नई दिल्ली:-पंजाब में मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच तकरार फिर बढ़ गई है। राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने पत्र लिखकर सीएम भगवंत मान के फैसलों पर सवाल उठाए। जिसके जवाब में पंजाब सीएम मान ने ट्वीट करते हुए कहा कि मैं जनता के प्रति जवाबदेह हूं ना कि राज्यपाल के प्रति।
पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच गतिरोध सोमवार को उस समय चरम पर पहुंच गया, जब पुरोहित ने सरकार के फैसलों पर सवाल उठाए। उन्होंने प्रशिक्षण के लिए सिंगापुर भेजने के लिए शिक्षकों के चयन में पारदर्शिता की कमी और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कुलदीप सिंह चहल के सभी गलत कामों को नजरअंदाज करने का भी हवाला दिया। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में पुरोहित ने पंजाब इन्फोटेक के अध्यक्ष के रूप में दागी व्यक्ति की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह संपत्ति हड़पने और अपहरण के मामलों में आरोपी था। इसके अलावा राज्यपाल ने प्रधानाध्यापकों को सिंगापुर भेजने के लिए उनकी पूरी चयन प्रक्रिया का मानदंड और विवरण मांगा, उन्होंने इसमें पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया। इस पर भगवंत मान ने ट्वीट करते हुए जवाब दिया। मान ने कहा कि मैं जनता के प्रति जवाबदेह हूं ना कि राज्यपाल के प्रति।
शिक्षकों को सिंगापुर भेजने पर आए खर्च का मांगा ब्योरा
इससे पहले गर्वनर ने कहा- कृपया यह भी विवरण दें कि क्या यह (मानदंड) पूरे पंजाब में व्यापक रूप से प्रकाशित हुआ था। समाचार रिपोटरें के अनुसार जब से पहला बैच वापस आया है, कृपया मुझे यात्रा, रहने और प्रशिक्षण पर हुए कुल खर्च का विवरण दें। राज्यपाल ने मान से कहा- मुझे लिखे एक पत्र में आपने कहा था कि पंजाब की जनता के भारी जनादेश के कारण आप मुख्यमंत्री हैं, मैं आपकी इस बात से पूरी तरह सहमत हूं, लेकिन आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि राज्य के लोगों ने आपको संविधान के अनुसार शासन चलाने के लिए चुना है, न कि सनक और कल्पना के अनुसार।
राज्यपाल ने संविधान की अनुच्छेद का भी किया जिक्र
राज्यपाल ने अपने पत्र में भारत के संविधान के अनुच्छेद 167 का जिक्र करते हुए लिखा कि आप मुझे मेरे द्वारा मांगी गई पूरी जानकारी देने के लिए बाध्य हैं, लेकिन आपने उसे प्रस्तुत नहीं किया है और कभी भी उत्तर देने की परवाह नहीं की और मेरे सभी प्रश्नों का तिरस्कार किया। सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए मैंने इन पत्रों को प्रेस को नहीं दिया क्योंकि मुझे लगा कि आप संविधान के आदेश को पूरा करेंगे, लेकिन अब मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि आपने मेरे पत्रों को अनदेखा करने का फैसला किया है और मैं इन पत्रों को प्रेस/मीडिया को जारी करने के लिए मजबूर हूं ।
पीएयू के कुलपति को हटाने के मामले में भी सवाल
राज्यपाल ने छात्रवृत्ति का वितरण न देने और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के अवैध रूप से नियुक्त कुलपति को हटाने के संबंध में उनके पत्र पर सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया। चंडीगढ़ के पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुलदीप सिंह चहल का मुद्दा उठाते हुए राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पर अधिकारी के सभी गलत कामों को नजरअंदाज करने और उन्हें पदोन्नति देने का आरोप लगाया।
15 दिन में सभी जानकारी देने की बात
राज्यपाल ने अपने पत्र में लिखा मुझे आज तक कोई जवाब नहीं मिला। विज्ञापनों का विवरण मांगने वाले मेरे पत्र जिनमें आपसे पूरा विवरण मांगा गया था, वह भी शायद ठंडे बस्ते में पड़े हैं। मेरे द्वारा मांगी गई पूरी जानकारी कम से कम अब एक पखवाड़े के भीतर प्रस्तुत की जाए। यदि आप निर्धारित समय अवधि के भीतर यह जानकारी प्रदान करने में विफल रहते हैं क्योंकि पहले से ही पर्याप्त समय बीत चुका है तो मैं आगे की कार्रवाई के लिए कानूनी सलाह लेने के लिए मजबूर हो जाऊंगा, क्योंकि मैं संविधान की रक्षा के लिए बाध्य हूं।
सीएम ने तल्ख लहजे में दिया ये जवाब
CM भगवंत मान ने भी तल्ख लहजे में उत्तर दिया। भगवंत मान ने कहा- सम्माननीय राज्यपाल साहब, आपकी चिट्ठी मीडिया के जरिए मिली। जितने भी विषय चिट्ठी में लिखे गए है वह सभी राज्य के विषय हैं। मैं और मेरी सरकार संविधान के अनुसार 3 करोड़ पंजाबियों को जवाबदेह हैं, न कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए गए किसी राज्यपाल को…इसे ही मेरा जवाब समझो।