अयोध्या:-अयोध्या के राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद BJP लोगों को अयोध्या दर्शन कराएगी। देशभर की 543 लोकसभा सीटों और सभी विधानसभा क्षेत्रों से करीब 2.5 करोड़ लोग अयोध्या लाए जाएंगे। यहां रामलला के दर्शन और अयोध्या घूमने के बाद लोग अपने-अपने शहरों को लौटेंगे।
इस दौरान लोगों को बताया जाएगा कि कैसे BJP ने राममंदिर की लड़ाई लड़ी। पहले स्वरूप कैसा था, आज क्या है। इसका फायदा आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक आधारों पर क्या होने वाला है। टारगेट यह है कि हर लोकसभा सीट से 5-5 हजार लोग, जबकि हर विधानसभा क्षेत्र से 2-2 हजार लोगों को यहां लाया जाएगा।
जिन राज्यों में BJP का कोई सांसद या विधायक नहीं है, वहां का प्रतिनिधि 2-2 हजार लोगों की व्यवस्था करेगा। करीब 3 महीने में 1 करोड़ लोगों को दर्शन-पूजन कराया जाना है। बचे 1.50 करोड़ लोगों को आने वाले महीनों में दर्शन कराया जाएगा।
सांसद-विधायक को लिस्ट तैयार कराने की जिम्मेदारी
पार्टी के सीनियर नेता ने बताया, कोर कमेटी ने तय किया है कि मौजूदा सांसद-विधायक ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार करा लें। जिन्हें अयोध्या लेकर आना है। 5-5 हजार लोगों के जत्थों को 23 जनवरी के बाद रामलला के दर्शन के लिए लेकर आना है। दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को ट्रेनों के जरिए अयोध्या लाया जाएगा। लोगों को लाने, ठहरने और भोजन की पूरी व्यवस्था सांसद-विधायक अपने फंड से करेंगे।
बता दें कि करीब 100 स्पेशल ट्रेन प्राण प्रतिष्ठा यानी 22 जनवरी के बाद अयोध्या के लिए पूरे देश के अलग-अलग राज्यों से चलाई जा रही हैं। ये ट्रेनें 22 जनवरी के बाद 100 दिन के अंतराल में चलेंगी।
लोगों तक पहुंचाएंगे अयोध्या का विकास
यहां चुनावी एजेंडा यह है कि BJP के मंत्री, सांसद, विधायक और संगठन पदाधिकारी लोगों को बताएंगे कि 500 साल में जो नहीं हो सका, उसको भारतीय जनता पार्टी ने कर दिखाया। पॉलिटिकल माइलेज तब मिलेगा, जब यही लोग अपनी-अपनी लोकसभा क्षेत्र में लौटकर अयोध्या का डेवलपमेंट, राममंदिर और उससे जुड़े प्रयासों को लोगों तक पहुंचाएंगे।
15 जनवरी से पहले लोगों की लिस्ट होगी फाइनल
यह प्रयास यूपी ही नहीं, देश के सभी हिंदू परिवार को राम नामी धागे में पिरोने की तैयारी है। सिलेक्ट लोगों की फाइनल लिस्ट 15 जनवरी तक पूरा करना है। लोगों से संपर्क करना शुरू भी हो चुका है। वहीं, अयोध्या के प्रशासन और रामजन्म भूमि ट्रस्ट को इस बाबत जानकारी भेज दी गई है, क्योंकि इन श्रद्धालुओं के रहने और भोजन की व्यवस्था अयोध्या में ही होनी है।