अमरावती:-आंध्र प्रदेश में नई सरकार बनाने के लिए मंगलवार (11 जून) को NDA की तेलुगु देशम पार्टी (TDP), जनसेना और भाजपा विधायकों ने विजयवाड़ा में मीटिंग की। इसमें TDP अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू को सर्वसम्मति से NDA विधायक दल का नेता चुना गया। एक्टर से नेता बने जनसेना प्रमुख पवन कल्याण को विधानसभा में फ्लोर लीडर चुना गया।
इसके बाद नायडू और कल्याण राज्यपाल एस अब्दुल नजीर से मिलने राजभवन पहुंचे। उन्होंने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्यपाल मंगलवार शाम तक नायडू को सरकार बनाने का निमंत्रण दे सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, नायडू 12 जून को विजयवाड़ा में गन्नावरम एयरपोर्ट के पास केसरपल्ली IT पार्क में सुबह 11.27 बजे शपथ लेंगे। CM के तौर पर यह उनका चौथा कार्यकाल होगा। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई बड़े नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है।
चर्चा है कि नायडू के साथ पवन कल्याण डिप्टी CM पद की शपथ ले सकते हैं। इसके अलावा TDP महासचिव और नायडू के बेटे नारा लोकेश और जनसेना नेता एन मनोहर के भी शपथ लेने की संभावना है। नायडू के मंत्रिमंडल में TDP को 20, जनसेना को तीन और भाजपा को दो मंत्री पद मिल सकता है।
आंध्र प्रदेश में 4 जून को लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आए थे। विधानसभा में NDA ने 175 में से 164 सीटें जीतकर एकतरफा जीत हासिल की। इसमें नायडू की TDP को 135, पवन कल्याण की जनसेना को 21 और भाजपा को 8 सीटें मिली हैं।
जगन मोहन रेड्डी की YSRCP को केवल 11 सीटों मिलीं। कांग्रेस राज्य में अपना खाता भी नहीं खोल सकी। इस बार जगन मोहन रेड्डी की बहन वाई एस शर्मिला रेड्डी राज्य में कांग्रेस की अगुआई कर रही थीं। वे आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष हैं।
राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से NDA ने 21 सीटों पर जीत दर्ज की है। इनमें TDP ने 16, भाजपा ने 3 और जनसेना पार्टी ने 2 सीटें जीती हैं। YSRCP को 4 सीटें मिली हैं।
YSRCP अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी ने 2019 विधानसभा चुनाव में राज्य की 175 में से 151 सीटें लाकर एकतरफा जीत दर्ज की थी। TDP सिर्फ 23 सीटें जीत पाई थी। जगन मोहन 2019 में पहली बार राज्य के CM बने थे।
जगन मोहन के पिता दिवंगत वाईएस राजशेखर रेड्डी आंध्र में कांग्रेस के बड़े नेता थे। 2004 और 2009 में वे लगातार दो बार राज्य के CM रहे थे। जगन मोहन ने भी अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस से ही शुरू किया था। वे 2009 में कांग्रेस से पहली बार सांसद चुने गए।
हालांकि, 2009 में हेलिकॉप्टर हादसे में पिता की मौत के बाद जगन ने 2010 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने 2011 में अपनी अलग पार्टी YSRCP बनाई। 2014 में उनकी पार्टी ने 67 सीटें जीतीं। 2019 में YSRCP ने बहुमत लाकर सबको चौंका दिया था।
74 साल के चंद्रबाबू नायडू ने 1970 के दशक में कांग्रेस से अपना पॉलिटिकल करियर शुरू किया था। वे 1978 में पहली बार विधायक बने और 1980 से 1982 तक राज्य की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे।
इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर एन टी रामा राव (नायडू के ससुर) की TDP जॉइन कर ली। नायडू 1989 से 1995 तक TDP के विधायक रहे। इस दौरान राज्य में उनकी पॉपुलैरिटी काफी बढ़ गई और वे एक हाई-प्रोफाइल नेता बन गए।
नायडू NTR के मंत्रिमंडल में वित्त और राजस्व मंत्री बने, लेकिन अगस्त 1995 में उन्होंने अपने ससुर के खिलाफ ही बगावत कर दी। पार्टी में एन टी रामा राव की दूसरी पत्नी लक्ष्मी पार्वती का दखल बढ़ गया था, जिससे TDP के नेताओं में भी नाराजगी थी।
इसका नतीजा यह हुआ कि नायडू को अधिकांश TDP विधायकों ने समर्थन मिल गया और एन टी रामा राव को CM की कुर्सी छोड़नी पड़ी। इसके बाद नायडू 45 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बन गए।
1996 में एनटीआर की मौत के बाद नायडू ने पार्टी का पूरा कंट्रोल अपने हाथों में ले लिया। इसके कारण नायडू के आलोचक आज भी उन पर अपने ससुर के साथ धोखा करने का आरोप लगाते हैं।
तब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना एक ही राज्य थे। विधानसभा में कुल 294 सीटें थी। नायडू के नेतृत्व में TDP ने 1999 में 294 में से 180 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार सरकार बनाई और 2004 तक सत्ता में रहे।
नायडू अगले 10 साल तक सत्ता से बाहर रहे। हालांकि, 2014 में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना अलग हो गया और नायडू ने फिर से सत्ता में लौटे। उन्होंने आंध्र प्रदेश CM के तौर पर तीसरी बार शपथ ली।