मशहूर अभिनेता और फिल्मकार मनोज कुमार का शुक्रवार सुबह मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया। 87 वर्षीय मनोज कुमार अपनी देशभक्ति फिल्मों के लिए खास तौर पर जाने जाते थे। उन्होंने ‘उपकार’, ‘पूरब-पश्चिम’, ‘क्रांति’, ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ जैसी कई यादगार फिल्में दीं, जिससे उन्हें ‘भारत कुमार’ का खिताब मिला।
फिल्म इंडस्ट्री में अमिट छाप
मनोज कुमार को सात फिल्मफेयर अवॉर्ड मिले थे। 1968 में आई उनकी फिल्म ‘उपकार’ ने बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्टोरी और बेस्ट डायलॉग के लिए चार फिल्मफेयर अवॉर्ड जीते थे। 1992 में पद्मश्री और 2016 में उन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनोज कुमार के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “वह भारतीय सिनेमा के एक प्रतीक थे, जिन्हें विशेष रूप से उनकी देशभक्ति की भावना के लिए याद किया जाता है। उनकी फिल्में राष्ट्रीय गौरव की भावना को प्रज्वलित करती थीं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।”
पाकिस्तान से पलायन, संघर्ष और सफलता की कहानी
24 जुलाई 1937 को ब्रिटिश इंडिया के एबटाबाद (अब पाकिस्तान) में जन्मे हरिकृष्ण गोस्वामी (मनोज कुमार) का परिवार भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान दिल्ली आकर बस गया। शुरुआती जीवन कठिनाइयों में बीता, लेकिन उन्होंने हिंदू कॉलेज से पढ़ाई पूरी की और फिर मुंबई का रुख किया।
फिल्म इंडस्ट्री में शुरुआत काफी संघर्ष भरी रही। सेट पर लाइट टेस्टिंग के दौरान एक डायरेक्टर को उनका चेहरा आकर्षक लगा, जिसके बाद उन्हें 1957 की फिल्म ‘फैशन’ में छोटा सा रोल मिला। इसके बाद 1960 में ‘कांच की गुड़िया’ से बतौर लीड एक्टर करियर की शुरुआत हुई।
दिलीप कुमार से प्रेरित होकर बदला नाम
मनोज कुमार, दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार के बड़े प्रशंसक थे। 1949 में रिलीज़ फिल्म ‘शबनम’ में दिलीप कुमार का नाम मनोज था। इसी से प्रेरित होकर हरिकृष्ण गोस्वामी ने अपना नाम बदलकर मनोज कुमार रख लिया।
लाल बहादुर शास्त्री की सलाह पर बनी ‘उपकार’
1965 में मनोज कुमार ने फिल्म ‘शहीद’ में भगत सिंह की भूमिका निभाई, जो बड़ी हिट रही। फिल्म के गाने ‘ऐ वतन, ऐ वतन हमको तेरी कसम’ और ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ खूब पसंद किए गए। यह फिल्म तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को इतनी पसंद आई कि उन्होंने मनोज कुमार से कहा कि वे ‘जय जवान, जय किसान’ नारे पर फिल्म बनाएं।
मनोज कुमार ने ट्रेन में सफर के दौरान ही ‘उपकार’ की स्क्रिप्ट लिखी। यह फिल्म 1967 की सबसे बड़ी हिट साबित हुई और इसके बाद उन्होंने ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रोटी, कपड़ा और मकान’, ‘क्रांति’ जैसी देशभक्ति फिल्मों की कड़ी जारी रखी।
भारत कुमार की छवि और दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड
‘उपकार’ में उनका किरदार भारत के नाम से था, जिससे उन्हें ‘भारत कुमार’ कहा जाने लगा। 2016 में भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजे गए।
सिनेमा के ‘देशभक्त’ को अंतिम विदाई
मनोज कुमार ने देशभक्ति, समाज और इंसानियत की भावनाओं से भरपूर सिनेमा को नया आयाम दिया। उनकी फिल्मों के गाने और संवाद आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं। भारतीय सिनेमा के इस महान अभिनेता को पूरा देश याद करेगा।