हरियाणा में 3 निर्दलीय विधायकों के भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद कांग्रेस नायब सैनी की सरकार के अल्पमत में होने का दावा कर रही है। कांग्रेस विधायक और चीफ व्हिप भारत भूषण बतरा ने बताया कि विपक्षी दलों के 45 विधायकों के लेटर गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय तक पहुंच चुके हैं।
गवर्नर को भेजे गए लेटर में दावा किया गया है कि कांग्रेस के 30, जननायक जनता पार्टी (JJP) के 10, निर्दलीय 4, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के एक विधायक फ्लोर टेस्ट की मांग कर चुके हैं। 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में अभी 88 विधायक हैं, इसलिए बहुमत का आंकड़ा 45 ही है।
इधर, पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कांग्रेस के दावे को खारिज किया है। उन्होंने कहा- जजपा के 10 में से 6 विधायक हमारे साथ हैं। मेरी जजपा के 3 बागी विधायकों के साथ मीटिंग भी हो चुकी है। वह लगातार फोन पर संपर्क में बने हुए हैं।
बता दें कि जेजेपी के 10 विधायकों का विपक्ष को समर्थन का दावा दुष्यंत चौटाला ने गवर्नर को लेटर भेजकर किया है, जबकि जेजेपी के 4 विधायक खुले तौर पर पार्टी से बगावत कर चुके हैं।
भाजपा के 40 विधायकों में से 39 को ही वोटिंग का अधिकार
3 निर्दलीय विधायकों के कांग्रेस के समर्थन में ऐलान के बाद हरियाणा विधानसभा में भाजपा के 40 विधायक बचे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अपनी विधायकी से इस्तीफा दे चुके हैं। हरियाणा में राजनीतिक विश्लेषक और कानूनविद हेमंत का कहना है कि विधानसभा में भाजपा के पास संवैधानिक रूप से प्राथमिक तौर पर 39 ही विधायक हैं।
उन्होंने बताया कि नायब सैनी सरकार के पक्ष में (अगर विश्वास प्रस्ताव हो) और विरोध में (अगर अविश्वास प्रस्ताव हो) तो 40 में से 39 MLA ही वोट कर सकेंगे। इसके पीछे की वजह यह है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 189 (1) के अनुसार विधानसभा स्पीकर केवल सदन में किसी प्रस्ताव पर मत बराबर होने की परिस्थिति में ही अपना निर्णायक मत (कास्टिंग वोट) दे सकते हैं। हरियाणा में भाजपा विधायक ज्ञान चंद गुप्ता विधानसभा में स्पीकर की जिम्मेदारी देख रहे हैं।
कैबिनेट में स्पेशल सेशन पर लग सकती है मुहर
हरियाणा कैबिनेट की मीटिंग 15 मई को सुबह 11 बजे बुलाई गई है। सरकार के इस फैसले को लेकर ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि उस बैठक में हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र को बुलाने के बारे में प्रदेश के राज्यपाल से सिफारिश को लेकर चर्चा की जाएगी, जिसमें संभवत: प्रदेश की 2 महीने पुरानी नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार विधानसभा में दूसरी बार अपना बहुमत साबित करने के लिए सदन में विश्वास प्रस्ताव ला सकती है।
हालांकि हरियाणा विधानसभा के प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के नियम 3 के अनुसार तीन हफ्ते अर्थात 21 दिनों के अंतराल के बाद की तारीख से ही राज्यपाल द्वारा सदन बुलाया जाता है, हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में उससे पहले भी ऐसा संभव है।
3 दिन पहले पानीपत में जजपा के 3 विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मीटिंग की थी।
लोकसभा परिणाम के बाद ही सेशन होगा
वैसे इसी साल 12 मार्च की शाम नायब सैनी द्वारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के अगले ही दिन 13 मार्च को नई सरकार द्वारा सदन में बहुमत साबित करने के लिए एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था। अगर 21 दिनों के सामान्य अंतराल का पालन किया जाता है, तो सदन को 4 जून अर्थात 18वीं लोकसभा चुनावों की मतगणना के बाद ही बुलाया जाएगा।
तब तक करनाल विधानसभा सीट उपचुनाव का परिणाम भी आ जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री नायब सैनी मौजूदा सदन का सदस्य निर्वाचित होने के लिए भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में होंगे।
क्या CM नायब सैनी की भाजपा सरकार अल्पमत में?
90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में अभी 88 विधायक हैं, इसलिए बहुमत का आंकड़ा 45 ही है। अभी करनाल और सिरसा की रानियां सीट खाली हैं। भाजपा के अपने 40 विधायक हैं। अभी तक उन्हें 6 निर्दलीय और एक हलोपा विधायक का समर्थन था। जिनमें से रणजीत चौटाला इस्तीफा दे चुके हैं। वहीं अब 3 निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद भाजपा के पास 2 निर्दलीय व हलोपा विधायक गोपाल कांडा के साथ से 43 विधायकों का समर्थन है।
वहीं विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के 30, जजपा के 10, इनेलो का एक निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू हैं। इनमें अब 3 और निर्दलीय विधायक भी आ गए हैं तो विपक्ष में कुल 45 विधायक हो गए हैं। लेकिन भाजपा जजपा के 6 विधायकों का समर्थन होने का दावा कर रही है। 4 विधायक खुले तौर पर जजपा से बगावत कर चुके हैं। ऐसे में फ्लोर टेस्ट में ही सच सामने आ सकेगा।
क्या अभी अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है?
नहीं, हरियाणा में कांग्रेस 2019 के बाद भाजपा सरकार के खिलाफ अब तक 2 अविश्वास प्रस्ताव ला चुकी है। हालांकि दोनों बार यह प्रस्ताव विधानसभा में पास नहीं हो पाया। पहली बार कांग्रेस सदन में 2021 में किसान आंदोलन को लेकर अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी।
इसी साल मार्च 2024 में बजट सत्र के दौरान कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। अब दोबारा अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 6 महीने का गैप जरूरी है। ऐसे में सितंबर तक कांग्रेस मौजूदा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकती। हरियाणा में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं।
अविश्वास प्रस्ताव कैसे लाया जाता है?
सबसे पहले विपक्षी दल या विपक्षी गठबंधन को स्पीकर को इसकी लिखित में सूचना देनी होती है। इसके बाद स्पीकर उस दल के किसी विधायक से इसे पेश करने के लिए कहते हैं। जब किसी दल को लगता है कि सरकार सदन का विश्वास या बहुमत खो चुकी है। तब वो अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है।
स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं, तो प्रस्ताव पेश करने के 10 दिनों के अंदर इस पर चर्चा जरूरी है। इसके बाद स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करा सकता है या फिर कोई फैसला ले सकता है।