जयपुर :- प्रदेश में कांग्रेस जहां राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है। वहीं भाजपा की प्रदेशभर में निकल रही जनाक्रोश यात्राओं से सियासी माहौल गर्माया हुआ है। भाजपा ने जनाक्रोश अभियान की रणनीति इस तरह की बनाई है कि प्रदेश के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में वार्ड और ग्राम पंचायत स्तर तक के कार्यकर्ता इसमें जुड़ सकें।
यानी ठीक एक साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी ने अपनी पूरी मशीनरी को एक्टिव कर दिया है। फोकस इस बात पर किया गया है कि प्रदेश का कोई शहर, कस्बा, गांव-ढाणी इस यात्रा से छूटे नहीं। ऐसे में जो माहौल चुनाव में कार्यकर्ताओं के बीच होता है, उसी तरह का माहौल बनाकर पार्टी ने इसे बूथ मजबूती का जरिया बना दिया है।
चुनाव की तरह कार्यकर्ताओं को एक माह घर से बाहर रखकर काम में लगाने का अभियान
अब तक करीब एक लाख किलोमीटर की यात्रा पूरी करने का दावा कर रहे भाजपा के नेता इस अभियान को कांग्रेस के चार साल के शासन के खिलाफ जनता के आक्रोश को बाहर लाने की कोशिश करार दे रहे हैं। जबकि पार्टी के रणनीतिकारों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का यह अभियान एक तरह से अपने संपूर्ण तंत्र को सक्रिय करके चुनावी माहौल बनाने की कवायद है।
ऐसा पहली बार है कि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने हर बूथ तक के कार्यकर्ता को जोड़कर संगठन में नई जान फूंकने की कोशिश की है। जिस तरह से गुजरात में संगठन की मजबूती के दम पर पार्टी ने हाल ही बंपर जीत हासिल की है, राजस्थान में भी संगठन को एक्टिव करने का इसे गुजरात मॉडल माना जा रहा है।
पूरे संगठन को साधा, किसी एक चेहरे पर फोकस नहीं
पार्टी के बड़े नेताओं के बीच चेहरे की लड़ाई को इस अभियान ने थामने का काम किया है। जनाक्रोश अभियान में भाजपा ने इस बात पर फोकस किया है कि किसी भी एक चेहरे को ज्यादा तवज्जो न देकर संगठन को साधा जाए। यही कारण है कि 200 विधानसभा क्षेत्रों में लगातार हर दिन अलग-अलग 200 नेताओं की डयूटी लगाई जा रही है। पिछले दस दिन में 2000 नेता फील्ड में पहुंचे हैं। इनमें जिला स्तरीय से लेकर प्रदेश स्तरीय नेता शामिल हैं।
फीडबैक के लिए टीमें, नेताओं की हो रही ट्रेकिंग
जनाक्रोश यात्रा में फीडबैक के लिए अलग-अलग टीमें चल रही हैं जो बता रही है कि कहां क्या सुधार करने की जरूरत है। कौनसी बूथ यूनिट या मंडल इकाई कमजोर चल रही है। विधानसभा क्षेत्र और जिला इकाई में नेताओं के कोई विवाद है तो इसकी भी लिस्टिंग हो रही है। इतना ही नहीं जिन नेताओं की हर दिन फील्ड में डयूटी लगाई जा रही है, उनकी भी पार्टी में उच्च स्तर पर ट्रेकिंग हो रही है।
संगठन में कुछ ऐसे लोगों की टीम काम कर रही है जो यह पता रखती है कि जिस नेता की डयूटी थी, वो फील्ड में गया या नहीं। इसकी रिपोर्ट लगातार संगठन महामंत्री चंद्रेशखर के पास पहुंचती है। अगर कोई नेता डयूटी लगने के बावजूद फील्ड में नहीं गया तो उससे सवाल-जवाब हो रहे हैं।
मुद्दों का हो रहा चयन, इसी आधार पर बनेगा चुनाव घोषणा पत्र
200 विधानसभा क्षेत्रों में भेजे गए जनाक्रोश रथों में हर रथ के साथ एक शिकायत पेटी लगी है। शहरों की गली–गली और गांवों में जा रहे रथों में लगी इन पेटियों में भाजपा के कार्यकर्ता स्थानीय लोगों की समस्याएं और कांग्रेस सरकार के खिलाफ उनकी शिकायतें लिखवाकर डलवा रहे हैं।
इसके जरिए यह भी पता चल रहा है कि किस विधानसभा क्षेत्र में क्या-क्या मुद्दे चल रहे हैं। भाजपा इन शिकायत पेटिकाओं से विधानसभा से लेकर राज्य स्तर तक के मुद्दों का चयन करके आने वाले चुनाव के लिए घोषणा पत्र में शामिल करेगी।
