नई दिल्ली : चीन और पाकिस्तान की दोस्ती अब और खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। दोनों मिलकर दुनिया को तबाह करने पर तुले हुए हैं। रिपोर्ट्स हैं कि चीन और पाकिस्तान मिलकर कोरोना वायरस से भी अधिक घातक वायरस बना रहे हैं। दोनों ही देश रावलपिंडी की रिसर्च लैब में इस वायरस को विकसित करने के लिए पार्टनरशिप में काम कर रहे हैं।
न्यूज एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट में जियो-पॉलिटिक के हवाले से कहा गया है कि वुहान इंस्टीट्यूट और डिफेंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑर्गनाइजेशन (डीएसटीओ) द्वारा इस विशेष प्रोजेक्ट को अंजाम दिया जा रहा है। बता दें कि डीटीएसओ पाकिस्तानी सेना द्वारा चलाया जाता है। हालांकि, पाकिस्तान ने साल 2020 में किसी विशेष परियोजना को अंजाम दिए जाने की खबरों का खंडन किया था। जियो-पॉलिटिक की रिपोर्ट के मुताबिक, रिपोर्ट में बताए गए पाकिस्तान की जैव सुरक्षा स्तर-3 (बीएसएल-3) प्रयोगशाला के बारे में कुछ भी रहस्य नहीं है।”
यह प्रयोगशाला रावलपिंडी में चाकलाला छावनी में स्थित है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यह एक अत्यधिक सुरक्षित क्षेत्र है और इसका नेतृत्व टू स्टार जनरल करते हैं। कई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि चीन वास्तव में ऐसे रोगजनकों को विकसित करने पर काम कर रहा है जिनमें कोविड से कहीं अधिक नुकसान करने की क्षमता है।
साल 2020 से दुनियाभर में कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस के बारे में चीन पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं।
हाल ही में अमेरिका की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोविड-19 चीन के ही लैब से निकला था। यह रिपोर्ट अमेरिका सीनेट कमेटी ने जारी की है।
इस रिपोर्ट का शीर्षक है, ‘कोविड-19 महामारी की उत्पत्ति का विश्लेषण।’ इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हो सकता है जानबूझकर वायरस को जन्म न दिया गया हो, लेकिन यह मानवीय भूल, मशीनी खराबी, किसी जानवर पर प्रयोग का परिणाम हो सकता है। वहीं, दूसरी ओर अब कोरोना वायरस चीन के लिए ही कहर बन चुका है। कई इलाकों में लॉकडाउन लागू किया जा चुका है, जबकि दुनिया की सबसे बड़ी आईफोन फैक्ट्री के आसपास के क्षेत्र को भी बंद कर दिया गया।