राजस्थान के कृषि मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ किरोड़ीलाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। आज एक धार्मिक कार्यक्रम में एक प्राइवेट चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने इसकी जानकारी दी।
मीणा ने कहा वे दो दिन से दिल्ली में थे। उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री ने बातचीत के लिए बुलाया था, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो सकी। मीणा ने कहा कि उनकी संगठन या मुख्यमंत्री से कोई नाराजगी नहीं है।
दरअसल, किरोड़ीलाल मीणा ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि उन्हें जिन सीटों की जिम्मेदारी मिली है अगर वो हारते हैं तो इस्तीफा दे देंगे।
नतीजों के बाद मीणा पर इस्तीफा देने का दबाव था। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी कहा था कि मीणा पीछे नहीं हटेंगे, इस्तीफा जरूर देंगे।
रिजल्ट के दिन लिखा- प्राण जाइ पर वचन न जाइ
लोकसभा चुनावों के रिजल्ट से पहले रुझानों में बीजपी को 11 सीटें हारते देख ही मीणा ने दोपहर में ही सोशल मीडिया पोस्ट करके इस्तीफे के संकेत दे दिए थे।
उन्होंने रामचरित मानस की चौपाई- रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाइ पर वचन न जाइ, लिखकर संकेत दिए कि वे अपनी घोषणा से पीछे नहीं हटेंगे।
भाजपा की बढ़ सकती है परेशानी
किरोड़ीलाल मीणा का इस्तीफा मंजूर हुआ तो पार्टी की परेशानी बढ़ सकती है। जानकारी कहते हैं कि मीणा का सियासी ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो वे हमेशा आक्रामकता से मुद्दे उठाते रहे हैं। लोकसभा चुनावों में बीजेपी की हार के मुद्दे पर वे सरकार से बाहर आते हैं तो सरकार के साथ बीजेपी के लिए भी असहज हालात पैदा होंगे।
आगे पांच विधानसभा सीटों के उपचुनावों और निकाय-पंचायत चुनावों में भी नरेटिव खराब हो सकता है। अब तक सरकार में रहकर कई मुद्दों पर शांत रहने वाले किरोड़ी को मुखर होने का मौका मिल जाएगा। किरोड़ी सरकार में नहीं रहे तो मुद्दे उठाने के लिए आजाद हो जाएंगे।
हाईकमान स्तर पर होगा फैसला
सूत्रों के मुताबिक किरोड़ीलाल मीणा ने कुछ दिन पहले सीएम से मुलाकात की थी। उसी दौरान इस्तीफा दे दिया था। विधानसभा के बजट सत्र के चलते रणनीति के तहत इसे गोपनीय रख गया। अब हाईकमान के स्तर पर ही इस पर फैसला होगा।
दरअसल, पिछले दिनों कृषि विभाग के इंजीनियरों के तबादलों को लेकर भी किरोड़ी और पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर के बीच तनातनी सामने आई थी।
पंचायतीराज आयुक्त ने आदेश जारी कर किरोड़ी के विभाग से जारी तबादलों को गलत बताते हुए जॉइनिंग पर रोक लगा दी थी। इसके बाद जब विवाद बढ़ा तो फिर से आदेश निकाले गए। इस मुद्दे ने किरोड़ी की नाराजगी को और बढ़ा दिया।