मुंबई:-शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता उद्धव ठाकरे ने देश में एक बार फिर से गोधरा जैसी घटना होने की संभावना जताई है। उन्होंने रविवार को दावा किया कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन में बड़ी संख्या में लोगों के जुटने की उम्मीद है। ऐसे में उनके वापसी के दौरान गोधरा की तरह ही घटना हो सकती है।
दरअसल, 27 फरवरी 2002 को अयोध्या से लौट रहे कारसेवकों पर हमला किया गया था। साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की कोच पर आग लगा दी गई थी, जिससे 59 लोगों की मौत हो गई थी।
BJP-RSS के पास कोई आदर्श व्यक्ति नहीं: ठाकरे
ठाकरे ने कहा कि भाजपा और RSS के पास कोई बड़ी उपलब्धियां नहीं हैं। उनके पास कोई आदर्श व्यक्ति भी नहीं हैं। ऐसे में वे लोग सरदार पटेल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे दिग्गजों को अपना रहे हैं। उद्धव ने आगे कहा कि अब वे लोग उनके पिता बाल ठाकरे की विरासत पर दावा करने की कोशिश कर रहे हैं।
राम मंदिर में 22 जनवरी को विराजेंगे रामलला
अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में रामलला विराजेंगे। 15 जनवरी से मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह शुरू होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस कार्यक्रम के लिए न्योता दिया जा चुका है। सूत्रों के मुताबिक, समारोह के अंतिम दिन यानी 22 जनवरी को पीएम मोदी की मौजूदगी में राम मंदिर में रामलला को विराजमान किया जाएगा।
9 सितंबर को राम मंदिर से जुड़ी भवन निर्माण समिति की दूसरे दिन की बैठक में इन सभी बातों पर चर्चा हुई। इसमें विहिप अध्यक्ष आलोक कुमार, उपाध्यक्ष जीवेश्वर मिश्रा, राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र, सदस्य डॉ. अनिल मिश्र, अयोध्या के राजा बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र और एलएंडटी के इंजीनियर मौजूद रहे।
गोधरा कांड में 59 लोगों की मौत हुई थी
27 फवरी 2002 में गुजरात के गोधरा स्टेशन में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के S-6 डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। ट्रेन में अयोध्या से लौट रहे कारसेवक सवार थे।
गोधरा कांड के बाद गुजरात में भड़के थे दंगे
गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। इन दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। गोधरा कांड के एक दिन बाद 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी में बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी। मरने वालों में उसी सोसाइटी में रहने वाले कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे। इन दंगों से राज्य में हालात इस कदर बिगड़ गए कि स्थिति काबू में करने के लिए तीसरे दिन सेना उतारनी पड़ी।