
17 अगस्त को घंटी को सांचे में ढाला गया था
17 अगस्त को इसे सांचे में ढाल दिया गया था, लेकिन बाद में श्रेय लेने की होड़ में आर्किटेक्ट अनूप और आर्य के बीच विवाद हो गया था। देवेंद्र बिना सांचे से घंटी को निकाले ही लौट गए थे। देवेंद्र आर्य ने दावा किया था कि घंटी की ढलाई के दौरान जिन कैमिकल का इस्तेमाल उन्होंने किया था, उनमें रिएक्शन करवाने के बाद ही घंटी को निकाला जाएगा। इसकी जानकारी उनके अलावा किसी के पास नहीं है।