लाल डायरी का विवाद,बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए 5 विधायकों होने लगी है खातिर पानी,सीएम मंच करा रहे शेयर

Jaipur Rajasthan

बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त और लाल डायरी के विवाद के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनके पांच अन्य साथी विधायक  योगेंद्र सिंह अवाना, दीपचंद खेरिया, संदीप यादव, लाखन मीणा और वाजिद अली को अपने पक्ष में लेने के लिए उनकी खातिरदारी बढ़ा दी है। उन्हें महत्व देते हुए मुख्यमंत्री निवास पर गुरुवार को आयोजित उज्जवला योजना के लाभार्थियों को दूसरी किस्त जारी होने के कार्यक्रम में प्रमुखता के साथ बुलाया गया और आम लोगों के सामने यह प्रदर्शित करने का प्रयास किया कि सभी बीएसपी से शामिल होने वाले पांच विधायक सीएम गहलोत का समर्थन कर रहे हैं। सीएम गहलोत ने पांचों विधायकों को मंच पर स्थान दिया।

लाल डायरी को लेकर चर्चा में आए धर्मेंद्र राठौड़ ने सीएम निवास पर इन पांचो बीएसपी से कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायकों के साथ भोजन किया। इसका प्रचार-प्रसार भी खुले रुप में किया गया । जिससे कि लगे कि इन विधायकों कि  सीएम गहलोत से किसी प्रकार की कोई नाराजगी नहीं है और  नाही यह पांचों विधायक राजेंद्र गुढ़ा के पक्ष में नहीं है। सीएम गहलोत ने इन सभी विधायकों को निगम और बोर्ड में स्थान देकर सुविधाएं देने का प्रयास जरूर किया है। लेकिन इनके मन में एक कसक जरूर है कि उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। भविष्य में मंत्रिमंडल विस्तार में इनका नाम आएगा या नहीं पता नहीं लेकिन सीएम गहलोत को इस बात की चिंता जरूर है कि पांचों विधायक नाराज होकर राजेंद्र गुढ़ा के पक्ष में चले गए तो स्थिति उनकी खराब हो जाएगी। यही कारण है कि इन दिनों इन पांचों विधायकों की हर बात पूरी की जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाल डायरी का जिक्र करना और यह कहना कि कांग्रेस लूट का नया प्रोजेक्ट है लाल डायरी इस बयान के बाद निश्चित तौर पर इस पर छींटाकशी होने लगी है। पीएम मोदी के बयानों के बाद सीएम गहलोत, राजस्थान पर्यटक विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ ने भी डायरी का खुलासा कर दिया। लेकिन धर्मेंद्र राठौर द्वारा यह कहना कि वे गांधी डायरी लिखते हैं और राजेंद्र गुढ़ा उनके घर आए थे। लेकिन डायरी की कोई बात नहीं हुई इससे स्पष्ट होता है कि कुछ तो है जो उजागर नहीं हो पा रहा है। चुनावी माहौल में यह मुद्दा बनेगा ऐसा लगता है। 

सीएम गहलोत पर केंद्रीय नेतृत्व किसी प्रकार का कोई एक्शन ना लें यही कारण है कि सीएम गहलोत अब डैमेज कंट्रोल में तेजी से लग गए हैं। वर्तमान में अभी भी उनके पैर के दोनों गुटों की चोट ठीक नहीं हुई है लेकिन घर पर रहकर भी राजनीतिक तौर पर अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए जो कुछ करना चाहिए वह कर रहे हैं। पीएम मोदी को भी जवाब देने के लिए उन्होंने उज्जवला योजना के लाभार्थियों को 155 करोड रुपए रिलीज कर कर यह जता दिया कि वे किसानों को दे सकते हैं तो उनके लाभार्थियों को वह मात्र ₹500 में सिलेंडर देकर उनकी  उज्जवला योजना की कमियों को उजागर कर यह जता देते हैं कि हम में आपसे  ज्यादा दम है। 

राजनीति में बहुत कुछ छुपा होता है जो दिखता नहीं है वह होता है और जो होता है वह दिखता नहीं है। आने वाले समय का इंतजार करने की जरूरत है कांग्रेस में क्या कुछ परिवर्तन होगा किस को कोई पता नहीं है। सीएम गहलोत को तो अभी चिंता यह है कि उन पर किसी प्रकार की याद नहीं आए यही कारण है कि वे आप भी बीएसपी से आए 5 विधायकों को किसी भी कीमत पर नाराज करने के लिए तैयार नहीं है।