प्राइवेट अस्पतालों ने लूट मचा रखी है:गहलोत

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कहा- उन्हें लूट की छूट नहीं दे सकते; मैं SMS अस्पताल में भर्ती हुआ तो गंदगी देख बड़ी शर्म आई

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्राइवेट अस्पतालों पर जमकर निशाना साधते हुए उन पर लूट मचाने का आरोप लगाया है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल्स की बैठक में गहलोत ने कहा- प्राइवेट अस्पतालों ने लूट मचा रखी है। उन्हें लूट मचाने की छूट नहीं दी जा सकती। हम राइट टू हेल्थ का बिल लेकर आए थे, उसका भी प्राइवेट वालों ने विरोध किया। दूसरे राज्य के मरीज का एक्सीडेंट हो जाए तो उसका इलाज करना क्या हमारी ड्यूटी नहीं बनती? उसमें इन्हें क्या तकलीफ हो रही है? उसका ही प्राइवेट वाले विरोध कर रहे हैं। प्राइवेट अस्पताल वालों को समझाना चाहिए के वे मानवीय दृष्टिकोण रखें। इतना पैसा कमाते हैं कुछ तो उन्हें सेवा के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने इसे बिजनस बना रखा है, यह अच्छी बात नहीं है।

गहलोत ने कहा- प्राइवेट अस्पताल में लूट करने की छूट नहीं दी जा सकती है। लूट मचा रखी है इन लोगों ने। हमें देखना पड़ेगा कि इनके कितने खर्चे आ रहे हैं। मेडिकल कॉलेज वाले आज लाखों में फीस लेते हैं। आप डॉक्टरों के बेटे बेटी जाते हैं तो भी कैपिटेशन फीस मांग लेते हैं वो लोग। पीजी करने में पता नहीं एक करोड़, दो करोड़ कितना लेते हैं। ऐसा माहौल बन गया है कि यह एक कमर्शियल धंधा हो गया है। प्राइवेट मेडिकल कॉलेज वाले बाद में यूनिवर्सिटी खोल लेते हैं, उन्हें कोई पूछ नहीं सकता। ये सब बातें देखनी चाहिए, इन्हें इतनी छूट नहीं दे सकते।

मेडिकल कॉलेज 50 लाख से एक करोड तक कैपिटेशन फीस लेते हैं

गहलोत ने कहा- सुप्रीम कोर्ट भी थक गया। 1980 में मैं सांसद बनकर गया तब सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल चल रही थी कि कैपिटेशन फीस नहीं होनी चाहिए। उसवक्त लाख डेढ लाख होती थी, वह भी दूसरे राज्यों में होती थी, अपने यहां तो बहुत बाद में इसकी मंजूरी दी गई थी। उस वक्त जब लाख डेढ लाख कैपिटेश्यान फीस होती थी उस वक्त भी सुप्रीम कोर्ट ने रोकने की कोशिश की थी। अब सुप्रीम कोर्ट से पूछो अब वह फीस 50 लाख से एक करोड़, दो करोड़ और ज्यादा भी हो सकती है। हालात बड़े खराब हैं। हमें इस मुदृदे को देखना चाहिए।

मैं एसएमएस के जिस वार्ड में भर्ती था वहां गंदगी के हालात देख मुझे बड़ी शर्म आई

गहलोत ने सरकारी अस्पतालों में गंदगी और जर्जर अस्पताल भवनों को लेकर पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव और जिम्मेदार अफसरों को एक महीने में सर्वे करने के आदेश दिए। गहलोत ने कहा- सरकारी अस्पतालों की बिल्डिंग के मेंटीनेंस का काम पीडब्ल्यूडी खुद आगे आकर करे। पीडब्ल्यूडी देखे कि किस अस्पताल बिल्डिंग की हालत बिगड़ी हुई है। मैं खुद जब एसएमएस अस्पताल में भर्ती हुआ था और जिस वार्ड में मुझे रखा गया, मुझे बड़ी शर्म आई वहां पर। जिस प्रकार के वहां हालत थे। मेरे लिए तो वहां अलग से इंतजाम कर दिए लेकिन बाकी जो पैशेंट थे, वे क्या-क्या कमेंट कर रहे थे गंदगी देखकर। क्या गंदगी थी वहां, मैं देखकर आया वहां। उस समय मैंने हालात सुधारने को कहा था। गहलोत ने पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव नवीन महाजन और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव वैभव गालरिया से कहा ​कि अस्पतालों की जर्जर बिल्डिंग का सर्वे का काम एक महीने में पूरा कर लीजिए। इसकी प्रायरिटी तय करके बजट की डिमांड का नोट तैयार करके वित्त विभाग को भेज दीजिए, तभी यह सुधाार हो पाएगा।

इंस्पेक्शन के वक्त सब ठीक दिखाने के लिए दूसरे मेडिकल कॉलेजों से प्रोफेसर लगाए जाते हैं, यह गड़बड़ी बंद हो

गहलोत ने कहा- मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया(MCI) बड़ी बदनाम थी, भगवान करे कि नेशनल मेडिकल काउंसिल(NMC) बदनाम नहीं हो, यह तो टाइम बताएगा कि बदनामी से बचेगी या नहीं । मेडिकल कॉलेज बनाना अलग बात है, स्टेंडर्ड मैंटेन करना मुख्य मुद्दा है। हमारे सरकारी मेडिकल कॉलेजों में इंस्पेक्शन के लिए पहले MCI और अब NMC की टीम आती है। एनएमसी की टीम आने पर दूसरे सरकारी मेडिकल कॉलेज से प्रोफेसर भेजे जाते हैं, यह दिखाने के लिए कि हमारे यहां सब ठीक चल रहा है जबकि वहां वे होते नहीं है। उदयपुर मेडिकल कॉलेज टीम जा रही है तो जोधपुर मेडिकल कॉलेज से प्रोफेसर भेजे जाते हैं। मैं इसके पक्ष में बिल्कुल नहीं हूं। इससे बड़ा दुर्भाग्य और कोई नहीं ​हो सकता। हम फिर प्राइवेट अस्पतालों को क्या दोष दें जब सरकारी मेडिकल कॉलेज ही इस तरह करते हैं। कुछ भी करें लेकिन यह व्यवस्था बंद हो।

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