नई दिल्ली:-सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के 24 घंटे के भीतर ही केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्विटर पर इसकी जानकारी शेयर की। उन्होंने लिखा कि भारत के संविधान के तहत राष्ट्रपति ने हाईकोर्ट के पांच जजों को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति किया है। मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। पांचों जज 6 फरवरी को शपथ लेंगे।
उधर, हाई कोर्ट के जजों की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति होने पर खाली हुए पदों पर केंद्र ने कार्यवाहक जजों की नियुक्ति हुई है। मनींद्र मोहन श्रीवास्तव को राजस्थान हाई कोर्ट, चक्रधारी शरण सिंह को पटना हाई कोर्ट और एम वी मुरलीदरन को मणिपुर हाई कोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश नियुक्त किया गया है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जजों की नियुक्ति में देरी पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने सरकार से कहा कि ये बेहद गंभीर मामला है। हमें ऐसा स्टैंड लेने पर मजबूर न करें, जिससे परेशानी हो। इस पर केंद्र ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि भेजी सिफारिश अगले पांच दिन में मंजूर हो जाएगी।
कॉलेजियम ने जजों के नाम की सिफारिश की थी
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 13 दिसंबर को सरकार से 5 नामों की सिफारिश की थी। इनमें जस्टिस पंकज मिथल चीफ जस्टिस राजस्थान HC, जस्टिस संजय करोल चीफ जस्टिस पटना HC, जस्टिस पी वी संजय कुमार चीफ जस्टिस मणिपुर HC, पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद HC के जस्टिस मनोज मिश्रा का नाम शामिल था। सुप्रीम कोर्ट में जजों की सैंक्शन स्ट्रेंथ CJI समेत 34 है। 5 जजों की नियुक्ति के बाद अब 32 जज हो गए हैं। अभी भी दो पोस्ट खाली हैं।
सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम क्या है?
जिस कॉलेजियम पर यह पूरा विवाद हो रहा है, वह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर की प्रणाली है। कॉलेजियम के सदस्य जज ही होते हैं। वे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को नए जजों की नियुक्ति के लिए नामों का सुझाव भेजते हैं। मंजूरी मिलने के बाद जजों को अपॉइंट किया जाता है।
देश में कॉलेजियम सिस्टम साल 1993 में लागू हुआ था। कॉलेजियम में 5 सदस्य होते हैं। CJI इसमें प्रमुख होते हैं। इसके अलावा 4 मोस्ट सीनियर जज होते हैं। अभी इसमें 6 जज हैं।
केंद्र ने अपना प्रतिनिधि शामिल करने के लिए CJI को चिट्ठी लिखी थी
16 जनवरी को कानून मंत्री किरण रिजिजू ने CJI को पत्र लिखकर कॉलेजियम में अपना प्रतिनिधि शामिल करने की बात कही थी। केंद्र के रुख का जवाब देने के लिए CJI की अगुआई में कॉलेजियम ने तय किया कि इस बार सारे मामले को सार्वजनिक किया जाए।