जयपुर:-विधानसभा में बजट बहस के दौरान गुरुवार को अडाणी को लेकर बीजेपी के आरोपों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पलटवार किया। गहलोत ने तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी राज में राज्य सरकार को मिला हुआ कोल ब्लॉक अडाणी साहब को दिया।
अलॉटमेंट हुआ राज्य सरकार को और आपने अडाणी के साथ एमओयू किया, खनन किया और आप हमें दोष दे रहे हो कि हमने जमीन दी अडाणी को। आपने भी जमीन दी, हमने भी दी। देश के कई जगह उद्योगपतियों को जमीन देने की मांग हो रही होगी। हम सोच समझकर स्कीम बनाते हैं।
गहलोत ने कहा- अडाणी का आपने नाम लिया। मुझे उसमें भी राज लगता है। आपने नाम लिया कैसे? पूरा देश तो मोदीजी को ब्लेम कर रहा है। या तो आपको इशारा हुआ है कि मोदीजी और अडाणी की दूरी दिखाओ, इसलिए असेंबली में जाकर कुछ बोलो। ऐसा आपको कहा गया होगा। वरना अडाणी के बारे में बोलने का तुक क्या था?
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने सीएम से कहा कि आपकी और अडाणी जी की नजदीकियां पूरा हिंदुस्तान और प्रदेश देख रहा है। वो आपको मुबारक। गहलोत ने राठौड़ से कहा- आपने अडाणी के बारे में बोलने की हिम्मत की। इसके लिए मैं आपकी दाद देता हूं। राजेंद्र राठौड़ ने दो दिन पहले बजट बहस में बोलते हुए गहलोत सरकार पर अडाणी को जमीन लुटाने का आरोप लगाया था। उस आरोप का गहलोत ने आज विस्तार से जवाब दिया है।
कर्मचारियों को भगवान भरोसे नहीं छोड़ सकते
मुख्यमंत्री ने कहा- जब विधायकों और सांसदों की सैलरी मनमर्जी से बढ़ सकती है तो सरकारी कर्मचारियों को भगवान भरोसे नहीं छोड़ सकते। उन्हें भी पेंशन का हक है। ओपीएस पर अब भी प्रधानमंत्री को समझा दीजिए। समय है। केंद्र सरकार एनपीएस का पैसा शेयर बाजार में लगा रही है। अभी देखा कि अडाणी का शेयर नीचे आ गया, देखा क्या हुआ?
केंद्र ने राजस्थान के फंड में 21 हजार करोड़ की कटौती की, कोई सांसद नहीं बोला
गहलोत ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा- राजस्थान के बजट में 21 हजार करोड़ की कटौती की गई है। राज्य सरकार के लिए इतनी बड़ी रकम मायने रखती है। केंद्र सरकार ने राजस्थान के बजट में इतनी बड़ी कटौती के बावजूद कोई सांसद नहीं बोला। 25 सांसद हैं राजस्थान के। किसी सांसद ने राजस्थान के हितों की पैरवी नहीं की। जब ऐसी हालत बनती है तो राज्य के सांसदों की ड्यूटी बनती है कि वे आवाज उठाएं।
नए टैक्स स्लैब ने सभी को भ्रमित किया
गहलोत ने कहा – हमारे शानदार बजट का कमाल है कि राजस्थान में प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है। पिछले साल 1.56 लाख प्रति व्यक्ति आय हो गई है। चार साल में 10 फीसदी की औसत से बढ़ोतरी हुई है, जबकि देश का औसत 7 फीसदी का है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में राजस्थान पिछड़े राज्यों से निकलकर अग्रणी राज्यों में आ गया है।
गहलोत ने कहा- हर क्षेत्र में भारत सरकार ने कटौती की है। सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम में मोदी सरकार ने 71 फीसदी की कटौती की है। स्वच्छ भारत मिशन में 30 फीसदी और राष्ट्रीय कृषि मिशन में 32 फीसदी की कटौती की गई। नए इनकम टैक्स के स्लैब ने भी सबको भ्रमित किया है।
