जयपुर:-राजस्थान में बिना सीमा के निर्धारण किए जिलों की घोषणा करने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास नहीं है। अशोक गहलोत बिना हड्डी की जुबान से कितनी ही घोषणाओं करें। उसे तो में नहीं रोक पाऊंगा। क्योंकि गाल बजाना मुख्यमंत्री की पुरानी आदत रही है। राजस्थान के इतिहास में पहली बार बिना विधायक दल की बैठक के मुख्यमंत्री ने बजट सत्र खत्म कर दिया। जबकि उनकी पार्टी के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी विधायक दल की बैठक करने की मांग कर रहे थे। लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। राजस्थान के हालात बद से बदतर हो चुके हैं ऐसे में अब जनता की आवाज को बुलंद करने के लिए बीजेपी प्रदेश भर में जनता के खिलाफ जिला मुख्यालय का घेराव करेगी।
जनता पूछ रही राजधानी कौनसी
जयपुर बीजेपी मुख्यालय में बुधवार दोपहर विधानसभा उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थी। उन्होंने कहा- लैंड रेवेन्यू एक्ट में सरकार को जिला बनाने का अधिकार है। लेकिन, सरकार ने जिलों की सीमा का निर्धारण किए बिना ही जिलों की घोषणा कर दी गई। जो की नियमों के विरुद्ध है। अब तो जयपुर आने वाले पर्यटक भी पूछ रहे हैं कि राजस्थान की राजधानी कौनसा जिला है। उन्होंने कहा कि ये पहला मौका होगा। जब ग्राम पंचायत से सीधे दूदू को जिला बना दिया गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी बिना हड्डी की जुबान से बस घोषणाओं पर घोषणा करते चले जा रहे हैं। सरकार अपने खाते हुए जनाधार को ढूंढने की कोशिश कर रही है। लेकिन इनके निर्णयों से लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
विधायकों से ब्लैकमेल हो रहे अशोक गहलोत
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के विधायकों से ब्लैकमेल हो रहे हैं। प्रदेश में जहां भी किसी भी विधायक ने इस्तीफे की धमकी दी। तो मुख्य्मंत्री ने उसके क्षेत्र को जिला बना दिया। इसका ताजा उदाहरण यह भी है कि दूदू को जिला बनाने का कहीं भी कोई प्रस्ताव नहीं था। लेकिन सदन में जैसे ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहुंचे। तो दूदू के विधायक ने कान में कुछ कहा और सीएम गहलोत ने दूदू को जिला बनाने की घोषणा कर दी। जबकि जिलों बनाने की एक प्रकिया होती है। नियमों के अनुसार पहले ग्राम पंचायत, फिर तहसील बनती है। तहसील के बाद उपखण्ड मुख्यालय और उसके बाद जिले की प्रक्रिया होती है। लेकिन सरकार ने सभी नियमों को दरकिनार करते हुए जिलों का गठन किया है। जो पूरी तरह नियमों के विपरीत है।
सचिन पायलट की भी नहीं हुई सुनवाई
राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी विधायक दल की बैठक की मांग की। लेकिन राजस्थान के इतिहास में ये पहला मौका है। जब को सत्तारूढ़ दल अपने बजट सत्र में विधायक दल की बैठक नहीं बुलाई है। पिछले 25 सितंबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में जो त्यागपत्र देने का नाटक हुआ और कांग्रेस आलाकमान के आदेश का अपमान हुआ।
यह सबने देखा है। यहां तक कि ये पूरा मामला हाईकोर्ट में चला गया। ऐसे ने कांग्रेस के अंतर्विरोध के कारण पहली बार बिना विधायक दल की बैठक के ही बजट सत्र समाप्त हो गया। जबकि विधायक दल की बैठक बजट सत्र से पहले होती है। भारतीय जनता पार्टी ने हर सप्ताह मंगलवार के दिन विधानसभा में विधायक दल की बैठक बुलाई है।
जनता के साथ प्रदेशभर में करेंगे विरोध
राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस सरकार से राजस्थान की जनता परेशान हो चुकी है। बेरोजगार रोजगार के लिए भटक रहे है। महिलाओं को न्याय नहीं मिल रहा है। किसान कर्ज के बोझ तले आत्महत्या करने को मजबूर है। पेपर लीक ने युवाओं के सपने को तोड़ा है। ऐसे में जनता के मुद्दों को लेकर बीजेपी का जन आक्रोश का अगला चरण 16 मार्च से शुरू हो गया है। इस अभियान के जरिए ना सिर्फ हमारी पार्टी हर जिला मुख्यालय पर सरकार की हकीकत जनता को बताएगी। बल्कि, जिला मुख्यालय का घेराव भी किया जाएगा। राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस के 4 साल के शासन में राजस्थान में अराजकता का माहौल फैल गया है। इसलिए अब जनता भी बीजेपी के साथ सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश दिखा कांग्रेस को उखाड़ फेक सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है।
हॉस्पिटल से श्वान उठा रहे बच्चे
राजेंद्र राठौड़ कहा कि स्वास्थ्य के अधिकार कानून के विरोध में प्रदेशभर में विरोध हो रहा है। डॉक्टर्स आंदोलन कर रहे। देश के इतिहास में पहली बार है। जब सबसे प्रबुद्ध वर्ग पर इस तरह से लाठियां बरसाई गई है। उन्होंने कहा कि हम स्वास्थ्य के अधिकार कानून के विरोध में नहीं है। लेकिन सरकार को इस कानून को लाने से पहले अपने सरकारी आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की जरूरत थी। जिस तरह से आए दिन अस्पतालों से खबरें सामने आ रही है। वह परेशान करने वाली है। सरकार ने मेडिकल कॉलेज तो खोल दिए, लेकिन स्टाफ नहीं है। नवजात बच्चों को श्वान (कुत्ते) हॉस्पिटल से उठाकर ले जाते हैं। ऐसे में सरकार को पहले इन चीजों को ठीक करना चाहिए। इसके साथ ही डॉक्टर्स को बुलाकर उनसे बातचीत करनी चाहिए। क्यों कि डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से आज आम जनता का जीवन खतरे में आ गया है।
ERCP को लेकर बोल रहे झूठ
राठौड़ ने कहा कि ERCP में सरकार ने 9600 करोड की घोषणा की थी। लेकिन 1200 करोड़ रुपए खर्च किए गए। सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। प्रोजेक्ट को पूरा करने की तारीख 2051 रखी गई। इससे कांग्रेस सरकार की नियत साफ हो गई। राठौड़ ने कहा कि जवाबदेही कानून की सदन में में घोषणा की गई। लेकिन लाया नहीं गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कहते हैं हमने पूरे देश में पहली बार OPS स्कीम लागू कर रहे हैं। लेकिन NPS का पैसा अभी तक नहीं आ पाया है। सरकार की इस नीति के कारण कर्मचारी को एक पैसा भी नहीं मिल पा रहा है। जिसे प्रदेश कि जनता कभी नहीं भूलेगी और आने वाले चुनाव में वोट कि चोट से इसका जवाब देगी।