नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को एक स्थानीय अदालत से कहा कि दिल्ली सरकार में शामिल कुछ मंत्रियों समेत आम आदमी पार्टी (आप) के नेता दिल्ली की आबकारी नीति को सरकारी कोष की कीमत पर अवैध धन जुटाने का ‘‘जरिया’’ मानते थे।
प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक (पीए) सहित कम से कम 36 आरोपियों ने कथित घोटाले में करोड़ों रुपये की ‘‘रिश्वत’’ के सबूत छिपाने के लिए 170 फोन को ‘‘नष्ट या इस्तेमाल किया।’’
उसने कहा, ‘‘इस नीति को तैयार करते हुए जानबूझकर खामियां की गई, अवैध गतिविधियों को संभव बनाने के लिए एक तंत्र तैयार किया गया और जानबूझकर विसंगतियां की गईं। गहराई से देखने पर यह बात नीति निर्माताओं के गलत इरादों को दर्शाती है।’’
उसने कहा, ‘‘दिखाने के लिए इस नीति का व्यापारियों की गुटबाजी को रोकने और व्यापार के निष्पक्ष तरीकों को प्रोत्साहित करने का सराहनीय मकसद था, लेकिन वास्तव में ‘आप’ के नेताओं की आपराधिक साजिश के कारण इसने पिछले दरवाजे से गुट बनाने को बढ़ावा दिया, अत्यधिक थोक (12 प्रतिशत) और बड़ा खुदरा (185 प्रतिशत) लाभ संभव बनाया और अन्य अवैध गतिविधियों को प्रोत्साहित किया।’’
संघीय जांच एजेंसी ने यह भी दावा किया कि दिल्ली सरकार को ‘‘केवल आप नेताओं के व्यक्तिगत खजाने को भरने के कारण 12 प्रतिशत या 581 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ और नीति में कथित अनियमितताओं के कारण कुल मिलाकर 2,873 करोड़ रुपये (लाइसेंस शुल्क के नुकसान सहित) राजस्व का नुकसान हुआ।’’