जयपुर:-मंगलवार को शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी. के. गोयल रिटायर हो गए। गोयल प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में पांचवे नम्बर की सीनियरिटी पर थे। वे अगस्त-2021 से शिक्षा विभाग की कमान संभाल रहे थे। उनके पद का अतिरिक्त कार्यभार पंचायतीराज विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव अपर्णा अरोरा को सौंपा गया है। राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी के इतिहास में यह पहला मौका है, जब बजट सत्र के बीच में सरकार के सबसे बड़े महकमे शिक्षा विभाग का नेतृत्व अतिरिक्त कार्यभार के रूप में सौंपा गया है।
अभी विधानसभा में बजट सत्र चल रहा है। शिक्षा विभाग सरकार का सबसे बड़ा विभाग है। इसमें करीब साढ़े तीन लाख शिक्षक-कर्मचारी और करीब एक करोड़ विद्यार्थी हैं। बजट में भी सबसे ज्यादा योजनाएं शिक्षा व चिकित्सा विभाग से जुड़ी हुई होती हैं। प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के जानकारों का कहना है कि सरकार को बजट सत्र में तुरंत इस पद पर किसी समकक्ष आईएएस अफसर को फुल चार्ज के साथ लगाना चाहिए था।
बजट में शिक्षा संबंधी योजनाओं की तैयारी और सदन में शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला और शिक्षा राज्य मंत्री जाहिदा खान को जिन सवालों का जवाब देना है, उनमें उलझन सामने आ सकती है।
इस साल 10 IAS अफसर होंगे रिटायर
राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी के लिए वर्ष 2022 और 2023 आईएएस अफसरों की कमी को बढ़ाने वाले साल साबित हो रहे हैं। वर्ष 2022 में 19 अफसर रिटायर हो गए और वर्ष 2023 में पी. के. गोयल सहित 10 आईएएस अफसर रिटायर होंगे। इनके अलावा 30 आईएएस अफसर ऐसे हैं जो केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति, स्टडी लीव, कैडर डेपुटेशन जैसे कारणों के चलते राजस्थान में नियुक्त नहीं हैं।
देश में किसी भी राज्य की तुलना में राजस्थान में ही आईएएस अफसरों की कमी सबसे ज्यादा है। इससे पहले पिछले दो दशक में वर्ष 2009 में ऐसा हुआ था, जब एक ही साल में 15 आईएएस अफसर रिटायर्ड हुए थे।
राजस्थान लगातार आईएएस अफसरों की कमी से जूझ रहा है। राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से देश में सबसे बड़ा और आबादी की दृष्टि से सातवें नम्बर का सबसे बड़ा राज्य है। यहां की विषम भौगोलिक परिस्थितयों (61 प्रतिशत इलाका रेगिस्तानी) के चलते दूर-दराज के इलाकों में प्रशासनिक तंत्र को चलाना बहुत मुश्किल है। यह बात कई बार केन्द्र के सामने स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उठा चुके हैं।
गहलोत अपने पिछले दोनों कार्यकाल में भी केन्द्र के साथ विभिन्न मंचों पर इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। दो कार्यकाल में बतौर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी इस मुद्दे को उठाया था। करीब पांच महीने पहले कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव हेमंत गेरा भी केन्द्र के समक्ष राजस्थान का पक्ष रख चुके हैं। हालांकि केन्द्र ने उनको कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया।
आईएएस अफसरों की कमी के चलते मौजूदा अफसरों पर कार्यभार अधिक है। कई अफसरों को एक से अधिक पद भी सम्भालने पड़ रहे हैं । इसका असर सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग, समय पर पूरा करने, बेहतर प्रदर्शन पर भी पड़ता है। जनता को सरकारी तन्त्र का लाभ पूरा नहीं मिल पाता है।
राजस्थान काडर में अभी करीब 100 और आईएएस की जरूरत है
राजस्थान काडर में आईएएस के 313 पद स्वीकृत हैं। इनके एवज में 244 अफसर ही काम कर रहे हैं। इनमें से 30 अफसरों के बाहर होने से 214 अफसर ही राजस्थान में हैं। जबकि राजस्थान में क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से लगभग 365 आईएएस अफसरों का काडर होना चाहिए।
पिछले 10 वर्षों में राजस्थान काडर में अलॉट हुए आईएएस अफसरों की संख्या
पिछले एक दशक में राजस्थान काडर में अलाॅट होने वाले आईएएस अफसरों के पदों की संख्या घटती-बढ़ती रही है। इस बार 2022 में जो 9 अफसर मिले हैं, इनकी संख्या पिछले तीन वर्षों में सबसे ज्यादा हैं। वर्ष 2013 में 26, 2014 में 10, 2015 में 13, 2014 में 10, 2015 में 13, 2016 में 9, 2017 में 10, 2018 में 12, 2019 में 7, 2020 में 6 और 2021 में भी 6 आईएएस के पद मिले हैं।