जयपुर:-भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संगठन चुनावों में देरी को लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व ने सख्ती दिखाते हुए राजस्थान इकाई को 10 जनवरी तक जिला अध्यक्ष और 15 जनवरी तक प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हर हाल में पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
बुधवार को जयपुर में प्रदेश बीजेपी कार्यालय में पार्टी के प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल ने संगठन चुनाव से जुड़े पदाधिकारियों और प्रदेश पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में संगठन चुनाव की प्रगति का रिव्यू किया गया।
तय समय से पीछे चल रही है प्रक्रिया
बीजेपी को 5 दिसंबर तक बूथ अध्यक्षों और सदस्यों का निर्वाचन, 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्षों का चुनाव, और 30 दिसंबर तक जिला अध्यक्षों का चुनाव पूरा करना था। हालांकि अब तक सिर्फ बूथ स्तर पर ही चुनाव प्रक्रिया पूरी हो पाई है।
अब भी 1135 मंडल अध्यक्षों और 44 जिला अध्यक्षों की नियुक्ति बाकी है। प्रभारी अग्रवाल ने कहा कि 3 जनवरी तक संभावित जिला अध्यक्षों की सूची तैयार कर ली जाएगी और राष्ट्रीय नेतृत्व की सहमति के बाद 10 जनवरी तक इनकी नियुक्ति कर दी जाएगी।
मदन राठौड़ का प्रदेश अध्यक्ष बनना लगभग तय
बीजेपी को 15 जनवरी तक प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी पूरा करना है। इस पद के लिए मदन राठौड़ का नाम सबसे आगे है। जब प्रभारी से पूछा गया कि क्या राठौड़ का निर्वाचन तय है, तो उन्होंने कहा, “चुनाव प्रक्रिया चल रही है। मैं पहले ही कैसे कह सकता हूं कि यही अध्यक्ष बनेंगे? लेकिन मुझे विश्वास है कि वे मुकाबला करेंगे और जीतेंगे।”
गहलोत पर पलटवार
प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मणिपुर हिंसा पर दिए बयान पर पलटवार करते हुए कहा, “गहलोत जी को अपने प्रदेश की चिंता करनी चाहिए। जनता ने उन्हें पहले ही बता दिया है कि उनकी सरकार कितनी असफल रही।”
अग्रवाल ने गहलोत पर तंज कसते हुए कहा, “तू इधर-उधर की बात न कर, ये बता कि कारवां क्यों लूटा।” उन्होंने कहा कि गहलोत अपनी हार के कारणों पर आत्ममंथन करें।
“गहलोत पराजय बोध में हैं”
अग्रवाल ने गहलोत के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वे “पराजय बोध” में हैं। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी की सरकार ने पिछले एक साल में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और अपराध में कमी लाने जैसे क्रांतिकारी काम किए हैं।
उन्होंने कहा, “हम अगले चुनाव में 160-170 सीटें जीतेंगे और तब गहलोत जी से पूछेंगे कि उन्होंने अपनी हार से क्या सबक लिया।”
प्रदेश बीजेपी में संगठन चुनाव की इस देरी को लेकर पार्टी पर दबाव बढ़ रहा है। देखना होगा कि तय समयसीमा में यह प्रक्रिया पूरी हो पाती है या नहीं।