कोटा:-कोटा लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रहलाद गुंजल पर मामला दर्ज हुआ है। तहसीलदार हेमराज मीना ने यूआईटी की जमीन पर अवैध कब्जा करने, माइनिंग कर पत्थर और मिट्टी निकालने की शिकायत दी गई।
गुंजल ने कहा- यह सब बीजेपी बौखलाहट में करवा रही है। ओम बिरला के इशारे पर प्रशासन काम कर रहा है। गुंजल ने दावा किया कि स्टोन क्रेशर उनका है और जो खनिज का स्टॉक रखा गया है, वह वैध रवन्नाओं से किया गया है।
यूआईटी तहसीलदार ने बताया कि मुखबिर के जरिए सोमवार रात 10.30 बजे सूचना मिली कि वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण किया हुआ है और क्रेशर का काम चल रहा है। सूचना पर वन विभाग लाडपुरा रेंज की टीम, रानपुर थाने के पुलिस जाब्ते के साथ बावड़ी खेड़ा पहुंची।
रानपुर थानाधिकारी भवंर सिंह के अनुसार मौके पर लाइट जल रही थी और एक एलएनटी मशीन के जरिए डंपर में पत्थर भरे जा रहे थे। सरकारी वाहनों को देखकर अवैध खननकर्ता डंपर को छोड़कर भाग गए।
955 टन मेसनरी स्टोन गिट्टी मिला
मामले की जानकारी पर गुंजल भी पहुंचे। गुंजल ने कार्रवाई को लेकर कहा कि जमीन वन विभाग की नहीं यूआईटी की है। इस पर टीम वापस चली गई। मंगलवार सुबह वन विभाग की टीम यूआईटी और माइनिंग डिपार्टमेंट को लेकर मौके पर पहुंची। यूआईटी ने जमीन अपने खाते की बताई। खनिज विभाग की टीम के मुआयना करने पर 955 टन मेसनरी स्टोन यानी गिट्टी पाई गई। साथ ही बाल बालाजी नामक स्टोन क्रेशर भी संचालित पाया गया।
अवैध रूप से कर रहे थे स्टॉक
यूआईटी तहसीलदार ने बताया कि क्षेत्र में किसी तरह से विभाग से स्टॉक रखने की अनुमति नहीं ली गई थी। ऐसे में यहां पर जो स्टॉक गिट्टी का रखा गया था, वह अवैध था। गिट्टी के स्टॉक, एलएनटी मशीन और डंपर को जब्त किया गया है।
बीजेपी की बौखलाहट साफ नजर आ रही
मामले पर गुंजल ने कहा कि यह सब बीजेपी बौखलाहट में करवा रही है। ओम बिरला के इशारे पर प्रशासन काम कर रहा है। बिरला ने हार मान ली है और उसी की बौखलाहट में इस तरह से प्रशासन का दुरुपयोग कर रहे हैं।
गुंजल ने बताया कि जिस जमीन पर क्रेशर को अवैध बताया जा रहा है, उस जमीन को साल 2010 में क्रेशर के लिए कन्वर्ट किया जा चुका है और यह जमीन राजाराम भील की थी। 16 मई 2011 को राजाराम भील ने यह जमीन गुंजल को बेची, जिसकी रजिस्ट्री 31अक्टूबर 2011 को करवाई गई थी। 2016 से यहां क्रेशर संचालित किया जा रहा है। गुंजल ने दावा किया कि क्रेशर प्रोपर कागज और अनुमति से संचालित की जा रही थी। लेकिन सिर्फ परेशान करने के लिए यह कार्रवाई की गई है।
उन्होंने कहा कि 2016 से लेकर 2028 तक की एनवायरमेंट क्लीयरेंस हमारे पास है। उसके बाद हमे कोई और अनुमति लेने की जरूरत नहीं रहती। गुंजल ने कहा कि नियमों के तहत क्रेशर को नाप लो, एक इंच भी अतिक्रमण हो तो सामने आ जाएगा। लेकिन यह सिर्फ विरोधियों को नीचा दिखाने के लिए कार्रवाई की जा रही है। अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा है।उन्होंने कहा कि चार जुलाई के बाद आर-पार की लड़ाई होगी। किसने कहां अतिक्रमण किया हुआ है, वह सब सामने आएगा।