जयपुरिया हॉस्पिटल में नवनिर्मित ट्रॉमा सेंटर और अन्य भवनों की गुणवत्ता का मुद्दा बेहद चिंताजनक है। निर्माण के महज 6 से 8 महीनों के भीतर ही पहली बारिश ने इन इमारतों की गुणवत्ता की पोल खोल दी है। इमरजेंसी में फॉल सिलिंग से पानी टपकने और एमआरआई सेंटर के सामने बने ब्लड कलेक्शन सेंटर में फॉल सिलिंग का भरभराकर गिरना, यह दर्शाता है कि निर्माण कार्य में बड़ी लापरवाही बरती गई है। यह स्थिति न केवल अस्पताल के कर्मचारियों बल्कि मरीजों के लिए भी खतरनाक हो सकती है।
इस सेंटर को बनाने में लगभग 5.78 करोड़ रुपये की लागत आई है, और ऐसे में इस तरह की समस्याएं सामने आना अत्यंत निराशाजनक है। अस्पताल प्रशासन द्वारा काउंटर बंद कर अंदर रजिस्ट्रेशन शुरू करवाना भी इस बात का संकेत है कि समस्या कितनी गंभीर है।
हालांकि अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर महेश मंगल का कहना है कि वे व्यवस्थाओं में सुधार के प्रयास कर रहे हैं और कॉन्ट्रेक्टर को समस्या के समाधान के लिए कहा गया है, लेकिन इस स्थिति को सुधारने के लिए त्वरित और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। यह आवश्यक है कि निर्माण कार्य की जांच कर जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही न हो।