राहुल गांधी की यात्रा का काउंटर करने की बड़ी रणनीति
जनाक्रोश यात्राओं के जरिए भाजपा की रणनीति है कि राजस्थान में कांग्रेस की चल रही भारत जोड़ो यात्रा का माहौल नहीं बनने दिया जाए। भाजपा के नेता मानते हैं कि अगर जनाक्रोश अभियान शुरू नहीं किया जाता तो कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का लोगों में माहौल बन जाता। यही वजह है कि राजस्थान में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा शुरू होने से पहले इसे एक दिसंबर से शुरू कर दिया गया। अगर भाजपा यह अभियान शुरू नहीं करती तो अब तक सिर्फ कांग्रेस की भारत जोड़ाे यात्रा का ही प्रदेश में माहौल बना रहता।
देश में पहली बार ऐसा प्रयोग: चतुर्वेदी
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी के अनुसार पार्टी का यह देशभर में पहला प्रयोग है कि चुनाव से एक साल पहले चुनाव जैसा माहौल तैयार करके अंतिम कड़ी के कार्यकर्ता को सक्रिय किया जा सके। हमारे 200 रथ प्रदेश के गली-मोहल्ले तक जा रहे हैं। नुक्कड़ सभाएं और रात्रि चौपालों के कार्यक्रमों के जरिए जनता से जुड़ने में पार्टी सफल हो रही है।
चतुर्वेदी कहते हैं- इस अभियान से हमारा हर कार्यकर्ता सक्रिय हो गया है और जनता का समर्थन पूरी तरह से मिल रहा है। यह भी सामने आ रहा है कि जनता में कांग्रेस सरकार के खिलाफ जो आक्रोश था, वो हमारी जनाक्रोश यात्राओं से मुखर हो रहा है। इसका फायदा यह होगा कि चुनाव से एक साल पहले ही प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ गुस्सा पनपेगा और इसका फायदा निश्चित रूप से हमें चुनाव में मिलेगा।
भाजपा ने 2023 के चुनाव की तैयारी शुरू कर दी : भार्गव
भाजपा के पॉलिसी व रिसर्च विंग के प्रमुख सुनील भार्गव का कहना है कि भाजपा ने 2023 के चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। भार्गव जनाक्रोश यात्रा को बहुउद्देशीय और बहुआयामी अभियान का नाम देते हैं। उनका कहना है कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि भाजपा ने राजस्थान में इतने व्यापक स्तर पर पूरे एक माह तक कार्यकर्ताओं को घर से बाहर निकालकर उसी तरह काम में लगाया है जैसे ऐन चुनाव के वक्त कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारा जाता है। वार्ड, मंडल, विधानसभा क्षेत्र से लेकर जिला स्तर और प्रदेश स्तर के नेता इन यात्राओं के जरिए जुड़कर एक्टिव हो गए हैं। उनका कहना है कि किसी भी बड़ी पार्टी में चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं को एक्टिव करना एक बड़ा टास्क होता है और जनाक्रोश यात्रा इस टास्क को पूरा करती दिख रही है। एक तरह से यह गुजरात फार्मूले को राजस्थान में लागू करने की शुरुआत है। जिसके तहत पहले बूथ इकाई तक के कार्यकर्ताओं को एक्टिव करने का काम हो रहा है।
15 से 31 दिसंबर तक 200 बड़ी सभाएं, केंद्रीय नेता भी आएंगे
जनाक्रोश अभियान का मैनेजमेंट देख रहे भाजपा के प्रदेश मंत्री श्रवण बगड़ी का कहना है कि जनाक्रोश अभियान की लांचिंग राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जयपुर में एक दिसंबर को की थी। इसके बाद सभी जिलों में 2 दिसंबर को इसकी शुरुआत की गई। 3 दिसंबर को सभी विधानसभा क्षेत्रों में हमारे जनाक्रोश रथ पहुंच गए थे। अब तक हमने करीब एक लाख किमी की यात्रा पूरी कर ली है। अब 15 दिसंबर से 31 दिसंबर तक सभी विधानसभा क्षेत्रों में बड़ी सभाएं की जाएंगी। इन सभाओं में कोर कमेटी के बड़े नेताओं से लेकर संगठन के पदाधिकारी, सांसद, केंद्रीय मंत्री, सभी मोर्चों के राष्ट्रीय अध्यक्ष अलग-अलग सभाओं में मुख्य वक्ताओं के रूप में शामिल होंगे।