नई दिल्ली:-नई दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी जारी है। इस खास मौके पर सेना, नौसेना, वायु सेना,राज्य पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के संगीत बैंड राष्ट्रपति के सामने 29 शास्त्रीय धुनें बजा रहे हैं। कुछ देर में देश के इतिहास का सबसे बड़ा ड्रोन शो होगा। इस शो में 3,500 घरेलू ड्रोन शामिल होंगे।
इसके पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सेरेमनी में पहुंचीं। उन्हें सेना की टुकड़ियों ने सैल्यूट किया। राष्ट्रगान के साथ ही सेरेमनी शुरू हुई। सेरेमनी में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, PM नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, CDS जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद हैं।
हर साल 29 जनवरी को राजधानी के विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट समारोह होता है। बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी को सेना की वापसी का प्रतीक माना जाता है। तीनों सेना के बैंड पारंपरिक धुन बजाकर राष्ट्रपति से अपनी बैरकों में लौटने की इजाजत मांगते हैं।
यह कार्यक्रम देश के सबसे बड़े ड्रोन शो का गवाह बनेगा जिसमें 3,500 स्वदेशी ड्रोन शामिल होंगे। ड्रोन शो रायसीना हिल्स पर आकाश को रोशन करेगा। ड्रोन आपसी तालमेल के माध्यम से राष्ट्रीय आंकड़ों/घटनाओं के असंख्य रूपों को बुनेंगे। यह शो स्टार्टअप इकोसिस्टम की सफलता और देश के युवाओं के तकनीकी कौशल को दर्शाएगा और भविष्य के लिए रास्ता दिखाएगा। बोटलैब्स डायनेमिक्स ड्रोन शो का आयोजन करेगा।
पहली बार नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक पर 3D एनामॉर्फिक प्रोजेक्शन का भी आयोजन होगा।
कार्यक्रम में बजाई गईं 29 धुनें
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, सेना के तीनों अंग और राज्य पुलिस व CAPF के संगीत बैंड द्वारा ‘बीटिंग द रिट्रीट’ सेरेमनी में 29 धुनों को बजाया गया। समारोह की शुरुआत अग्नीवीर धुन के साथ हुई। रक्षा मंत्रालय ने बताया, सेना और पुलिस बल ने ‘अल्मोड़ा’, ‘केदारनाथ’, ‘संगम दूर’, ‘सतपुड़ा की रानी’, ‘भागीरथी’, ‘कोंकण सुंदरी’ जैसी मोहक धुनें बजाईं। इनमें वायु सेना के बैंड ने ‘अपराजेय अर्जुन’, ‘चरखा’, ‘वायु शक्ति’, ‘स्वदेशी’ धुन बजाईं। वहीं नौसेना के बैंड ‘एकला चलो रे’, ‘हम तैयार हैं’ और ‘जय भारती’ की धुनें बजाईं। इंडियन आर्मी का बैंड ‘शंखनाद’, ‘शेर-ए-जवान’, ‘भूपाल’, ‘अग्रणी भारत’, ‘यंग इंडिया’, ‘कदम कदम बढ़ाए जा’, ‘ड्रमर्स कॉल’ और ‘ऐ मेरे वतन के’ धुन बजाए। कार्यक्रम का समापन ‘सारे जहां से अच्छा’ की धुन के साथ हुआ।
इसके पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सेरेमनी में पहुंचीं। उन्हें सेना की टुकड़ियों ने सैल्यूट किया। राष्ट्रगान के साथ ही सेरेमनी शुरू हुई। सेरेमनी में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, PM नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, CDS जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद रहे।
क्यों होती है बीटिंग द रिट्रीट ?
बीटिंग द रिट्रीट सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है। इस समारोह में भारत के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि होते हैं। राष्ट्रपति के आते ही उन्हें नेशनल सैल्यूट देकर राष्ट्रगान जन-गण-मन शुरू होता है, तिरंगा फहराया जाता है। इसके बाद तीनों सेनाओं के बैंड मिलकर पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं। तीनों सेना के बैंड वादन के बाद रिट्रीट का बिगुल बजता है। इसके बाद बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की इजाजत मांगते हैं।
300 साल से भी ज्यादा पुराना इतिहास
बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की परंपरा राजा महाराजाओं के समय चली आ रही है। जब सूर्यास्त के बाद जंग बंद होने का ऐलान होता था। बिगुल बजाते ही सैनिक युद्ध बंद कर पीछे हट जाते थे। यब परम्परा 300 साल से भी ज्यादा पुरानी है। भारत के अलावा ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी होती है। भारत में इसकी शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी।