राजस्थान में एक-दो दिन में मंत्रिमंडल विस्तार होगा:जयपुर से बाहर के विधायकों को फोन किए गए;MP की तरह नए लोगों को मौका मिलेगा

Jaipur Rajasthan

जयपुर:-छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान में भी मंत्रिमंडल विस्तार होने वाला है। भजनलाल सरकार का एक-दो दिन में मंत्रिमंडल विस्तार होने की उम्मीद जताई जा रही है। भाजपा के सूत्रों की मानें तो जयपुर से बाहर के विधायकों को फोन किए गए हैं। राजभवन में भी शपथ ग्रहण को लेकर तैयारियां हो रही हैं। माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश की तरह राजस्थान के मंत्रिमंडल में भी नए लोगों को ज्यादा मौका दिया जाएगा।

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा- जल्द आपको इसकी सूचना दे दी जाएगी। इधर, सीएम भजनलाल शर्मा मंगलवार ( 26 दिसंबर) को श्रीकरणपुर विधानसभा के दौरे पर थे। मंगलवार शाम को वे भी जयपुर लौट चुके हैं।

विधायकों ने कहा- हमारे पास नहीं है कोई सूचना
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अधिकतर विधायक जयपुर में ही ठहरे हुए हैं। कई विधायक सत्ता और संगठन के पास चक्कर भी लगा रहे हैं। बीजेपी प्रदेश कार्यालय पहुंचे कपासन विधायक अर्जुनलाल जीनगर ने कहा- उनके पास किसी तरह की कोई सूचना नहीं आई है कि मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में कोई देरी नहीं हो रही है। मंत्रिमंडल को लेकर मंथन जारी है।

वहीं, शाहपुरा भीलवाड़ा विधायक लालाराम बैरवा ने कहा कि मंत्रिमंडल हमारी पार्टी का आंतरिक मामला है। कांग्रेस को इसमें चिंता करने की जरूरत नहीं है। मंत्रिमंडल की सूचना को लेकर उन्होंने कहा कि मैं तो जयपुर में मेरे आवास पर रुका हुआ हूं। यहां पार्टी नेताओं से मुलाकात करने आया हूं। इसके बारे में कोई सूचना नहीं है।

नए लोगों को मिल सकता है मौका
सीएम भजनलाल शर्मा के मंत्रिमंडल में नए लोगों को मौका मिल सकता है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में वरिष्ठ की अपेक्षा उन विधायकों को मौका दिया जा सकता है, जो अभी तक कभी मंत्री नहीं बने। हालांकि कुछ वरिष्ठ विधायकों को भी मंत्री बनाया जा सकता है। इनकी संख्या ज्यादा नहीं होगी।

वहीं, लोकसभा चुनावों से पहले जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाकर मंत्रिमंडल में विधायकों को शामिल किया जाएगा। जिससे पार्टी लोकसभा चुनावों में इसे भुना सके। ऐसे में मानकर चला जा रहा है कि शेखावाटी अंचल जहां बीजेपी की परफॉर्मेंस फिसड्डी रही है, वहां जीते हुए अधिकतर विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।

राजस्थान में CM सहित 30 मंत्री का कोटा
राजस्थान में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 30 मंत्री बन सकते हैं। भजनलाल शर्मा सीएम, दीया कुमारी और डॉ. प्रेमचंद बैरवा डिप्टी सीएम बन चुके हैं। एक सीएम और दो डिप्टी सीएम बनने के बाद अब 30 में से 3 जगह भर चुकी है। कोटे के हिसाब से अब 27 मंत्री बन सकते हैं।

पहले फेज में करीब 20 मंत्री बनाए जा सकते हैं, जिनमें 10 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्री हो सकते हैं। पांच से सात जगह खाली रखी जा सकती है। बची हुई जगहों को लोकसभा चुनाव के बाद भरे जाने का विकल्प रखा जा सकता है।

जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने की कोशिश
बीजेपी में सबसे ज्यादा विधायक एससी-एसटी, राजपूत, जाट, ब्राह्मण वर्ग से जीतकर आए हैं। इसके अलावा वैश्य और बीजेपी का कोर वोट बैंक मानी जाने वाली ओबीसी जातियों के विधायकों की संख्या भी अधिक है। इन जातियों के विधायकों की संख्या के हिसाब से मंत्रिमंडल में जगह देकर जातीय संतुलन बनाने का प्रयास किया जा सकता है।

कौन होगा गृह मंत्री?
गृह मंत्री के नाम को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है। गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी आमतौर पर ऐसे नेता को दी जा सकती है जिसकी हिंदूवादी नेता की छवि हो। बाबा बालकनाथ और किरोड़ीलाल मीणा का नाम गृह मंत्री के तौर पर चल रहा है।

किरोड़ीलाल मीणा (सवाई माधोपुर): सीनियर नेता। विपक्ष में रहकर कांग्रेस का मुखर विरोध किया। पेपर लीक और घोटालों को मुद्दा बनाया। मीणा वोट बैंक पर पकड़। दो बार लोकसभा सांसद रहे हैं। एक बार राज्यसभा सदस्य भी रहे हैं। वसुंधरा सरकार में खाद्य मंत्री रहे हैं।

बाबा बालकनाथ (तिजारा): हिंदूवादी चेहरा। नाथ संप्रदाय के बड़े मठ के मठाधीश और बड़ा श्रद्धालु वर्ग जुड़ा है। अलवर से सांसद रहे हैं।

35 से ज्यादा विधायक मंत्री बनने के दावेदार
35 से ज्यादा विधायक मंत्री बनने के दावेदारों में आगे माने जा रहे हैं। किरोड़ीलाल मीणा, महंत बालकनाथ, महंत प्रतापपुरी, विश्वराज सिंह मेवाड़, जेठानंद व्यास, मदन दिलावर, जोगेश्वर गर्ग, पुष्पेंद्र सिंह राणावत, जितेंद्र गोठवाल, झाबर सिंह खर्रा, नौक्षम चौधरी, दीप्ति किरण माहेश्वरी, अनिता भदेल, जवाहर सिंह बेडम, जगत सिंह, हंसराज पटेल, पब्बाराम विश्नोई, हीरालाल नागर, भैराराम चौधरी, लालाराम बैरवा, संजय शर्मा, गोपाल शर्मा, लादूलाल पितलिया, जयदीप बिहाणी और ताराचंद जैन के नाम प्रमुख दावेदारों में हैं।

तीन से चार महिला मंत्री बन सकती हैं, अनिता-नौक्षम-दीप्ति रेस में आगे
तीन से चार महिला मंत्री बन सकती हैं। इस बार बीजेपी ने केंद्र में महिला आरक्षण बिल पास करवाया है। वह लागू बाद में होगा, लेकिन मैसेज देने के हिसाब से राजस्थान में महिला मंत्रियों की संख्या में बढ़ोतरी भी की जा सकती है। दीया कुमारी को डिप्टी सीएम बनाकर मैसेज दिया जा चुका है।

महिलाओं में दीप्ति किरण माहेश्वरी, अनिता भदेल, नौक्षम चौधरी, सिद्धि कुमारी के नाम दावेदारों में हैं। वसुंधरा राजे सरकार में किरण माहेश्वरी, अनिता भदेल और कमसा मेघवाल मंत्री थीं। इस संख्या को बढ़ाया जा सकता है।

नौक्षम चौधरी (कामां): दलित वर्ग से हैं। गहलोत सरकार में मंत्री जाहिदा खान को हराया।

दीप्ति किरण माहेश्वरी (राजसमंद): वसुंधरा सरकार में पीएचईडी और उच्च शिक्षा मंत्री रहीं किरण माहेश्वरी की बेटी। दूसरी बार विधायक बनी हैं। वैश्य समाज से प्रमुख महिला चेहरा। मेवाड़ और वागड़ में बीजेपी की अकेली महिला विधायक हैं।

अनिता भदेल (अजमेर दक्षिण): विपक्ष में रहते हुए दलितों और महिलाओं के मुद्दे पर लगातार कांग्रेस सरकार को घेरती रही हैं। वसुंधरा सरकार में उनके महिला और बाल विकास मंत्री रहते हुए डायन प्रताड़ना विरोधी कानून पास हुआ था। इस कानून के मुताबिक किसी महिला को डायन कहकर प्रताड़ित करने पर सजा का प्रावधान किया गया था।

दलित वर्ग: डिप्टी सीएम देने के बाद दो से तीन मंत्री संभव
दलित वर्ग पर बीजेपी मजबूत पकड़ बनाने का प्रयास कर रही है। बीजेपी में 16 विधायक दलित हैं। बीजेपी ने प्रेमचंद बैरवा को डिप्टी सीएम बनाकर दलित वर्ग को साधने का मैसेज दिया है। ये चेहरे हैं मंत्री की कतार में…

जोगेश्वर गर्ग (जालोर): तीसरी बार विधायक। RSS की पसंद हैं। पार्टी में लंबे समय से काम कर रहे हैं। गोडवाड़ क्षेत्र में बीजेपी के प्रमुख दलित चेहरे के तौर पर गिनती होती है।

मदन दिलावर (रामगंजमंडी): दो बार मंत्री रह चुके हैं। पार्टी का हिंदूवादी चेहरा हैं।

जितेंद्र गोठवाल (खंडार): दूसरी बार विधायक। वसुंधरा सरकार में संसदीय सचिव रहे। विपक्ष में रहते हुए गहलोत सरकार के खिलाफ स्थानीय मुद्दों पर आंदोलन किए, इसी सिलसिले में जेल भी गए। RSS से जुड़े हैं। बीजेपी एससी मोर्चा में भी सक्रिय रहे हैं।

लालाराम बैरवा (शाहपुरा): बीजेपी से बागी होकर लड़ने वाले पूर्व स्पीकर कैलाश मेघवाल को हराकर पहली बार विधायक बने हैं।

राजपूत समाज से 17 विधायक, दावेदारों की लंबी कतार
राजपूत बीजेपी का कोर वोट बैंक रहा है। पिछले चुनावों में राजपूतों की नाराजगी से बीजेपी को नुकसान हुआ था। इस बार 17 विधायक राजपूत समाज से जीतकर आए हैं। राजपूत समाज से प्रमुख नेताओं को मंत्री बनाकर मैसेज दिया जा सकता है। महंत प्रतापपुरी, पुष्पेंद्र सिंह राणावत, विश्वराज सिंह मेवाड़, सिद्धि कुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, सुरेंद्र सिंह राठौड़ के नामों पर विचार चल रहा है।

महंत प्रतापपुरी (पोकरण): पश्चिमी राजस्थान का बड़ा हिंदूवादी चेहरा। पश्चिमी राजस्थान में अच्छा प्रभाव। पहली बार विधायक बने हैं। तारातरा मठ के प्रमुख महंत हैं।

विश्वराज सिंह मेवाड़ (नाथद्वारा): स्पीकर सीपी जोशी को हराकर विधायक बने। महाराणा प्रताप के वंशज होने से भावनाएं जुड़ी हैं।

पुष्पेंद्र सिंह राणावत (बाली): छह बार के विधायक। गोडवाड़ क्षेत्र में अच्छा प्रभाव और साफ छवि।

सिद्धि कुमारी (बीकानेर पूर्व): चौथी बार विधायक। बीकानेर के पूर्व राजघराने की सदस्य हैं। स्थानीय सियासत में अच्छी पकड़ मानी जाती है।

सुरेंद्र सिंह राठौड़ (कुंभलगढ़): मेवाड़ में पार्टी के प्रमुख वरिष्ठ नेताओं में गिनती। राजपूत समाज में अच्छा प्रभाव। वसुंधरा सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

भजनलाल शर्मा को सीएम बनाकर ब्राह्मण समाज को मैसेज दिया गया है। ब्राह्मण समाज के 12 विधायक जीतकर आए हैं। सीएम बनने के बाद अब मंत्री बनने की रेस में भी कई विधायक दावेदार हैं। ब्राह्मण विधायकों में गोपाल शर्मा, जेठानंद व्यास, संजय शर्मा, संदीप शर्मा के नामों पर विचार चल रहा है।

जेठानंद व्यास (बीकानेर पश्चिम): गहलोत सरकार में शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला को हराया। RSS से जुड़े हैं।

संजय शर्मा (अलवर शहर): लंबे समय से पार्टी में काम कर रहे हैं। दूसरी बार विधायक।

गोपाल शर्मा (सिविल लाइंस): पहली बार विधायक। वरिष्ठ पत्रकार हैं। 1992 में राम जन्मभूमि आंदोलन में भी भाग लिया। उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन और बाबरी विध्वंस के अनुभवों पर ‘कार सेवा से कार सेवा तक’ किताब लिखी। बीएचयू से पढ़े हैं। पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत जब राजस्थान में विपक्ष में थे, उस समय से उनके नजदीक थे। यहीं से नरेंद्र मोदी के संपर्क में भी आए।

संदीप शर्मा (कोटा): हाड़ौती में पार्टी का प्रमुख ब्राह्मण चेहरा। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के नजदीकी हैं।

12 जाट विधायकों में कई दावेदार : किसान वर्ग को साधने के लिए भी मंत्री बनाए जाएंगे
बीजेपी के 12 जाट विधायक भी जीतकर आए हैं। किसान वर्ग को साधने के लिए भी मंत्री बनाए जाएंगे। लोकसभा चुनावों से पहले जाट वर्ग को मैसेज देने के लिए मंत्री बनाए जाएंगे। जाट विधायकों में झाबर सिंह खर्रा, भैराराम सियोल, जगत सिंह, सुमित गोदारा, अजय सिंह किलक के नाम दावेदारों में हैं।

भैराराम चौधरी सियोल (ओसियां) : दिव्या मदेरणा को हराया। दूसरी बार विधायक। वसुंधरा सरकार में संसदीय सचिव रह चुके हैं। मारवाड़ में पार्टी का प्रमुख जाट चेहरा।

झाबर सिंह खर्रा (श्रीमाधोपुर): इनके पिता दिवंगत हरलाल सिंह खर्रा भैरोंसिंह शेखावत सरकार में मंत्री रहे। शेखावाटी में बीजेपी के प्रमुख जाट चेहरों में शुमार हैं।

सुमित गोदारा (लूणकरणसर): दूसरी बार विधायक। बीकानेर ​जिले में पार्टी का प्रमुख जाट चेहरा।

अजय सिंह किलक (डेगाना): दूसरी बार विधायक। वसुंधरा सरकार में सहकारिता मंत्री रह चुके हैं। नागौर में बीजेपी से जुड़े जाट नेताओं में प्रमुख चेहरों में गिनती होती है। पिता राम रघुनाथ चौधरी नागौर से कांग्रेस सांसद रहे। बहन बिंदु चौधरी ​नागौर की जिला प्रमुख रही हैं।

दूसरी किसान जातियों से भी दावेदार: जाटों के अलावा विश्नोई, कलवी-पटेल, धाकड़ नागर समाज से भी कुछ मंत्री बनाए जा सकते हैं।

  • जवाहर सिंह बेडम (नगर): पहली बार विधायक। भरतपुर जिले में पार्टी के प्रमुख गुर्जर चेहरे के तौर पर पहचान। गुर्जर समाज में अच्छा प्रभाव। गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान कर्नल किरोडी सिंह बैंसला के प्रमुख सहयोगी रहे। पटरी से लेकर सरकारी वार्ताओं तक आंदोलन में प्रमुख भूमिकाओं में रहे।
  • हंसराज पटेल (कोटपूतली): पहली बार जीतकर आए। गुर्जर समाज में अच्छा प्रभाव।
  • पब्बाराम विश्नोई (फलोदी): तीसरी बार विधायक बने हैं। पहले सेना में थे। यहां से रिटायर होने के बाद टीचर बने। हेडमास्टर ​की पोस्ट से रिटायर हुए। 2013 में पहली बार बीजेपी से विधायक बने। विश्नोई समाज के प्रमुख चेहरों में गिनती होती है।
  • हीरालाल नागर (सांगोद): दूसरी बार विधायक। हाड़ौती में किसान वर्ग में अच्छा प्रभाव।
  • उदयलाल भडाना (मांडल): किसान जातियों में अच्छा प्रभाव। पहली बार विधायक।

आदिवासी : बीएपी के प्रभाव को कम करने 2 से 3 मंत्री बनाए जा सकते हैं
आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए इस इलाके से नए चेहरों को मंत्री बनाया जाएगा। मेवाड़ और आदिवासी बेल्ट में बीजेपी हमेशा से मजबूत रही है। इस बार भी मेवाड़ में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन आदिवासी इलाके में बीएपी ने उसकी चिंताएं बढ़ा दी हैं। आदिवासी इलाके से दो से तीन मंत्री बनाए जा सकते हैं।

फूलसिंह मीणा: उदयपुर ग्रामीण सीट से तीसरी बार विधायक बने हैं। बीजेपी के प्रमुख आदिवासी चेहरों में शामिल हैं।

शंकरलाल डेचा: डूंगरपुर से एकमात्र विधायक। सागवाड़ा सीट से जीते। बीटीपी-बीएपी के प्रभाव को देखते हुए मंत्री बनाया जा सकता है।

कैलाश मीणा: बांसवाड़ा की गढ़ी सीट से पहली बार विधायक बने हैं। बीटीपी-बीएपी के प्रभाव को काउंटर करने के लिए मंत्री बनाया जा सकता है।

वैश्य वर्ग : 2 मंत्री संभव
वैश्य वर्ग से बीजेपी में आठ विधायक हैं। इसे पार्टी का बड़ा और कमिटेड वोट बैंक माना जाता है। वैश्य समाज से दो मंत्री बनाए जा सकते हैं। महिला चेहरे के तौर पर दीप्ति माहेश्वरी के अलावा तीन नाम चर्चा में हैं।

लादूलाल पितलिया (सहाड़ा): पहली बार विधायक। जैन-वैश्य वर्ग से पार्टी का प्रमुख चेहरा। हिंदूवादी संगठनों में लंबे समय से सक्रिय।

जयदीप बिहाणी (गंगानगर): पहली बार विधायक। नहरी क्षेत्र में पार्टी का प्रमुख वैश्य चेहरा।

ताराचंद जैन (उदयपुर): गुलाब चंद कटारिया के राज्यपाल बनने के बाद उनकी सीट से पहली बार विधायक। कटारिया के स्पेस को भरने आगे लाने की रणनीति।

राजपुरोहित समाज से छगन सिंह राजुपरोहित, कुमावत समाज से जोराराम की चर्चा
पश्चिमी राजस्थान में राजपुरोहित समाज बीजेपी का कमिटेड वोट बैंक रहा है। छगनसिंह राजपुरोहित को भी मंत्री पद दिया जा सकता है। कुमावत समाज से जोराराम कुमावत का नाम दावेदारों में है।

मंत्री नहीं बनने वालों को संसदीय सचिव बनाया जाएगा
जो दावेदार मंत्री नहीं बन पाएंगे, उनको संसदीय सचिव बनाए जाने का विकल्प भी है। आधा दर्जन संसदीय सचिव भी बनाए जाने हैं। जिन इलाकों से मंत्री नहीं बनेंगे, उन्हें संसदीय सचिव बनाकर प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया जाएगा।