बीजेपी को राजस्थान की जनता माफ नहीं करेगी
गहलोत ने कहा- पूनिया जी अभी बोल रहे थे। बड़ा गरिमा पूर्ण पद होता है अध्यक्ष का। मैं भी अपनी पार्टी का तीन बार प्रदेश अध्यक्ष रहा हूं। आप लोग अगर पीएम मोदी से राजस्थान के हितों को लेकर बात करें तो क्या वह आपकी बात नहीं सुनेंगे? आप लोगों ने ईआरसीपी को लेकर पीएम से बात नहीं की वरना प्रधानमंत्री ने दौसा में जिस तरह की बातें कीं, वह नहीं करते। ईआरसीपी जैसी शानदार योजना में आप लोग जिस तरह की अड़चनें लगा रहे हो उसे देखकर राजस्थान की जनता आपको माफ नहीं करेगी।
ERCP वसुंधरा राजे की योजना है, जानबूझकर रोकना चाहते हो
गहलोत ने बीजेपी नेताओं पर तंज कसते हुए कहा- यह राज क्या है कि ईआरसीपी को रोका जा रहा है। यह तो चूरू से आने वाले विधायक ही जानते हैं। इस पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राज को राज ही रहने दो। हम राज को राज क्यों रहने देंगे। हम तो कहेंगे कि यह वसुंधरा राजे की योजना है और जानबूझकर इस योजना को रोकना चाहते हो।
बजट बहस में कटारिया की जगह बोले पूनिया, कहा- गैंगवार और गैंगरेप बड़े कलंक
इससे पहले बजट बहस के दौरान नेता प्रतिपक्ष के स्थान पर सतीश पूनिया ने कहा- गैंगरेप और गैंगवार प्रदेश पर बडे़ कलंक हैं। उस सीकर की बेटी को कैसे भूल सकते हैं जो अपने मृत पिता के सिर को उठाए बिलख रही थी। बदमाशों ने उसे गोली मार दी थी।
तबादला उद्योग बदनाम हो चुका है। तबादलों की राजनीति ने राजस्थान की राजनीति को बदनाम किया है। शिक्षकों के सम्मेलन की बात है जिसमें सीएम और शिक्षा मंत्री मौजूद थे। सीएम ने पूछा कि तबादलों में पैसा चलता है तो जवाब हां में आया। किसी को यह उम्मीद नहीं थी इसलिए फिर से पूछा तो भी हां में जवाब आया। तबादलों की राजनीति ने राजस्थान की राजनीति को बदनाम किया।
राज्यपाल के अभिभाषण और बजट बहस पर मुख्यमंत्री से ठीक पहले नेता प्रतिपक्ष का भाषण होता है, लेकिन कटारिया के असम का राज्यपाल मनोनीत होने के कारण पूनिया ने बहस में जवाब दिया।
‘कांग्रेस ने चार साल से राजस्थान को राजनीतिक अस्थिरता में डाला’
पूनिया ने कहा- राजस्थान की सरकार शुरू से ही अंतर्विरोध से घिरी रही है। राजभवन में मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद दूसरे सीएम के नारे लगते हुए देखे। बाद में कमरों के झगड़े हुए। 52 दिन सरकार बाड़े में बंद रही। इन सबकी परिणति बाद में इस्तीफों के रूप में सामने आई। कांग्रेस ने चार साल से राजस्थान को राजनीतिक अस्थिरता में डाला।
मुख्यमंत्री ‘घोषणाजीवी’
पूनिया ने कहा- उच्च शिक्षा के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। कॉलेज खोलने की घोषणा कर दी, लेकिन न भवन है और न फैकल्टी। एक कॉलेज की हालत तो यह थी कि लैब असिस्टेंट चला रहे थे। मैं सम्मान के साथ मुख्यमंत्री को ‘घोषणाजीवी’ कहता हूं। इनकी नीति और नीयत ठीक होती तो आते ही घोषणाएं करते।