दिवाली पर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देवता की पूजा अमावस्या व्यापिनी तिथि और प्रदोष काल में करने की मान्यता है। 31 अक्तूबर को प्रदोषकाल की शुरुआत शाम 05 बजकर 36 मिनट से होगी जबकि इसका समापन शाम 08 बजकर 11 मिनट पर होगा। इसके अलावा लक्ष्मी पूजन के लिए स्थिर लग्न बहुत ही शुभ और श्रेष्ठ माना जाता है। 31 अक्तूबर को वृषभ लग्न की शुरुआत शाम 06 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 20 मिनट तक होगा। इस तरह से 31 अक्तूबर को लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 20 मिनट के बीच अच्छा रहेगा। कुल मिलाकर 31 अक्तूबर को लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 32 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन विशेष फलदायी होगा।
दिवाली अंधकार पर प्रकाश की जीत का पर्व है। दिवाली की रात को घरों को दीयों की रोशनी और रंगोली से सजाया जाता है। इसके अलावा धन, सुख और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की दिवाली की शाम के समय पूजन करने का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा को बहुत ही शुभ माना गया है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में आरंभ करनी चाहिए और लक्ष्मी पूजन के लिए घर का ईशान कोण और उत्तर दिशा सबसे शुभ होती है। सबसे पहले पूजा स्थल की साफ-सफाई करके सभी सामग्रियों को एकत्रित करते हुए माता की चौकी स्थापित करें। फिर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद इस स्वास्तिक के ऊपर कटोरी में चावल रखें और चौकी पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछाकर मात लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद सभी देवी-देवताओं का आवहन करते हुए गंगाजल का छिड़काव करते हुए पूजा का संकल्प लें। फिर इसके बाद चौकी पर स्थापित माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर देव,माता सरस्वती और हनुमान जी को पुष्प, धूप, दीप और दिवाली से जुड़ी सभी पूजा सामग्री का भोग लगाएं। अंत में आरती करें और फिर घर के हर एक हिस्से में दीपक जलाएं और रोशनी, सुख-समृद्धि का पर्व मनाएं।
दिवाली पर लक्ष्मी- गणेश पूजन प्रदोष काल, अमावस्या तिथि और स्थिर लग्न में करने की धार्मिक मान्यता है। प्रदोष काल वह समय होता है जब सूर्यास्त हो जाता है और यह लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक रहता है। हिंदू धर्म में कोई भी व्रत या त्योहार उदया तिथि के आधार पर तय होता है, लेकिन दिवाली पर माता महालक्ष्मी की पूजा अमावस्या तिथि को रात्रि में होती है। 31 अक्तूबर को पूरी रात अमावस्या तिथि रहेगी। पंचांग के मुताबिक कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 31 अक्तबूर को 3 बजकर 52 मिनट पर आरंभ हो जाएगी और इसका समापन 01 नवंबर को शाम 06 बजकर 16 मिनट पर होगा। 31 अक्तूबर को दिवाली मनाई जाएगी और इसी दिन लक्ष्मी पूजा होगी।