लखनऊ:-बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने जन्मदिन (15 जनवरी) को बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि 2024 का चुनाव बसपा अकेले ही लड़ेगी। किसी गठबंधन या पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। यानी, बसपा के INDIA गठबंधन में शामिल होने की कयासबाजी पर विराम लग गया है। उन्होंने कहा- गठबंधन से फायदा कम, नुकसान ज्यादा होता है।
लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘मुझे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण मिला है, मैंने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। क्योंकि मैं अपनी पार्टी के काम में व्यस्त हूं। मगर अयोध्या में 22 जनवरी को जो कार्यक्रम हो रहा है, हम उसका स्वागत करते हैं। आगे चलकर अगर बाबरी मस्जिद को लेकर ऐसा कोई कार्यक्रम होता है, तो उसका भी हम स्वागत करेंगे। हमारी पार्टी धर्मनिरपेक्ष है, हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।’
उन्होंने कहा- ‘पिछले महीने मैंने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। इसके बाद मीडिया में यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि मैं जल्द ही राजनीति से संन्यास लेने वाली हूं। लेकिन मैं बताना चाहूंगी कि इन अटकलों में रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘जातिवादी संकीर्ण सोच से सभी को लाभ नहीं मिल पा रहा है। थोड़ा राशन देकर गुलाम, मोहताज बनाया जा रहा है। केंद्र और प्रदेश सरकार धर्म और जाति के नाम पर राजनीति कर रहीं है। कांग्रेस, भाजपा और सहयोगी पार्टियों की सोच जातिवादी, सामंतवादी है। SC/ST आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। बहुजन समाज के सभी वर्गों को BSP से जुड़कर सत्ता तक पहुंचना जरूरी है। विरोधी पार्टियां अंदरखाने एक होकर इनके अधिकारों को रोक रही हैं।’
EVM पर भी उठाए सवाल
मायावती ने INDIA गठबंधन को लेकर सपा सुप्रीमो अखिलेश पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि INDIA गठबंधन को लेकर सपा प्रमुख ने BSP के लिए गिरगिट की तरह रंग बदला है। EVM को लेकर सवाल उठ रहे हैं। अगर EVM में कोई गड़बड़ी नहीं हुई, तो बेहतर रिजल्ट लाएंगे। 2007 में EVM को कोई धांधली नहीं हुई थी। 2007 में अकेले चुनाव लड़कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। अब EVM में बहुत धांधली हो रही है। EVM के विरोध में काफी आवाजें उठ रही हैं।
लोकसभा चुनाव पूरी दमदारी से लड़ेंगे
मायावती ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव के लिए मेहनत जरूरी है। लोकसभा का चुनाव पूरी दमदारी से लड़ेंगे। अकेले लड़ेंगे। बसपा से कई पार्टियां गठबंधन करना चाहती हैं। मगर हम सभी पार्टियों से दूरी बनाकर रखेंगे। हालांकि, चुनाव के बाद सरकार में शामिल हो सकते हैं।
गठबंधन में BSP का वोट तो दूसरी पार्टियों को मिलता है, मगर हमें नहीं मिलता है। 1993 और 1996 में BSP के गठबंधन का फायदा सपा, कांग्रेस को मिला था। 2002 में बसपा अकेले चुनाव लड़कर 100 सीट जीती थी।’
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