हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) में गठबंधन हो सकता है। दोनों ही पार्टियां चंडीगढ़ मेयर और लोकसभा चुनाव में साथ आने का फॉर्मूला दोहराना चाहती हैं। कांग्रेस-आप ने चंडीगढ़ में नगर निगम और लोकसभा चुनाव जीता था।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक इसकी पहल राहुल गांधी ने की है। सोमवार शाम को हुई केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की मीटिंग में राहुल गांधी ने हरियाणा के नेताओं से इस बारे में पूछा। पार्टी ने गठबंधन के लिए केसी वेणुगोपाल के नेतृत्व में दीपक बाबरिया, अजय माकन और भूपेंद्र हुड्डा की कमेटी बनाई है।
राज्य में दोनों पार्टियों ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन किया था। राज्य की कुल 10 सीटों में से कांग्रेस ने 9 और AAP ने 1 सीट पर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस 5 सीटें जीतीं, लेकिन आप कुरूक्षेत्र सीट हार गई थी।
राहुल ने हरियाणा के नेताओं से पूछा- गठबंधन संभव है या नहीं
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, चुनाव समिति की मीटिंग में राहुल गांधी ने नेताओं से पूछा कि क्या हमें हरियाणा में आम आदमी पार्टी से गठबंधन करना चाहिए? साथ ही पूछा कि गठबंधन संभव है या नहीं और अगर हुआ तो इसके फायदे-नुकसान क्या होंगे, इसके बारे में रिपोर्ट मांगी है।
माना जा रहा है कि गठबंधन हुआ तो सीट बंटवारे को लेकर लोकसभा चुनाव वाला फॉर्मूला ही अपनाया जा सकता है। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि अगर गठबंधन होता है तो AAP को केवल 3-4 सीटें दे सकते हैं, मगर आप इससे ज्यादा मांग रही है, इसलिए गठबंधन मुश्किल है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा कि गठबंधन हो सकता है। इसके लिए AAP और I.N.D.I.A. के सहयोगी बाकी दलों के साथ बातचीत चल रही है। हम हरियाणा में वोटों का ध्रुवीकरण और भाजपा को रोकना चाहते हैं।
भाजपा बोली- कांग्रेस को हार दिख गई
भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि कांग्रेस को पता लग गया है कि वह हरियाणा नहीं जीत सकती। इसलिए आखिरी वक्त में कुछ उपाय कर रही है। आप से गठबंधन की बात कर रही है, लेकिन प्रदेश की जनता भाजपा के साथ है। कांग्रेस जो मर्जी कर ले, किसी से गठबंधन कर ले, भाजपा ही आएगी।
राहुल गांधी के करीबी सूत्रों के मुताबिक गठबंधन के पीछे तीन कारण
1. विपक्ष के वोट न बंटे। इससे पहले गुजरात में आप और कांग्रेस अलग-अलग लड़ी थीं, जहां कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ।
2. हरियाणा पंजाब से सटा हुआ है। जहां AAP की सरकार है। ऐसे में बॉर्डर सीट पर AAP के प्रभाव से कांग्रेस के वोट कट सकते हैं। उसका भी नुकसान हो सकता है।
3. राहुल गांधी विपक्षी एकता को भी जिंदा रखना चाहते हैं, वे दिखाना चाहते हैं कि विपक्ष पूरी तरह से एकजुट है।
गठबंधन को लेकर AAP नेता संजय सिंह बोले- भाजपा को हराना हमारी प्राथमिकता
राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, “मैं राहुल गांधी के बयान का स्वागत करता हूं। भाजपा को हराना हमारी प्राथमिकता है। उनकी नफरत की राजनीति, उनकी जनविरोधी, किसान विरोधी, भाजपा की युवा विरोधी नीति और महंगाई के खिलाफ हमारा मोर्चा है। उन्हें हराना हमारी प्राथमिकता है, लेकिन आधिकारिक तौर पर हमारे हरियाणा प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष आगे की बातचीत के आधार पर अरविंद केजरीवाल को इस बारे में बताएंगे और फिर इस पर आगे कुछ बात की जाएगी।
चंडीगढ़ में मेयर और लोकसभा चुनाव में कैसे सफल रहा फॉर्मूला
- पहले निगम में कांग्रेस की सपोर्ट से AAP का मेयर बना: चंडीगढ़ नगर निगम के 35 वार्डों के लिए इसी साल मार्च महीने में चुनाव हुआ था। इसका चुनाव तो AAP और कांग्रेस ने अलग-अलग लड़ा। जिसमें जिसमें AAP के 13 पार्षद और कांग्रेस के 7 पार्षद जीत गए। भाजपा के 14 और एक पार्षद अकाली दल का बना। मेयर के लिए सबसे बड़ी पार्टी भाजपा बनी। हालांकि I.N.D.I.A. ब्लॉक के तहत आप-कांग्रेस ने मेयर चुनाव में गठबंधन कर लिया। जिसके बाद यहां कुलदीप कुमार आम आदमी पार्टी (AAP) के मेयर चुने गए। देश भर में I.N.D.I.A. ब्लॉक के आपस में मिलकर लड़ने और भाजपा को हराने का यह पहला चुनाव था।
- फिर लोकसभा चुनाव में AAP के सपोर्ट से कांग्रेस जीती: चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर 2014 और 2019 में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। दोनों बार दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों की हार हुई और भाजपा जीत गई। 2014 में कांग्रेस उम्मीदवार 1,21,720 यानी 26.84% वोट मिले थे। वहीं AAP की गुल पनाग को 1,08,679 यानी 23.97% वोट मिले थे। मगर, इस सीट पर 191,362 यानी 42.20% वोट पाने वाली भाजपा की किरण खेर जीती। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पवन बंसल को 1,84,218 यानी 40.35% वोट मिले। वहीं AAP उम्मीदवार हरमोहन धवन को 13,781 यानी सिर्फ 3.82% वोट मिले। कांग्रेस यह चुनाव भी हार गई। इसमें भाजपा की किरण खेर को 231,188 यानी 50.64% वोट मिले। इसके बाद 2024 में AAP ने कांग्रेस को सपोर्ट किया। जिसमें कांग्रेस के मनीष तिवारी 216,657 यानी 48.22% वोट पाकर जीत गए। उनसे हारे भाजपा उम्मीदवार संजय टंडन को 214,153 यानी 47.67% वोट मिले। इस चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 2014 के मुकाबले 21.38% और 2019 के मुकाबले 7.87% बढ़ गया था।