राजस्थान में 14 मुस्लिम जातियों के ओबीसी आरक्षण पर संकट:मंत्री अविनाश बोले-कांग्रेस ने राजनीति के तहत दिया रिजर्वेशन;हम रिव्यू करेंगे

Jaipur Rajasthan

राजस्थान की भजनलाल सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल मु​स्लिम जातियों के आरक्षण को रिव्यू करने की तैयारी कर रही है। लोकसभा चुनावों की आचार संहिता हटने के बाद सरकार हाई पावर कमेटी बनाकर मुस्लिम जातियों के ओबीसी कोटे का रिव्यू करवाएगी। सीएम भजनलाल शर्मा और सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने मुस्लिम जातियों के ओबीसी आरक्षण का रिव्यू करवाने की पुष्टि की है।

दरअसल, कांग्रेस राज में ओबीसी की 14 से ज्यादा जातियों को अलग-अलग समय में आरक्षण दिया गया था। इनमें से कई जातियां ऐसी हैं, जो हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों में हैं।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा- कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति के तहत अलग-अलग समय पर मुस्लिम जातियों को ओबीसी का आरक्षण दिया। बाबा साहब अंबेडकर ने संविधान में प्रावधान किया था कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। कांग्रेस ने 1997 से लेकर 2013 के बीच अलग-अलग समय पर 14 मुस्लिम जातियों को ओबीसी में शामिल कर दिया है। हमारी सरकार और विभाग इसका रिव्यू करेंगे।

गहलोत ने कहा- हमारे पास कई तरह की शिकायतें भी आई हैं। हम उन शिकायतों की भी जांच करवाकर कानूनी परीक्षण करवाएंगे। आने वाले समय में उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर इस मामले में फैसला करेंगे।

हाई पावर कमेटी बनाकर रिव्यू करवाएगी सरकार
मुस्लिम जातियों के आरक्षण की समीक्षा करने के लिए सरकार आचार संहिता हटने के बाद हाई पावर कमेटी बनाएगी। इस कमेटी में कानूनी जानकार और आरक्षण के एक्सपर्ट को शामिल किया जा सकता है। 4 जून के बाद इस पर फैसला होने का आसार है। बीजेपी ने केंद्रीय स्तर पर भी इस मामले को गर्मा रखा है। राजस्थान सहित बीजेपी राज वाले कई राज्यों में ओबीसी में शामिल मुस्लिम जातियों के आरक्षण के रिव्यू के संकेत मिले हैं। भजनलाल कैबिनेट की आगे होने वाली बैठक में इस एजेंडे को रखा जा सकता है।

राज्य सरकार के पास ओबीसी आरक्षण पर रिव्यू का अधिकार
ओबीसी में किसी जाति को शामिल करने या उससे बाहर करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है, लेकिन इसकी पूरी प्रक्रिया काफी जटिल है। राज्य सरकार को सर्वे के जरिए यह साबित करना होगा कि अमुक जाति अब आर्थिक और सामाजिक रूप से इतनी सक्षम हो गई है कि उसे आरक्षण की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए सभी जातियों का सर्वे कर डेटा इकट्ठे करने होंगे। जिन जातियों को आरक्षण से बाहर किया जाएगा, वे उन्हें कोर्ट में चुनौती दे सकती है। कोर्ट में उन्हें बाहर करने के लिए जस्टिफाई करना आसान नहीं होगा।

मुस्लिम जातियों के ओबीसी आरक्षण के रिव्यू पर सियासी विवाद तय
भजनलाल सरकार के मुस्लिम जातियों के आरक्षण का रिव्यू करने की मंशा को लेकर अब सियासी विवाद तय माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता हटने के बाद कुछ समय बाद विधानसभा का बजट सत्र है। सरकार विधानसभा सत्र से पहले इसे लेकर कोई फैसला करती है तो सदन में विपक्षी कांग्रेस इसे बड़ा मुद‌दा बनाएगी।