डोटासरा बोले-जालोर में अंग्रेजों जैसी बर्बरता,सीएम चुप क्यों:कहा-बीजेपी के नेता-मंत्री मुख्यमंत्री को गिराने में लगे;सीएम पर्ची के आधार पर देश में घूम रहे

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जालोर के ओडवाड़ा में चारागाह की जमीन पर बसे सैकड़ों परिवारों को बेदखल करने के लिए हुई पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सवाल उठाए हैं। डोटासरा ने सीएम भजनलाल शर्मा पर निशाना साधा है। डोटासरा ने कहा- जालोर में जैसा बर्बर बर्ताव हुआ ऐसा तो अंग्रेजों के राज में भी नहीं होता था।

दुर्भाग्य है कि राजस्थान की सरकार ने चुनाव की आड़ में 300- 400 परिवार को उजाड़ दिया। हजारों पुलिस के सिपाही जिस तरह अमानवीयता से पेश आते दिखे, अंग्रेजों का विरोध करने पर जिस तरह का जुल्म होता था वैसे ही भाजपा जुल्म कर रही है।

मुझे शर्म आई कि मुख्यमंत्री बैठे हैं और विधायक खड़े-खड़े पीड़ा सुना रहा

डोटासरा ने कहा- जालोर की घटना पर मुख्यमंत्री का एक शब्द नहीं आया। उनका विधायक खड़े-खड़े ज्ञापन दे रहा है, मुझे शर्म आई कि मुख्यमंत्री बैठे हैं। एक विधायक खड़े-खड़े अपनी व्यथा सुना रहा है। उनको तसल्ली से बैठाना चाहिए था और तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी।

हाईकोर्ट में जाकर कहते कि इन लोगों को हम कहां बसाएं? उनकी व्यवस्था पुनर्वास की पहल करेंगे, उसके बाद हाईकोर्ट की पालना करेंगे। ऐसी क्या आग लग गई थी, हाईकोर्ट का आदेश क्या आज आया था? सुप्रीम कोर्ट में चले जाते हैं, अपील कर देते। हजारों राजस्व गांव में इस तरीके की समस्या है। चारागाह, जोहड़, बंजर,तालाब में लोग बचे हुए हैं। वन भूमि में हजारों लाखों परिवार बसे हुए हैं। क्या इसी तरह का बर्ताव यह राजस्थान की सरकार करेगी? यह पॉलिटिकल विजन की कमी है, सोच की कमी है।

मुख्यमंत्री के आसपास पॉलिटिकल और मानवीय दृष्टिकोण रखने वाले लोग नहीं

डोटासरा ने कहा- मुख्यमंत्री का जो घेरा है, वह पॉलिटिकल और मानवीय दृष्टिकोण रखने वाले लोगों का नहीं है। या तो मुख्यमंत्री को अफ़सर चला रहे हैं। अफसर को भी इतना दिमाग रखना चाहिए की 400 लोग इस में जून की तपती धूप में कहां जाएंगे ? कहां खाना खाएंगे? कहां उनके बच्चे रहेंगे? किसी के 6 महीने का बच्चा है, किसी के 12 महीने का बच्चा है। ऐसा तो अंग्रेजों ने भी नहीं किया था। यह तो अंग्रेजों से भी बढ़कर कर रहे हैं। हम इसका विरोध भी करेंगे कानूनी सलाह भी ले रहे हैं। हमारी कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद इस पर आंदोलन और आगे बढ़ाने की रणनीति बनाएंगे।

डोटासरा ने कहा- कोई पॉलिटिकल बात करने वाला ही सरकार में नहीं है। नेता और मंत्री मुख्यमंत्री को पटकने में लग रहे हैं। मुख्यमंत्री दिल्ली की पर्ची के आधार पर पूरे देश में भ्रमण कर रहे हैं। पहले पूरे प्रदेश में भ्रमण कर रहे थे। पूर्व राज्यपाल और स्वतंत्रता सेनानी कमला बेनीवाल का राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार नहीं करके इस सरकार ने राजनीतिक रूप से अपरिपक्वता का परिचय दिया है।

मोदी के नाराज होने के डर से कमला बेनीवाल को राजकीय सम्मान नहीं दिया

डोटासरा ने कहा- पूर्व राज्यपाल को जो सम्मान देना था ,वह सरकार को निर्णय करना था, मैंने सरकार को समय रहते अवगत करवा दिया। सरकार में मुख्यमंत्री अगर जा रहे हैं। पुष्पांजलि अर्पित कर रहे हैं तो क्या उनको इतना ज्ञान नहीं होना चाहिए कि मैं जब आ रहा हूं। मुख्यमंत्री खुद जा रहे हैं तो राजकीय सम्मान देने में क्या दिक्कत थी, लेकिन वह पॉलिटिकल मेच्योर व्यक्ति नहीं है। उनको सलाह देने वाला नहीं है। अफसरों ने घेर रखा है। आरएसएस के लोगों ने घेर रखा है इसीलिए उन्हें किसी ने सलाह दी होगी कि मोदी जी नाराज हो जाएंगे। डोटासरा ने कहा- मोदी जब मुख्यमंत्री थे गुजरात के तब उन्होंने(कमल बेनीवाल) ने कोई समझौता नहीं किया था। मोदीजी से उनका विवाद काफी चर्चा में रहा था। तो क्या मोदी से डर गए मुख्यमंत्री? यह बड़ा प्रश्न है। हमारे देश की प्रदेश की मातृशक्ति, वह इस बारे में चर्चा कर रही है, पूछ रही है कि ऐसा क्या हुआ कि जब हमारे राजस्थान की परंपरा थी चाहे भैरो सिंह शेखावत हों ,चाहे पंडित नवल किशोर हो उनको सबको जब राजकीय सम्मान दिया गया, तो फिर कमला बेनीवाल को क्यों नहीं दिया? इसलिए हमने यह सवाल उठाया। इसमें राजस्थान सरकार की और मुख्यमंत्री की चूक हुई, वह अगर माफी मांग कर इनके लिए स्मारक के लिए जमीन आवंटन करें, जैसे नवल किशोर शर्मा के लिए अस्पताल की घोषणा हुई ,वैसे ही कोई चीज स्थाई स्मृति बनाने के लिए करना चाहिए, यह पश्चाताप का अच्छा तरीका है।