माणा ( उत्तराखंड ) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमांत गांव माणा में कनेक्टिविटी परियोजनाओं का शिलान्यास करने के बाद एक जनसभा को संबोधित किया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत जय बदरी विशाल और बाबा केदार के जयकारे के साथ की। पीएम मोदी ने कहा, मैं देश के सभी पर्यटकों से अपील करता हूं कि वे अपने यात्रा बजट का कम से कम 5% स्थानीय उत्पादों को खरीदने पर खर्च करें। उन्होंने कहा कि आप जहां भी जाएं एक संकल्प करिए।
उन्होंने कहा, ‘विदेशों में वहां की संस्कृति से जुड़े स्थानों की ये लोग तारीफ करते नहीं थकते थे। लेकिन भारत में इस प्रकार के काम को हेय दृष्टि से देखा जाता था। आस्था के ये केंद्र सिर्फ एक ढांचा नहीं, बल्कि हमारे लिए प्राणवायु की तरह हैं। वे हमारे लिए ऐसे शक्तिपुंज हैं, जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हमें जीवंत बनाए रखते हैं।
पीएम मोदी ने कहा, मैं देश के सभी पर्यटकों से अपील करता हूं कि वे अपने यात्रा बजट का कम से कम 5% स्थानीय उत्पादों को खरीदने पर खर्च करें। उन्होंने कहा, ‘विदेशों में वहां की संस्कृति से जुड़े स्थानों की ये लोग तारीफ करते नहीं थकते थे। लेकिन भारत में इस प्रकार के काम को हेय दृष्टि से देखा जाता था। आस्था के ये केंद्र सिर्फ एक ढांचा नहीं, बल्कि हमारे लिए प्राणवायु की तरह हैं। वे हमारे लिए ऐसे शक्तिपुंज हैं, जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हमें जीवंत बनाए रखते हैं।
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘जैसे मैं लोकल फॉर वोकल के लिए प्रार्थन करता हूं आज एक और प्रार्थना करता हूं आप जितना खर्च करते हैं। उसमें से कम से कम 5 फीसदी उस इलाके में जो कुछ भी स्थानीय उत्पाद है। उसको जरूर खरीदीए। आपके घर में है तो दूसरा ले जाइए, किसी को भेंट कर दीजिए। इन सारे क्षेत्रों में इतनी रोजी रोटी बढ़ जाएगी। अगर सब यात्रा, जहां जाएं वहां से 5 पर्सेंट का बजट जोड़ दीजिए। आपको संतोष होगा।’
उन्होंने कहा, ‘अगर आप बच्चों को बताएंगे कि जब हम उत्तराखंड गए थे, यह जो तस्वीर है ना 20 रुपए की थी। वहां की एक बूढ़ी मां बना रही थी। पहाड़ के लोगों की पहली पहचान यही होती है कि वे बहुत मेहनती होते हैं। वे प्रकृति के प्रति शिकायत नहीं करते हैं। संकटों के बीच जीना सीख लेते हैं। पहले की सरकारों के समय पहाड़ों के लोगों के समार्थ्य को उनके खिलाफ ही इस्तेमाल किया गया। सरकारें उपेक्षा करती रहीं।