कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने सीएम गहलोत को लिखा पत्र,कहा आपने प्रमोद भाया के भव्य कार्यक्रम में पहुंचकर भ्रष्टाचार को खुलेआम दिया है आशीर्वाद

Jaipur Rajasthan

जयपुर:-प्रदेश की  राजनीति में  सांगोद से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को लिखा पत्र की चर्चा जोरों पर हो रही है। विधायक भरत सिंह ने पत्र में यह स्पष्ट आरोप लगाते हुए कहा है कि आखिर ऐसा क्या कुछ कर दिया जो सीएम गहलोत खान मंत्री प्रमोद भाया के ऐतिहासिक सर्व जातीय विवाह सम्मेलन में शुक्रवार को बारा आशीर्वाद देने पहुंचे। 

बारा के इतिहास में प्रमोद भाया का सर्वजातीय विवाह का अनूठा कार्यक्रम ग्रीन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है। इस भव्य कार्यक्रम  के प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा, विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव भी साक्षी रहे।

कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह ने सीएम गहलोत को पत्र  कहा है कि आप तो भ्रष्टाचार की गंगा की खोज करते हुए खुद ही गंगोत्री पहुंच गए हैं। उन्होंने अपने पत्र स्पष्ट करते हुए कहा कि वर्षा 2019-20 में कांग्रेस  सरकार के प्रथम बजट पेश करते समय आपने प्रश्न किया था कि  प्रदेश में भ्रष्टाचार की गंगा किसने बहाई। बजट भाषण के प्रश्न संख्या भी और पैरा 81 में  यह कहा था कि भ्रष्टाचार कि इस बहती गंगा में ईमानदार लोग भी भ्रष्ट हो गए हैं।

विधायक भरत सिंह ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि आपने सोच समझकर अपने मन की बात कही थी। बापू के सिद्धांतों पर अमल करते हुए उनके सपनों को साकार करने की बात भी उनकी 150 वी जयंती अपने बजट भाषण में करी थी। उन्होंने 26 मई को बारा में खान मंत्री प्रमोद भैया जैन द्वारा आयोजित महाकुंभ जाकर आप ने साबित कर दिया कि ईमानदार की दुहाई देने वाले मुख्यमंत्री स्वयं खुले  आम भ्रष्टाचार को आशीर्वाद प्रदान  करता है।

कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने अपने पत्र में और स्पष्ट करते हुए कहा कि गजब है भैया आप और भैया की यह माया। उन्होंने आगे कहा है कि बाया ने इतिहास रच डाला जैन तीर्थ स्थल बनाया और  सर्व जातीय निशुल्क सामूहिक विवाह सम्मेलन रच दिया।  यह सब इतिहास ग्रीन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होगा।

उन्होंने आगे कहा है कि धन्य श्री महावीर गौशाला सेवा संस्थान। धन्य है गोपालन मंत्री धन्य है मुख्यमंत्री। भाया रे भाया तूने खूब खाया और पत्र में कबीर की एक पंक्ति लिखते हुए उसे समाप्त किया है।