मणिपुर के थोउबल जिले में रविवार को वक्फ (संशोधन) कानून को समर्थन देने के चलते भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष असकर अली मकाकमयुम के घर पर भीड़ ने हमला कर दिया। घर में तोड़फोड़ के बाद आगजनी की गई। घटना के बाद असकर अली ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक माफी मांगते हुए केंद्र सरकार से इस कानून को वापस लेने की अपील की।
फेसबुक पोस्ट में असकर अली ने लिखा, “अगर मेरे बयान से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो मैं माफी चाहता हूं। कृपया इस मुद्दे पर राजनीति न करें। केंद्र सरकार से आग्रह है कि वह इस कानून को वापस ले।” उन्होंने इस पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू सहित भाजपा नेताओं को टैग भी किया।
राजनीतिक और कानूनी चुनौती:
नए वक्फ कानून को लेकर राजनीतिक विवाद बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने सोमवार को इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की। पार्टी की ओर से राज्यसभा सांसद मनोज झा और नेता फैयाज अहमद याचिका दायर करेंगे। इससे पहले कांग्रेस, एआईएमआईएम, आम आदमी पार्टी, और कई मुस्लिम संगठनों की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं।
सरकार की ओर से क्या कहा गया?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार रात वक्फ (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दी, जिसके बाद सरकार ने इस पर गजट नोटिफिकेशन जारी किया है। इस कानून को 2 अप्रैल को लोकसभा और 3 अप्रैल को राज्यसभा में लंबी बहस के बाद पारित किया गया था।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह कानून वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाने और अतिक्रमण रोकने के लिए लाया गया है। राज्यसभा में 128 सांसदों ने इसके पक्ष में और 95 ने विरोध में वोट दिया था, जबकि लोकसभा में 288 समर्थन और 232 विरोध में थे।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का विरोध:
AIMPLB ने एक बयान में वक्फ संशोधन कानून को ‘शरीयत, धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान के मूल ढांचे पर हमला’ बताया। बोर्ड ने राष्ट्रव्यापी विरोध अभियान छेड़ने का ऐलान किया है और कहा है कि यह तब तक जारी रहेगा जब तक कानून को पूरी तरह रद्द नहीं किया जाता।
विपक्ष की प्रतिक्रियाएं:
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस कानून को मुसलमानों पर ‘हमला’ बताते हुए कहा कि यह भविष्य में अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ भी मिसाल बन सकता है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि यह कानून “पूंजीपतियों को जमीन सौंपने का जरिया” बन सकता है।
PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने इसे “मुसलमानों की संस्था पर हमला” बताया।
NC सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह ने कहा कि “भारत बहुसंख्यकवाद के अंधे युग में प्रवेश कर चुका है।”
सामाजिक और धार्मिक संगठनों की भूमिका:
देशभर के मुस्लिम संगठनों ने विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। 11 अप्रैल से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया है, जबकि विहिप जैसे संगठनों ने कानून को लेकर सरकार के समर्थन में बयान दिए हैं।
नए कानून को लेकर देशभर में माहौल गर्माता जा रहा है और यह राजनीतिक से लेकर सामाजिक मंचों तक गहन चर्चा का विषय बन गया है।