छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने शुक्रवार सुबह करीब 7 बजे अनूपगढ़ (राजस्थान) के व्यापारी गौरव गोदारा के घर में छापेमारी शुरू की। कार्रवाई दोपहर करीब डेढ़ बजे तक चली। एसीबी के अफसरों ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी (छत्तीसगढ़ कैडर) समीर बिश्नोई का यहां ससुराल है। गौरव, समीर के रिश्तेदार हैं। आय से अधिक संपत्ति के मामले में यह कार्रवाई की गई है। इसके अलावा टीम ने झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी सर्च की कार्रवाई हुई है।
राजस्थान में कार्रवाई के लिए 48 घंटे पहले ही टीम को छत्तीसगढ़ से रवाना कर दिया गया था। समीर बिश्नाई के अलावा छत्तीसगढ़ सरकार में अफसर रहे रानू साहू और सौम्या चौरसिया के ठिकानों पर भी जांच हुई है। तीनों अफसरों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज है। फिलहाल तीनों कोयला लेवी मामले में सेंट्रल जेल में बंद हैं।
घर को पूरी तरह से बंद किया
सर्च अभियान के दौरान एसीबी के डीएसपी राहुल शर्मा ने अपनी टीम के साथ मिलकर गौरव गोदारा के घर की तलाशी ली। इस दौरान किसी भी प्रकार के बाहरी हस्तक्षेप से बचने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। एसीबी की टीम ने घर को पूरी तरह से बंद कर दिया है। फिलहाल किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी जा रही है। सर्च ऑपरेशन पूरा होने के बाद ही अफसरों ने किसी भी तरह की जानकारी साझा करने की बात कही है।
2 साल पहले समीर बिश्नोई को निलंबित किया गया था
छत्तीसगढ़ सरकार ने 2 साल पहले IAS अधिकारी समीर विश्नोई को निलंबित कर दिया था। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विश्नोई के यहां छापा मारकर 47 लाख रुपए कैश और दो करोड़ रुपए कीमत के गहने बरामद किए थे। उसके बाद विश्नोई को गिरफ्तार कर लिया गया था। 2016 बैच के IAS अधिकारी समीर विश्नोई को ED ने कोयला कारोबारियों से मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति के आरोपों में गिरफ्तार किया था। इस गिरफ्तारी की भूमिका 2020 में खुद विश्नोई के हस्ताक्षर से जारी एक अधिसूचना से रखी गई थी।
समीर बिश्नोई ने जारी की थी अधिसूचना
ED ने अदालत में पेश अपने दस्तावेजों में अधिसूचना को ‘भ्रष्टाचार का पेंडोरा बॉक्स’ बताया था। कहा गया था, इस अधिसूचना ने ही खनिज परिवहन में अवैध वसूली का रास्ता खोला। अदालत में ED की कहानी भी 15 जुलाई 2020 को जारी एक अधिसूचना से शुरू होती है। इसे खनिज संसाधन विभाग के तत्कालीन संचालक समीर विश्नोई ने जारी किया था। इस अधिसूचना ने किसी भी तरह के खनिज के परिवहन की अनुमति के लिए चल रही ऑनलाइन व्यवस्था को खत्म कर दिया था।
16 महीनों में 500 करोड़
ED ने न्यायालय को बताया था कि पिछले छापे के बाद मिले जिन दस्तावेजों को आयकर विभाग ने प्रवर्तन निदेशालय से साझा किया है उसमें अवैध उगाही के तथ्य मिले थे। उनमें कहा गया था कि 16 महीनों में ही कोयला परिवहन से 500 करोड़ रुपए की वसूली हुई। यह रकम बांटी गई।
एक डायरी में भी विश्नोई का नाम
जून 2022 में पड़े आयकर विभाग के छापों में एक डायरी मिली थी। उसमें कई जगह समीर विश्नोई को रकम देने का जिक्र था। एक पेज पर मार्च 2022 में समीर विश्नोई को 50 लाख रुपए देने की बात लिखी थी। विश्नोई के घर से भी हाथ से लिखे कई ऐसे कागज मिले थे, जिसमें रुपए के लेन-देन का ब्योरा दर्ज था।